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इथेनॉल वाला पेट्रोल फायदेमंद है या बन सकता है परेशानी की वजह? जानें अपने हर सवाल का जवाब

भारत में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरणीय सुधार, विदेशी तेल पर निर्भरता में कमी और किसानों को अतिरिक्त आय मिल रही है. हालांकि, इससे कुछ पुराने वाहनों में माइलेज घटने और इंजन पर असर की आशंका जताई जा रही है. सरकार ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए इसे ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित ईंधन की दिशा में एक रणनीतिक कदम बताया है.

इथेनॉल वाला पेट्रोल फायदेमंद है या बन सकता है परेशानी की वजह? जानें अपने हर सवाल का जवाब
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( Image Source:  Meta AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 5 Aug 2025 2:50 PM

भारत में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को लेकर इन दिनों काफी चर्चा है. सरकार ने पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 20% तक बढ़ाकर (E20) प्रयोग शुरू कर दिया है, जिससे कई लोगों में चिंता बढ़ गई है कि कहीं इससे वाहनों को नुकसान तो नहीं पहुंचेगा या माइलेज कम तो नहीं होगा. हालांकि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इन चिंताओं को 'अनावश्यक' और 'वैज्ञानिक तथ्यों से परे' बताया है. मंत्रालय ने कहा है कि यह हरित ईंधन की दिशा में भारत की रणनीतिक नीति का हिस्सा है, जिससे न केवल पर्यावरणीय सुधार होंगे बल्कि तेल आयात पर निर्भरता भी कम होगी.

भारत 2030 तक E30 (30% इथेनॉल मिश्रण) का लक्ष्य लेकर चल रहा है. 2025 में ही सरकार ने E20 के लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त कर लिया. यह केवल ईंधन नीति नहीं, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता, किसानों की आय बढ़ाने और प्रदूषण घटाने की दिशा में एक बहुआयामी प्रयास है. लेकिन साथ ही इसके पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और वाहनों पर असर को लेकर सवाल भी उठे हैं. आइए इस मामले से जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब जानते हैं.

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल क्या है?

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल वह ईंधन है जिसमें पारंपरिक पेट्रोल के साथ एक निश्चित मात्रा में इथेनॉल मिलाया जाता है. इथेनॉल एक अल्कोहल-आधारित बायोफ्यूल है जो गन्ना, मक्का, चावल, गेहूं और कृषि अवशेषों जैसे स्रोतों से प्राप्त होता है. भारत में पहले E10 (10% इथेनॉल) का प्रयोग होता था, अब E20 (20%) लागू किया जा रहा है. कुछ देशों में E85 (85% इथेनॉल) तक भी इस्तेमाल होता है, लेकिन इसके लिए विशेष फ्लेक्स-फ्यूल वाहन चाहिए.

इथेनॉल मिश्रण का उद्देश्य क्या है?

  • विदेश से तेल आयात पर निर्भरता कम करना (भारत 85% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है)
  • किसानों के लिए अतिरिक्त आय स्रोत बनाना
  • ग्रामीण जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
  • कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण में कमी लाना
  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता हासिल करना

पर्यावरणीय प्रभाव

इथेनॉल के उपयोग से कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और PM (पार्टिकुलेट मैटर) का उत्सर्जन कम होता है. NITI Aayog के अनुसार, गन्ने से बनी इथेनॉल पेट्रोल की तुलना में 65% कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करता है. वहीं मक्का आधारित इथेनॉल 50% उत्सर्जन कम करता है.

वाहनों पर क्या असर पड़ता है?

E10 तक के मिश्रण से अधिकतर वाहनों पर असर नहीं पड़ता. हालांकि E20 से कुछ पुराने वाहनों में रबर सील, प्लास्टिक फ्यूल लाइन में क्षरण (corrosion) का जोखिम हो सकता है. माइलेज में भी थोड़ी कमी आ सकती है क्योंकि इथेनॉल की ऊर्जा घनता पेट्रोल से कम होती है. सरकार की नीति को देखते हुए नए वाहन निर्माता E20-कम्पैटिबल इंजन विकसित कर रहे हैं. इसके साथ ही फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की मांग भी बढ़ रही है.

