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देपसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसइंगेजमेंट हुआ पूरा

भारत ने 21 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौते की घोषणा की थी. इस समझौते के तहत चार साल से अधिक समय से चल रहा सैन्य गतिरोध ख़त्म हो गया था. सेना के प्रवक्ता ने बताया था कि डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लगभग दिवाली तक पेट्रोलिंग शुरू हो जाएगी.

देपसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसइंगेजमेंट हुआ पूरा
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 29 Oct 2024 7:27 PM IST

पूर्वी लद्दाख सेक्टर के देपसांग और डेमचोक से पूरी तरह भारत और चीन के सैनिक पीछे हट गए हैं. दोनों देश की सेना अपने जगह खाली कर बुनियादी ढांचे को हटा दिया है. सेना के प्रवक्ता ने बताया था कि डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लगभग दिवाली तक पेट्रोलिंग शुरू हो जाएगी.

बता दें, भारत ने ब्रिक्स सम्मलेन से पहले 21 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौते की घोषणा की थी. इस समझौते के तहत चार साल से अधिक समय से चल रहा सैन्य गतिरोध ख़त्म हो गया था.

सैन्य वापसी था पहला कदम: विदेश मंत्री

दोनों देशों की सहमति के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, "दोनों देशों के बीच विश्वास बनाने में समय लगेगा, लेकिन सैनिकों की वापसी महत्वपूर्ण है." उन्होंने कहा कि दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सैन्य वापसी पहला कदम है और तनाव को कम करना अगला कदम है.

तीन मुद्दों पर हुआ समझौता

तीनों मुद्दों पर हुआ समझौता. पहला 'एक दूसरे के बहुत करीब हैं और कुछ घटित होने की संभावना है.' दूसरा 'तनाव कम करना' और तीसरा 'बड़ा मुद्दा है कि आप सीमा का प्रबंधन कैसे करेंगे और सीमा समझौते पर बातचीत कैसे करेंगे.'

गश्त का क्या बना नियम?

रिपोर्ट के अनुसार, गश्त शुरू होने के बाद नियमित ग्राउंड कमांडरों की बैठकें होती रहेंगी. गश्त में शामिल सैनिकों की ताकत की पहचान की गई है. किसी भी गलत संचार से बचने के लिए जब दोनों टीम गश्त करने जा रहे हो तो एक-दूसरे को सूचना देना होगा.

2020 में क्या हुआ था?

जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था. इसमें दोनों देशों के बीच के रिश्ते खराब हो गए थे. अगर एलएसी पर भारत और चीन गलवान से पहले यानी अप्रैल 2020 की स्थिति में आ जाते हैं तो ये भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक और सैन्य जीत होगी.

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