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क्या सच नहीं है शिवाजी के वफादार कुत्ते की कहानी, किसने रायगढ़ किले से मेमोरियल हटाने की मांग की?

छत्रपति शिवाजी महाराज के पास वाघ्या नामक एक पालतू कुत्ता होने की लोककथा प्रचलित है. कहा जाता है कि शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद वाघ्या ने उनकी चिता में कूदकर प्राण त्याग दिए. कोल्हापुर राजघराने के वंशज ने रायगढ़ किले से वाघ्या कुत्ते का स्मारक हटाने की मांग की है जिसके बाद चर्चा तेज हो गई है.

क्या सच नहीं है शिवाजी के वफादार कुत्ते की कहानी, किसने रायगढ़ किले से मेमोरियल हटाने की मांग की?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 24 March 2025 12:31 AM IST

पूर्व राज्यसभा सांसद और कोल्हापुर राजघराने के वंशज संभाजीराजे छत्रपति ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर रायगढ़ किले से वाघ्या नामक कुत्ते की समाधि हटाने की मांग की है. ऐसा माना जाता है कि वाघ्या, छत्रपति शिवाजी महाराज का पालतू कुत्ता था. लोककथाओं के अनुसार, जब शिवाजी महाराज का निधन हुआ, तो वाघ्या ने उनके प्रति अपनी अटूट निष्ठा दिखाते हुए उनकी चिता में कूदकर सती हो गया. इसी मान्यता के आधार पर 1920 के दशक में रायगढ़ किले में उसकी एक समाधि बनाई गई थी.

संभाजीराजे छत्रपति की आपत्ति

संभाजीराजे छत्रपति का कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पास वाघ्या के अस्तित्व का कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है. ऐसे में इस संरचना को अवैध अतिक्रमण माना जाना चाहिए, क्योंकि रायगढ़ किला एक संरक्षित धरोहर स्थल है. वाघ्या की समाधि का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, फिर भी इसे शिवाजी महाराज के स्मारक के पास बनाया गया है. यह शिवाजी महाराज की महान विरासत का अपमान है,' उन्होंने अपने पत्र में लिखा, 100 साल पुरानी संरचना पर संकट?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के नियमों के अनुसार, 100 वर्ष से अधिक पुरानी किसी भी संरचना को ऐतिहासिक धरोहर का दर्जा दिया जाता है और उसे हटाया नहीं जा सकता. संभाजीराजे ने इस संदर्भ में पत्र लिखकर कहा कि इससे पहले कि यह संरचना 100 वर्ष पुरानी हो जाए और कानूनी रूप से संरक्षित घोषित कर दी जाए, इसे हटा दिया जाना चाहिए.

समाधि हटाने की मांग

संभाजीराजे छत्रपति ने पत्र में यह मांग की है कि 31 मई से पहले इस स्मारक को हटाया जाए, ताकि रायगढ़ किले की ऐतिहासिक गरिमा बनी रहे और वहां किसी भी प्रकार का अवैध अतिक्रमण न हो. यह मामला अब राजनीतिक और ऐतिहासिक बहस का विषय बन गया है. कुछ लोग इसे शिवाजी महाराज की परंपरा से जुड़ा मानते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इतिहास के साथ किसी भी प्रकार की कल्पना को जोड़ना उचित नहीं है.

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