आर्थिक प्रभाव

  • 2014 से अब तक भारत ने 1.36 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा बचाया है
  • लगभग 193 लाख टन कच्चे तेल के आयात को प्रतिस्थापित किया गया है
  • किसानों और डिस्टिलरियों को 3.14 लाख करोड़ रुपये की खरीददारी हुई है
  • महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक जैसे राज्यों में निवेश और रोजगार में वृद्धि हुई है

चुनौतियां क्या हैं?

सरकार के लिए यह रास्‍ता आसान नहीं हो ने जा रहा क्‍योंक 20 फीसदी इथेनॉल मिलने से इथेनॉल की मांग में अचानक तेजी आ जाएगी. ज्‍यादा इथेनॉल के लिए गन्‍ना, मक्‍का जैसी फसलों का उत्‍पादन बढ़ाने की चुनौती होगी. गन्ना एक जल-गहन फसल है, जिससे जल संकट का खतरा बढ़ सकता है. दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा को लेकर भी चिंता उत्‍पन्‍न हो सकती है क्‍योंकि जब खाद्यान्न का उपयोग ईंधन में होगा तो इसकी कमी होने का खतरा तो है ही. बात करें पुराने वाहनों की तो उनके लिए तकनीकी चुनौतियां जरूर सामने आ सकती हैं. साथ ही वितरण ढांचे को अपडेट करने की जरूरत होगी जैसे पेट्रोल पंप पर अलग टैंक लगाने जैसे उपाय करने पड़ सकते हैं.

समाधान की दिशा में कदम

  • 2G इथेनॉल (एग्रीकल्चरल वेस्ट से) को बढ़ावा देना
  • डैमेज्ड अनाज, अधिशेष स्टॉक का उपयोग करना
  • ई20-अनुकूल वाहनों का निर्माण
  • OMCs द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना

मामले से जुड़े कुछ जरूरी सवाल और उनके जवाब...


Q1. इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से वाहन को नुकसान होता है क्या?

E10 तक कोई नुकसान नहीं होता. E20 में पुराने वाहनों में थोड़ी समस्या आ सकती है, लेकिन नए वाहन इसके अनुकूल बनाए जा रहे हैं.

Q2. क्या इथेनॉल मिश्रण से माइलेज कम होता है?

हां, थोड़ा बहुत माइलेज घट सकता है क्योंकि इथेनॉल की ऊर्जा घनता कम होती है, लेकिन फर्क मामूली होता है.

Q3. क्या यह पर्यावरण के लिए अच्छा है?

बिल्कुल, इथेनॉल मिश्रण से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों में बड़ी कमी आती है.

Q4. क्या यह किसानों के लिए फायदेमंद है?

हां, इससे गन्ना, मक्का और अन्य फसलों की मांग बढ़ती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है.

Q5. क्या पेट्रोल पंप पर अलग इंधन मिलेगा?

भविष्य में कुछ जगहों पर E20 या फ्लेक्स फ्यूल स्पेसिफिक डिस्पेंसर्स होंगे, लेकिन अधिकतर पेट्रोल पंप इसे मिक्स्ड रूप में ही देंगे.

Q6. क्या सभी वाहन E20 पर चल सकते हैं?

ज्यादातर नए वाहन E20 के अनुकूल होंगे, लेकिन पुराने वाहनों को सावधानी से चलाना होगा.

Q7. क्या इथेनॉल मिश्रण से फ्यूल की कीमत बढ़ेगी या घटेगी?

फिलहाल सरकार कीमतें नियंत्रित कर रही है. लंबे समय में यह आयात पर निर्भरता घटाकर स्थायित्व ला सकता है.

Q8. सरकार इसे क्यों बढ़ावा दे रही है?

विदेशी तेल पर निर्भरता कम करने, पर्यावरण को सुधारने, किसानों की आमदनी बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए.

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल भारत की ऊर्जा नीति का एक मजबूत स्तंभ बन रहा है. यह न केवल पर्यावरणीय बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. हालांकि, इससे जुड़ी तकनीकी और संरचनात्मक चुनौतियां भी हैं, जिन्हें पार करने के लिए सरकार और उद्योग को मिलकर प्रयास करने होंगे. आम जनता को सही जानकारी और जागरूकता के माध्यम से इस परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहिए, ताकि भारत एक स्थायी, आत्मनिर्भर और हरित ऊर्जा भविष्य की ओर अग्रसर हो सके.

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