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बाहर से आने वाले अगर परिवार को भूखा नहीं रखना चाहते तो... मराठी विवाद की आग में राज ठाकरे ने डाला घी

मुंबई में एक डिलीवरी बॉय से मराठी नहीं बोलने पर हुए विवाद ने महाराष्ट्र में भाषा की राजनीति को फिर गर्मा दिया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र सिर्फ मराठियों की भूमि है. प्रवासी यहां सिर्फ पेट भरने आते हैं. अगर परिवार पालना है, तो मराठी सीखनी ही होगी। नहीं तो ये धरती छोड़नी होगी.”

बाहर से आने वाले अगर परिवार को भूखा नहीं रखना चाहते तो... मराठी विवाद की आग में राज ठाकरे ने डाला घी
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 17 May 2025 10:57 AM

मुंबई में एक डिलीवरी बॉय से मराठी नहीं बोलने पर हुए विवाद ने महाराष्ट्र में भाषा की राजनीति को फिर गर्मा दिया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र सिर्फ मराठियों की भूमि है. प्रवासी यहां सिर्फ पेट भरने आते हैं. अगर परिवार पालना है, तो मराठी सीखनी ही होगी। नहीं तो ये धरती छोड़नी होगी.”

राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर के साथ यह विवादास्पद संदेश शेयर किया और लिखा, “अगर आप उस राज्य की भाषा का सम्मान नहीं कर सकते, तो ऐसे राज्य में जाएं जो आपकी भाषा का समर्थन करता हो.” उनका यह बयान उस वीडियो के बाद आया, जिसमें MNS कार्यकर्ता एक डिलीवरी बॉय से जबरन माफी मंगवाते दिख रहे हैं. वह कैमरे पर कहता है, “मैं मराठी सीखूंगा भी और बोलूंगा भी.”

राज के इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है. एक आर्मी वेटरन ने पूछा—“क्या यही तर्क उन मराठियों पर भी लागू होगा जो बाकी राज्यों में काम कर रहे हैं?” वहीं एक यूज़र ने लिखा, “राज्य किसी एक भाषा या जाति का नहीं होता. घर आपका हो सकता है, राज्य नहीं.”

कई लोगों ने कहा कि भाषा संवाद का जरिया है, न कि पहचान की दीवार. एक यूज़र ने लिखा, “अगर भारत में रहना है तो हिंदी बोलनी चाहिए, वरना भारत छोड़ो.” जबकि कुछ ने यह मुद्दा हिंदी थोपने के खिलाफ क्षेत्रीय प्रतिक्रिया बताया.

राज ठाकरे का यह बयान न सिर्फ मराठी अस्मिता को केंद्र में लाता है, बल्कि देश में भाषायी असहिष्णुता और राजनीतिक ध्रुवीकरण की बहस को और तीखा कर देता है.

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