बचपन में जलाई थी पसंदीदा गुड़िया, शादी के समय पहनी थी मां की लाल साड़ी; पढ़ें इंदिरा गांधी के रोचक किस्से
इंदिरा गांधी का बचपन काफी अलग था. वे एक राजनीतिक परिवार में पली-बढ़ीं. उनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन इंदिरा एक आम बच्ची की तरह ही थीं. उन्हें खेलना-कूदना बहुत पसंद था. आइये उनकी जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े रोचक किस्सों के बारे में.

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जीवन अनेक रोचक घटनाओं और किस्सों से भरा हुआ था. इंदिरा गांधी एक ऐसी शख्सियत थीं जिनके बारे में जितना जानें उतना कम ही लगेगा. उनकी जिंदगी कई मोड़ों से भरी रही. बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने और उसके बाद तक उनके जीवन की कई बातें प्रेरणादायक और अनूठी हैं.
इंदिरा गांधी का बचपन काफी अलग था. वे एक राजनीतिक परिवार में पली-बढ़ीं. उनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन इंदिरा एक आम बच्ची की तरह ही थीं. उन्हें खेलना-कूदना बहुत पसंद था. आइये उनकी जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े रोचक किस्सों के बारे में.
जला दी थी पसंदीदा गुड़िया
जब वो छोटी थीं, तब उन्होंने अपनी गुड़िया को आग लगा दी थी. जब इंदिरा गांधी ने अपनी गुड़िया जलाई थी, तब उन्होंने यह संदेश दिया था कि वे बचपन की दुनिया को छोड़कर एक नई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. बच्चे के रूप में गुड़िया उनके लिए एक खास दोस्त थी. उन्होंने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने के लिए अपने खिलौनों और गुड़िया का त्याग किया. उस समय महात्मा गांधी का विदेशी सामान जलाने का आंदोलन जोरों पर था. इंदिरा गांधी ने अपनी विदेशी कपड़ों से बनी गुड़िया को आग में डालकर जलाया. यह घटना उनके स्वतंत्रता संग्राम के प्रति समर्पण को दिखाती है.
'वानर सेना' का गठन
बचपन में इंदिरा गांधी ने 'वानर सेना' नाम की एक बाल सेना बनाई थी. इस सेना का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग करना था. इसमें बच्चों को पत्र और संदेश पहुंचाने, रैलियों में हिस्सा लेने और राष्ट्रभक्ति के गीत गाने जैसे कार्य सौंपे जाते थे.
छोटी उम्र में स्वतंत्रता संग्राम का असर
इंदिरा के घर पर कई बार अंग्रेज अधिकारियों के छापे पड़ते थे. उनके पिता और दादा अक्सर जेल में रहते थे. इन हालातों ने उन्हें छोटी उम्र में ही कठोर और दृढ़ बना दिया. उनकी मां कमला नेहरू भी स्वास्थ्य के कारण परेशान रहती थीं, जिससे इंदिरा को परिवार की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ी.
शिक्षा के दौरान संघर्ष
इंदिरा गांधी ने अपनी शिक्षा भारत और विदेशों में प्राप्त की. वे शांति निकेतन (रवींद्रनाथ टैगोर के विश्वभारती विश्वविद्यालय) में पढ़ने गईं, लेकिन वहां का अनुशासन उन्हें बहुत कठोर लगा. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई की, लेकिन वहां भी स्वास्थ्य समस्याओं और द्वितीय विश्व युद्ध के कारण उनका अनुभव चुनौतीपूर्ण रहा.
लाल साड़ी का कनेक्शन
इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू की जब जवाहलाल नेहरू से शादी हुई तो उन्होंने लाल साड़ी पहनी थी. इसी साड़ी को इंदिरा गांधी ने भी फिरोज गांधी से शादी करते समय पहना था. इनके अलावा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने भी शादी के वक़्त इसी साड़ी को पहना था. जेवियर मोरो की लिखी किताब 'द रेड साड़ी' में भी इसका जिक्र मिलता है.
राजीव और संजय गांधी थे दो बेटे
इंदिरा गांधी के दो बेटे हुए, राजीव गांधी और संजय गांधी. दोनों की उम्र में दो साल का अंतर था. संजय गांधी को राजनीति में राजीव से पहले शामिल किया गया था और वे इंदिरा के बेहद करीब थे. आपातकाल (1975-77) के दौरान संजय गांधी की भूमिका विवादास्पद रही. 1980 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. वहीं, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने.
फिरोज गांधी से अलगाव
इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी शुरू में प्रेम और आपसी समझ पर आधारित थी, लेकिन समय के साथ उनके रिश्ते में दरारें आने लगीं. शादी के बाद इंदिरा गांधी का ध्यान अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के साथ राजनीतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में लग गया. फिरोज गांधी स्वतंत्र और स्पष्टवादी व्यक्ति थे, अपनी अलग पहचान बनाना चाहते थे. इंदिरा और फिरोज गांधी के बीच भावनात्मक दूरी आ गई थी, वे औपचारिक रूप से कभी अलग नहीं हुए. फिरोज गांधी 1960 में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु तक इंदिरा गांधी के जीवन में मौजूद रहे.
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्री के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी. वे 16 जुलाई 1969 से 27 जून 1970 तक भारत की वित्त मंत्री रहीं. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रहते हुए 19 जुलाई 1969 को 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. इस कदम से भारतीय बैंकों की पहुंच और नियंत्रण में बड़ा बदलाव आया. इसके साथ ही रुपए का अवमूल्यन भी किया था.
बांग्लादेश का निर्माण
इंदिरा गांधी के जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान निर्णायक भूमिका निभाई. उन्होंने साहस और नेतृत्व का परिचय देते हुए बांग्लादेश के निर्माण में सहयोग दिया. इंदिरा गांधी को इस निर्णायक युद्ध और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली. उन्हें 'दुर्गा' के रूप में भी संबोधित किया गया, जो उनकी ताकत और दृढ़ता को दर्शाता है.
ऑपरेशन ब्लू स्टार
ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय इतिहास की सबसे विवादास्पद और संवेदनशील घटनाओं में से एक है. 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना द्वारा किए गए इस सैन्य अभियान का नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया. यह ऑपरेशन उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. इंदिरा गांधी के इस निर्णय की काफी आलोचना हुई.
इंदिरा गांधी की हत्या
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी ने अपने सिख बॉडीगार्ड्स को हटाने का सुझाव ठुकरा दिया. 31 अक्टूबर 1984 को उनके ही सिख अंगरक्षकों, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह, ने उनकी हत्या कर दी. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिनमें हजारों सिख मारे गए. ये दंगे भारतीय समाज और राजनीति पर एक गहरा दाग बन गए.