चीन को साइड मीटिंग क्यों है पसंद? कभी SCO, कभी ब्रिक्स तो कभी G20, हर मुलाकात में कम होती गई भारत से दूरियां
China-India Relations: भारत से रिश्तों को सुधारने के लिए चीन ने अलग राह चुनी है. दोनों देशों ने अपने देश से बाहर मिलकर रिश्तों को नई राह देने की कोशिश की है. ऐसे में इस साइड मीटिंग से ही सही रिश्तें ठीक हो रहे हैं.

China-India Relations: भारत और चीन के बीच दूरियां जरूर घट रही है, लेकिन ये सब कुछ दोनों देशों के बीच भारत और चीन में मीटिंग से नहीं हो रही है, बल्कि देश से बाहर हो रहे साइड मीटिंग के जरिए हो रहा है, जो कि कूटनीति का एक बड़ा हिस्सा है. दोनों देश अपने रिश्तों में पुरानी कड़वाहट को भुलाकर बेहतरी की बात कर रहे हैं.
अभी हाल में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी से रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन में मुलाकात की, जिसकी तस्वीरें सुधरे रिश्तों का गवाह बन रहा है दोनों ही नेताओं ने LOC पर तनाव को और कम करने पर चर्चा की है. हालांकि, इन सबके बीच सवाल ये है कि आखिर चीन को साइड मीटिंग ही क्यों पसंद आ रहा है.
चीन की साइड मीटिंग के मायने
चीन, भारत से रिश्तों में सुधार तो चाहता है, लेकिन जरा हटके. इससे अंदाजा ये लगाया जा है कि वह रिश्तों को ठीक भी करने में लगा है. इस शर्त पर कि दुनिया के बीच वह झुका हुआ न दिखे. अपनी विस्तारवादी नीति के लिए जाने जाने वाले चीन का भारत ने खूब विरोध किया और आखिर में चीन जब अपने हर कोशिश में नाकाम साबित रहा, तो अपने दुश्मन से दोस्ती की राह को ही ठीक समझा. ये सब चीन दुनिया से मुंह चुराकर कर रहा है.
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से हुई शुरुआत
रूस में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में 23 अक्टूबर 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सम्मेलन से हटकर मुलाकात हुई, जहां दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक की. 5 साल बाद हुई ये मुलाकात 50 मिनट तक चली, जिसने दोनों देशों के रिश्तों को लेकर एक नई शुरुआत की नींव रखी. इस मुलाकात में चीन ने साइड मीटिंग का ही रास्ता अपनाया.
पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भी चीन ने साइड मीटिंग का सहारा लिया, जहां चीन के पीएम ली शियांग और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 अक्टूबर 2024 को मुलाकात की. इस मीटिंग को भी चीन के साइड मीटिंग का हिस्सा ही माना गया.
भटके रास्ते को मिल रही है नई राह
माना जा रहा है कि एशिया में देशों के बीच बिगड़ते स्थिति को देखते हुए दोनों देशों ने रिश्तों को सुधारने पर जोर दिया, लेकिन ये सारी चीजें दोनों देशों के अंदर नहीं, बाहर शुरू हुई. चीन को भाने वाले इस साइड मीटिंग ने आगे की राह आसान कर दी है, जो आने समय में एशिया के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.