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ठिठुरती ठंड के लिए हो जाइए तैयार! IMD ने दे दी चेतावनी, इतनी डिग्री सेल्सियस तक जा सकती है तापमान

IMD Alert: आईएमडी ने सर्दियों के मौसम में ठंड बढ़ने की आशंका जताई है. इसे लेकर अलर्ट भी जारी किया है और लोगों को इसके लिए तैयार रहने की सलाह दी है.

ठिठुरती ठंड के लिए हो जाइए तैयार! IMD ने दे दी चेतावनी,  इतनी डिग्री सेल्सियस तक जा सकती है तापमान
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IMD Alert
सचिन सिंह
by: सचिन सिंह

Published on: 10 Sept 2024 4:20 PM

IMD Alert: साल 2024 की भीषण गर्मी झेलने के बाद अब कड़ाके की ठंड को लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दे डाली है. आईएमडी ने देश में अत्यधिक और कठोर सर्दी का पूर्वानुमान लगाया है. मौसम विभाग ने सितंबर 2024 में ला नीना घटना की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए कहा है कि इससे पूरे देश में भारी वर्षा हो सकती है. इसके साथ ही तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल सकता है.

आईएमडी के मुताबिक, भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग डिग्री की सर्दी पड़ने की संभावना है और इसका प्रभाव एक जैसा नहीं होगा. इसका मतलब यह है कि जहां कुछ क्षेत्रों में अधिक ठंड और कुछ में अधिक ठंडी सर्दियां पड़ सकती हैं. वहीं अन्य क्षेत्रों में निश्चित रूप से हल्की परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं.

उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में काफी ठंड पड़ सकती है. तापमान करीबन 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. तापमान में यह गिरावट अधिक वर्षा के साथ कृषि को भी नुकसान पहुंचा सकता है. खासकर उन क्षेत्रों में जो सर्दियों की फसलों पर निर्भर हैं.

मौसम विभाग ने इसे लेकर नागरिकों को आने वाली सर्दियों के मौसम के लिए अच्छी तरह से तैयार रहने की चेतावनी दी है. साथ ही हीटिंग, कपड़े और अन्य सभी आवश्यक आपूर्तियों को पहले से ही स्टॉक करने की सलाह दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार भी विशेष क्षेत्रों में कुछ उपाय जारी करने का निर्देश जारी कर सकती है, जिससे इन सर्दियों के बाद के प्रभावों को कम किया जा सके.

कैसे ला नीना घटना लाएगी अत्यधिक सर्दी?

ला नीना घटना भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में सतह के कम तापमान के कारण होती है, जिससे बारिश और कठोर सर्दियों जैसे जलवायु परिणाम सामने आते हैं. यह एल नीनो घटना का ठंडा हिस्सा है, जो इसके बजाय गर्म प्रभाव लाता है.

आमतौर पर ला नीना घटना अप्रैल और जून के दौरान शुरू होती है और अक्टूबर और फरवरी के बीच के महीनों में और भी तीव्र हो जाती है. यह घटना पूर्वी हवाओं की मदद से आगे बढ़ाई जाती है जो बदले में समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है.

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