2025 में बढ़ेगी ISRO की ताकत, 6 बड़े मिशन के साथ लॉन्च होगा अमेरिकी सैटेलाइट
साल 2025 में दुनिया ISRO की बढ़ती ताकत देखेगी. अंतरिक्ष एजेंसी अपने कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च रेवेन्यू को बढ़ाने और ग्लोबल स्पेस इकोनॉमी में अपनी स्थिति को बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

साल 2025 ISRO के लिए रोमांचक साबित हो सकता है, क्योंकि इस साल भारत कई मिशन लॉन्च करेगा. अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि पहले छह महीने में लॉन्च के लिए 6 नए बड़े मिशन तैयार किए गए हैं. इसमें गगनयान मानव मिशन के तहत एक महिला रोबोट को अंतरिक्ष में भेज जाएगा.
साथ ही, दुनिया का सबसे महंगा भारत-अमेरिका को-प्रोड्यूस पृथ्वी इमेजिंग सैटेलाइट, निसार लॉन्च करना शामिल है. एक प्रेस मीट के दौरान जितेंद्र सिंह ने कहा कि ISRO सबसे पहले जनवरी में एक एडवांस नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-02 लॉन्च करेगा. जीएसएलवी लॉन्च इसरो का 100वां मिशन होगा.
अंतरिक्ष में भेजा जाएगा वुमन ह्यूमनॉइड
इसके बाद इसरो मानव रहित गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में इसरो द्वारा बनाया गया वुमन ह्यूमनॉइड व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इस पर जितेंद्र ने बताया कि "व्योममित्र मिशन में सब कुछ ठीक होने के बाद ही अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.''
दुनिया की सबसे मंहगी सैटेलाइट
इसके बाद मार्च के महीने में एक और सैटेलाइट लॉन्च की जाएगी, जो भारत-अमेरिका संयुक्त मिशन नासा-इसरो एसएआर (NISAR) सैटेलाइट है. यह दुनिया की सबसे महंगी सैटेलाइट है. इसकी कीमत 12,505 करोड़ रुपये है. इस सैटेलाइट की खासियत बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह हर 12 दिन में जमीन और बर्फ को स्कैन करेगा. साथ ही, इसका रेजोल्यूशन भी काफी ज्यादा होगा.
मोबाइल कम्यूनिकेशन में होगा फायदा
1969 में ISRO का जन्म हुआ था. इस दौरान अमेरिका चांद पर लोगों को भेज रहा था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं क्योंकि अब इसरो अमेरिकी सैटेलाइट लान्च कर रहा है क्योंकि वह एक अमेरिकी कंज्यूमर के लिए सैटेलाइट के अपकमिंग कमर्शियल लान्च के बारे में बताते हैं, जिसका इस्तेमाल मोबाइल कम्यूनिकेशन के लिए किया जाएगा.
ISRO की बढ़ती ताकत
इसरो ने पिछले दशक में अमेरिका और यूरोपीय संघ के लिए किए गए कमर्शियल सैटेलाइट लान्च से 400 मिलियन डॉलर से अधिक का रेवेन्यू जनरेट करता है. जहां आने वाले सालों में रेवेन्यू का आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है.
अब तक, इसरो ने अमेरिका के लिए सैटेलाइट्स को लॉन्च करके 172 मिलियन डॉलर और यूरोपीय संघ के लिए 292 मिलियन यूरो ($304 मिलियन) का रेवेन्यू कमाया है. इसमें से अमेरिकी लॉन्च से 157 मिलियन डॉलर और यूरोपीय संघ के लॉन्च से 260 मिलियन यूरो ($271 मिलियन) पिछले दशक में ही आए हैं. यह दिखाता है कि भारत ने अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में किस तरह की प्रगति की है और एक अग्रणी अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देश के रूप में इसकी वर्तमान स्थिति क्या है.