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भारत ने अमेरिका को दिखाया ठेंगा! India ने Russia से डील कर ट्रंप की धमकी को किया नजरअंदाज, ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के दबाव और ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बावजूद भारत ने रूसी तेल की खरीद नहीं रोकी है. भारत के रिफाइनर्स ने रूस से आयात जारी रखा है, जिससे यह साफ है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं करेगा.

भारत ने अमेरिका को दिखाया ठेंगा! India ने Russia से डील कर ट्रंप की धमकी को किया नजरअंदाज, ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
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( Image Source:  Sora_ AI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 3 Aug 2025 5:15 PM IST

भारत सरकार ने अपने तेल रिफाइनरों को रूसी कच्चे तेल की खरीद पर रोक लगाने का कोई आधिकारिक निर्देश नहीं दिया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला ऊर्जा सुरक्षा की आवश्यकता और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूस पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर की गई आलोचना के बावजूद, भारत ने अब तक अपने तेल आयात नीति में कोई ठोस बदलाव नहीं किया है.

सूत्रों के अनुसार, भारत की रिफाइनरियां, चाहे वे सरकारी हों या निजी, तेल खरीद में वाणिज्यिक मानकों और कीमतों को प्राथमिकता देती हैं। सरकार ने उन्हें किसी विशेष आपूर्तिकर्ता से खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है.

अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत का संतुलित रुख

हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत की रूस से तेल और रक्षा उपकरणों पर निर्भरता की तीखी आलोचना की थी और भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी. उन्होंने यह भी दावा किया था कि भारत रूसी तेल की खरीद रोकने जा रहा है, जिसे उन्होंने “सकारात्मक कदम” बताया था। लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में इसका खंडन करते हुए कहा गया कि भारत ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है.

ऊर्जा जरूरतें और वैकल्पिक योजनाएं

भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि उसके ऊर्जा खरीद निर्णय बाजार की स्थितियों और कीमतों पर आधारित होते हैं. हालांकि, ब्लूमबर्ग के अनुसार, रिफाइनरों को वैकल्पिक आपूर्ति योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए गए थे ताकि आवश्यकता पड़ने पर रूसी तेल का विकल्प उपलब्ध हो.

अमेरिका-यूरोप की आलोचना, लेकिन भारत अडिग

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस से सबसे अधिक समुद्री तेल खरीदने वाला देश बन गया है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इसे रूस के युद्ध प्रयासों के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन बताया है, लेकिन भारत ने बार-बार अपने निर्णयों को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से उचित ठहराया है.

अमेरिकी और खाड़ी देशों से भी हो रही है खरीद

ब्लूमबर्ग ने व्यापारियों के हवाले से बताया कि सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने अमेरिका से 50 लाख बैरल और अबू धाबी से 20 लाख बैरल तेल की खरीद की है. यह निकट भविष्य के लिए सप्लाई सुनिश्चित करने की रणनीति का हिस्सा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर में मॉस्को की यात्रा की थी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गहरे संबंधों को मजबूत किया है. उम्मीद की जा रही है कि पुतिन इस वर्ष भारत की यात्रा पर आ सकते हैं, जिससे दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूती मिलेगी.

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