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हाथियों की परेड का किसी ग्रंंथ में जिक्र नहीं, कमजोर नहीं हिंदू धर्म; केरल हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

केरेला हाई कोर्ट में कार्यक्रम के दौरान हाथियों की रैली को लेकर याचिका दायर की गई थी. वहीं अदालत में जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाथियों की परेड कोई धार्मिक आवश्यकता नहीं है. किसी भी ग्रंथ में इसकी बात नहीं कही गई है. अदालत ने कहा कि हाथियों की मौजूदगी न होने से हिंदू धर्म ढह जाएगा इतना कमजोर नहीं है.

हाथियों की परेड का किसी ग्रंंथ में जिक्र नहीं, कमजोर नहीं हिंदू धर्म; केरल हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 29 Nov 2024 2:01 PM IST

केरल हाई कोर्ट में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान हाथियों की परेड को लेकर सुनवाई हुई. अदालत ने परेड के दौरान तीन मीटर की दूरी बनाने का निर्देश जारी किया था. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यक्रम के दौरान हाथियों की परेड कोई धार्मिक आवश्यकता नहीं है. दरअसल कोचीन देवस्वोम बोर्ड (CDB) की ओर से तिरुपुनिथुरा मंदिर में होने वाले वाले उत्सव में हाथियों की परेड को लेकर याचिका दायर की थी.

वहीं अदालत में बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील केपी सुधीर को जज ने फटकार लगाई. ऐसा इसलिए वकील की ओर से ये दलील दी गई कि उत्सव में हाथियों की परेड होना अभिन्न अंग है.

जरूरी प्रथा नहीं है

अदालत में जस्टिस गोपीनाथ पी और एके जयशंकरन नाम्बियार की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. जस्टिस जयशंकरन नाम्बियार ने वकील की दलील पर कहा कि अगर किसी ग्रंथ में हाथियों के इस्तमाल की बात नहीं कही गई है, तो यह अहम प्रथा नहीं है. उन्होंने कहा कि हम ऐसा नहीं कह रहे कि आप कार्यक्रम में हाथियों का इस्तेमाल मत कीजिए. लोगों के विश्वास और धार्मिक उत्साह बनाए रखने के लिए हाथियों का मौजूद होना ठीक है. लेकिन ये सुनिश्चित हो की इस परेड के दौरान हाथियों के बीच 3 मीटर के कम दूरी ठीक होगी.

दरअसल उत्सव के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कोर्ट ने इनमें शामिल होने वाले हाथियों की भलाई को लेकर सवाल खड़े करते हुए निर्देश जारी किए थे. इस निर्देश के दौरान ही परेड में हाथियों के बीच कम से कम 3 मीटर की दूरी रखने की बात कही गई थी. साथ ही त्योहारों का रजिस्ट्रेशन भी करवाना जरूरी था. लेकिन इस पर CDB की ओर से कहा गया कि यदि इन निर्देशों का पालन होता है तो उत्सव में शामिल होने वाली संख्या सीमित रह जाएगी और लंबे समय से चलती आ रही प्रथाएं परंपरा बाधित होंगी.

हिंदू धर्म इतना कमजोर नहीं है

वहीं अदालत में जस्टिस नाम्बियार ने का कि इस बात को मानने से हम इनकार करते हैं कि हाथियों की मौजूदगी न होने से हिंदू धर्म ढह जाएगा. इतना कमजोर नहीं. इस पर जस्टिस गोपीनाथ ने भी कहा था कि जब तक आप यह साबित नहीं करते कि हाथियों के बगैर धर्म का अस्तित्व नहीं है. तब तक जरूरी धार्मिक प्रथा का सवाल ही नहीं उठता है.

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