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इंटरटेन या लव अफेयर्स? तीन साल में 54% बढ़ा किशोर गर्भधारण, ‘अक्का फोर्स’ से कर्नाटक सरकर करेगी रोकथाम

चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक वासुदेव शर्मा एनवी कहते हैं, '20 साल पहले हम टेलीविजन और सिनेमा को किशोरों में यौन गतिविधियों की वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराते थे. उस समय प्रिंट सामग्री और पोर्नोग्राफी आसानी से मिलती थी. लेकिन आज हालात बदल गए हैं.

इंटरटेन या लव अफेयर्स? तीन साल में 54% बढ़ा किशोर गर्भधारण, ‘अक्का फोर्स’ से कर्नाटक सरकर करेगी रोकथाम
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 23 Oct 2025 3:16 PM IST

कर्नाटक राज्य आज एक बहुत बड़ी और डरावनी समस्या से जूझ रहा है. पिछले तीन सालों में यहां किशोर गर्भधारण के मामलों में 54 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब है कि बहुत सी छोटी-छोटी लड़कियां, जो अभी अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों में हैं, गर्भवती हो रही हैं. यह सुनकर हर किसी का दिल दुखी हो सकता है और चिंता बढ़ सकती है.

राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया है. उनके अनुसार, इस समस्या की जड़ में सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा इस्तेमाल और किशोर लड़कियों-लड़कों के बीच बढ़ते प्रेम संबंध हैं. उन्होंने इसे 'हमारी बेटियों के लिए बेहद खतरनाक और परेशान करने वाला' बताया है. वे कहती हैं कि यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि तुरंत कुछ करना बहुत जरूरी है.

आंकड़े जो सोचने पर मजबूर करते हैं

अगर पिछले तीन सालों के आंकड़ों को देखें, तो स्थिति और भी साफ हो जाती है. साल 2022-23 में कर्नाटक में 405 किशोर गर्भधारण के मामले सामने आए. इसके बाद साल 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 709 हो गई, और साल 2024-25 में 685 मामले दर्ज हुए. कुल मिलाकर पिछले तीन सालों में 1,799 ऐसी घटनाएं हुई हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि हर साल यह समस्या और गंभीर होती जा रही है. यह न सिर्फ लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि उनकी सुरक्षा और आजादी को भी प्रभावित कर रहा है.

सरकार का नया कदम - अक्का फोर्स

इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाई है. 15 अगस्त, 2025 से कर्नाटक सरकार मैसूर, बेलगावी और मंगलुरु जैसे बड़े शहरों में 'अक्का फोर्स' शुरू करने जा रही है, जिसे औपचारिक रूप से 'अक्का पाडे' कहा जाएगा. यह एक खास गश्ती टीम होगी, जिसका नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी करेंगी और एनसीसी कैडेट्स उनकी मदद करेंगे. ये टीमें कॉलेजों, बाजारों और सार्वजनिक जगहों के आसपास तैनात रहेंगी. उनका मकसद शोहदों को रोकना और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना है, ताकि लड़कियों को सुरक्षित रखा जा सके. मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने यह घोषणा विधानसभा में की, जब चिक्कनायकनहल्ली के विधायक सुरेश बाबू ने इस बढ़ती संख्या पर सवाल उठाया.

समस्या के पीछे के कारण

मंत्रालय के अध्ययन से पता चलता है कि इस समस्या के कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है नाबालिगों का सोशल मीडिया का अत्यधिक और बिना नियंत्रण वाला इस्तेमाल. इसके अलावा, पॉक्सो (यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून) के मामलों में वृद्धि और बाल विवाह की पुरानी प्रथा भी इसमें योगदान दे रही है. किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों के बीच रिश्ते बढ़ रहे हैं, और पारिवारिक ढांचे में तेजी से बदलाव आ रहा है. कुछ समुदायों में नाबालिगों की शादी करने की सदियों पुरानी परंपराएं भी इस समस्या को और गंभीर बना रही हैं. एक और डरावना चलन है, जिसे विशेषज्ञ 'सेल्फ-मेड पोर्न' कहते हैं. इसमें कुछ लड़कियां, जो अभी किशोरावस्था में ही हैं, लड़कों या पुरुषों के दबाव में आकर अपनी न्यूड तस्वीरें शेयर कर देती हैं. इसके बाद उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है और यौन कृत्यों के लिए मजबूर किया जाता है. यह समस्या सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है. ग्रामीण कर्नाटक में भी यह गहरी पैठ बना चुकी है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई किशोर गर्भधारण के पीछे ब्लैकमेल, जबरन शादी या सीधे यौन उत्पीड़न जैसे कारण हो सकते हैं. हर गांव में इंटरनेट की पहुंच हो गई है, लेकिन इसकी निगरानी नहीं होने से स्थिति और खराब हो रही है.

सोशल मीडिया और बदलते समय का असर

चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक वासुदेव शर्मा एनवी कहते हैं, '20 साल पहले हम टेलीविजन और सिनेमा को किशोरों में यौन गतिविधियों की वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराते थे. उस समय प्रिंट कंटेंट और पोर्नोग्राफी आसानी से मिलती थी. लेकिन आज हालात बदल गए हैं. अब वीडियो, फिल्में और रील्स का बोलबाला है. इनका लड़कियों और लड़कों पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है. वे एक्साइटेड हो रहे हैं और प्रयोग करने के लिए तैयार हैं.' वे आगे कहते हैं, 'इन चीजों की आसान पहुंच और नजदीकी सबसे बड़ा कारण है. किशोर बच्चे अब समाज में खुलेआम दिखने वाले सेक्सुअल प्रोपोज़ल्स को गलत नहीं मानते और उन्हें लगता है कि यह ठीक है.

आसानी से मिल जाते हैं ये साधन

आज की फिल्में पहले से कहीं ज्यादा खुलकर प्रेम और रिश्तों को दिखाती हैं. पहले ग्रामीण इलाके इससे बचे रहते थे, लेकिन अब यह हर जगह फैल गया है. विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट और गर्भनिरोधक साधन अब आसानी से मिलने लगे हैं, जिससे उनका इस्तेमाल भी बढ़ा है. इसका नतीजा यह हुआ कि किशोर गर्भधारण के मामले और बढ़ गए. वे चेतावनी देते हैं कि युवा लड़कियों को जीवन कौशल सिखाना बहुत जरूरी है. इसमें सुरक्षित इंटरनेट इस्तेमाल करना और इस तरह के अत्यधिक संपर्क के नतीजों को समझना शामिल होना चाहिए.

क्या होंगे सरकार के और कदम

सरकार सिर्फ गश्त करने तक सीमित नहीं रहना चाहती. वह एक नया कानूनी हथियार भी ला रही है- 'बाल विवाह निषेध (कर्नाटक संशोधन) विधेयक, 2025'. यह विधेयक वर्तमान विधानसभा सत्र में पेश किया गया है. इसका मकसद बाल विवाह को उसकी शुरुआत यानी योजना या तैयारी के स्तर पर ही रोकना है. इस कानून के तहत अगर कोई बाल विवाह की कोशिश करता है या उसकी तैयारी करता है, तो उसे दो साल तक की सख्त सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. यहां तक कि नाबालिगों की सगाई भी गैरकानूनी घोषित की जाएगी, जिससे परिवारों की एक चालाकी को खत्म किया जा सकेगा. इसके अलावा, न्यायाधीशों को ऐसी घटनाओं को होने से पहले ही रोकने के लिए तुरंत निषेधात्मक आदेश जारी करने का अधिकार होगा.

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