क्या होता है एनालॉग स्पेस? भारत में पहली बार इसरो ने लेह में किया स्थापित, चंद्र मिशन के लिए होगा खास
India gets First Analog Space: भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लद्दाख के लेह में शुरू हुआ. इसमें महीने भर चलने वाले मिशन में एक आत्मनिर्भर आवास शामिल है, जो भारत के भविष्य के चंद्र और मंगल मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है.

India gets First Analog Space: भारत स्पेस रिसर्च को और भी बेहतर बनाने के ओर एक और कदम उठा चुका है. देश ने अपना पहला एनालॉग स्पेस मिशन लद्दाख के लेह में स्थापित कर लिया है. यहां इसरो के साइंटिस्ट एक अंतरग्रहीय आवास में अंतरिक्ष पर जीवन का रिसर्च करेंगे. भारत जल्द ही चंद्र मिशन के तहत चंद्रमा पर मानव भेजने की योजना बना रहा है.
लद्दाख को इस तरह के मिशन के लिए चुना गया है क्योंकि क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएं जैसे- शुष्क और ठंडी जलवायु, बंजर भूमि, उच्च ऊंचाई वाले इलाके और अत्यधिक अलगाव को मंगल ग्रह और चंद्रमा के वातावरण के समान माना जाता है और ग्रहों की खोज के उद्देश्य से वैज्ञानिक मिशन के लिए एक आदर्श प्रशिक्षण का सबसे बेहतरीन जगह है.
क्या होता है एनालॉग स्पेस?
एनालॉग स्पेस मिशन पृथ्वी पर एक ऐसा स्थान है, जहां अंतरिक्ष पर होने वाले गतिविधि को आप महसूस करते हैं और मिशन की तैयारी की जाती है. अंतरिक्ष से इसकी वातावरण के साथ भौतिक समानताएं भी हैं. ये स्थान अंतरिक्ष उड़ान अनुसंधान के लिए समस्या समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
भारत का पहला एनालॉग स्पेस मिशन लेह में शुरू हुआ है. एनालॉग स्पेस मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, इसरो, AAKA स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के सहयोग से अक्टूबर में शुरू हुआ. महीने भर चलने वाला ये मिशन चंद्रमा पर भारत का पहला स्पेस रिसर्च सेंटर स्थापित करने के मद्देनजर शुरू किया गया है. ये अंतरग्रहीय मिशनों को लॉन्च करने के लिए आधार प्रदान कर सकता है.
एनालॉग स्पेस की खासियत
इस मिशन में हैब-1 नामक एक कॉम्पैक्ट, इन्फ्लेटेबल आवास शामिल है, जो हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई और स्वच्छता सुविधाओं जैसी आवश्यक चीजों से सुसज्जित है. यह एक आत्मनिर्भर वातावरण प्रदान करता है. इससे काफी डाटा कलेक्ट किया जाएगा, जो भारत चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के लिए लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों की योजना मददगार होने वाला है.
समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में ऑक्सीजन का स्तर समुद्र तल के केवल 40% है. ना के बराबर दबाव, कम ऑक्सीजन की स्थिति रिसर्चर को मंगल ग्रह जैसी जीवन जीने और जीवन रक्षक प्रणालियों का मूल्यांकन करने में मदद करेगा. इसलिए AAKA स्पेस स्टूडियो की टीम पर्यावरण सूट का परीक्षण कर रही है और लेह में भूवैज्ञानिक अध्ययन कर रही है.