India Justice Report 2025: न्याय की जंग में साउथ ने मारी बाजी, बंगाल फेल! क्या है बाकी राज्यों का हाल?
रिपोर्ट बताती है कि देश में पुलिस-जनसंख्या अनुपात अब भी चिंताजनक है, हर 1 लाख की आबादी पर केवल 155 पुलिसकर्मी, जबकि मंजूर अनुपात 197.5 का है. बिहार का हाल सबसे बुरा है, जहां ये संख्या केवल 81 प्रति लाख है. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए जो बजट पास किया जाता है, उसका बड़ा हिस्सा सिर्फ वेतन देने में चला जाता है.

भारत की न्याय व्यवस्था से जुड़ी चौथी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 ने साफ कर दिया है कि देश की कानून-व्यवस्था और न्याय वितरण के मामले में दक्षिण भारत के राज्य सबसे आगे हैं. जहां कर्नाटक ने पहला स्थान हासिल किया, वहीं पश्चिम बंगाल फिसलकर सबसे नीचे पहुंच गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों ने पुलिसिंग, जेल प्रबंधन, न्यायपालिका और लीगल एड जैसे चारों अहम पैमानों पर शानदार प्रदर्शन किया. दूसरी ओर, उत्तर भारत के कुछ बड़े राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और उत्तराखंड रिपोर्ट के निचले पायदान पर हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट?
- कर्नाटक: 10 में से 6.78 अंक के साथ टॉप पर
- पश्चिम बंगाल: केवल 3.63 स्कोर, लिस्ट में सबसे नीचे
- तेलंगाना: पिछली बार 11वें स्थान पर, अब सीधे तीसरे स्थान पर छलांग
- बिहार: पुलिस व्यवस्था में सबसे ज्यादा सुधार
- राजस्थान, केरल, मध्य प्रदेश: न्यायिक सेवाओं में तेजी से उभरे
- हरियाणा: लीगल एड की व्यवस्था में बड़ा सुधार
- झारखंड और ओडिशा: जेल प्रबंधन में बेहतरी
रिपोर्ट बताती है कि देश में पुलिस-जनसंख्या अनुपात अब भी चिंताजनक है, हर 1 लाख की आबादी पर केवल 155 पुलिसकर्मी, जबकि मंजूर अनुपात 197.5 का है. बिहार का हाल सबसे बुरा है, जहां ये संख्या केवल 81 प्रति लाख है.
प्रिज़न सिस्टम की हकीकत
पिछले 10 वर्षों में देश की जेलों में बंद कैदियों की संख्या लगभग 50% बढ़ चुकी है. और चिंता की बात यह है कि इनमें से 76% कैदी अभी भी अंडर-ट्रायल यानी मुकदमे के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.
कहां फेल हो रही है सरकारें?
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए जो बजट पास किया जाता है, उसका बड़ा हिस्सा सिर्फ वेतन देने में चला जाता है. इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी जैसे पहलुओं के लिए पैसा न के बराबर बचता है, जिससे पुलिसिंग और न्याय व्यवस्था की क्वालिटी प्रभावित होती है.
कहां बेहतर हुई पुलिसिंग, कहां बिगड़ी न्याय प्रणाली?
हर राज्य दावा करता है कि उसकी पुलिस और न्याय प्रणाली जनता की सेवा में सबसे आगे है, लेकिन India Justice Report 2025 के आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं. इस रिपोर्ट ने बताया है कि कौन से राज्य वाकई सुधार कर रहे हैं और कौन अब भी पीछे छूट रहे हैं, चार मुख्य स्तंभों—पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता—के आधार पर.
बिहार: पुलिसिंग में सबसे बड़ी छलांग
जैसा कि रिपोर्ट बताती है, बिहार ने 2022 से 2025 के बीच पुलिस व्यवस्था में सबसे अधिक सुधार किया है. बेहतर भर्ती, नई ट्रेनिंग और पुलिस फोर्स की रिक्तियों को भरने के चलते बिहार ने अपनी छवि को थोड़ा बेहतर किया है, हालांकि पुलिस-पॉपुलेशन रेशियो अब भी देश में सबसे कम है—81 पुलिसकर्मी प्रति लाख आबादी.
राजस्थान, केरल और मध्य प्रदेश: न्यायपालिका में सुधार
इन तीन राज्यों ने जजों की नियुक्ति, लंबित मामलों की संख्या कम करने, और कोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे पैमानों पर काफी काम किया है. राजस्थान में Fast Track Courts की संख्या बढ़ी तो वहीं केरल में डिजिटल फाइलिंग को बढ़ावा मिला जबकि मध्य प्रदेश में जिला स्तर पर कोर्टों को सशक्त किया गया.
ओडिशा और झारखंड: जेलों की स्थिति में सुधार
इन राज्यों ने जेलों में भीड़भाड़ को कम करने, कैदियों की शिक्षा और काउंसलिंग जैसी सुविधाओं को बेहतर करने पर काम किया है. अंडरट्रायल कैदियों को तेजी से बेल देना, जेल स्टाफ की ट्रेनिंग और महिला बंदियों के लिए विशेष सुविधा जैसे कदम उठाए हैं.
हरियाणा: कानूनी सहायता में नंबर वन
हरियाणा ने लीगल एड क्लिनिक्स, पंचायत स्तर तक लीगल अवेयरनेस और गरीबों के लिए मुफ्त वकीलों की उपलब्धता बढ़ाई. इससे वो इस कैटेगरी में टॉप कर गया.