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'मैं अपने तरीके से काम करूंगा...' धर्म और जाति की राजनीति करने वालो पर क्यों भड़के नितिन गडकरी?

Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में हूं और यहां यह सब चलता रहता है, लेकिन मैं इससे इनकार करता हूं, भले ही इससे मुझे वोट मिले या न मिले. उन्होंने जाति के आधार पर राजनीति करने वालों को खरी-खोटी सुनाई.

मैं अपने तरीके से काम करूंगा... धर्म और जाति की राजनीति करने वालो पर क्यों भड़के नितिन गडकरी?
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( Image Source:  ANI )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Published on: 16 March 2025 9:39 AM

Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हमेशा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. इन दिनों वह अपने जाति और धर्म को लेकर टिप्पणी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. उन्हें जाति की राजनीति करने वालों पर हमला बोला और कहा कि वह सार्वजनिक चर्चा में धर्म और जाति को नहीं लाते क्योंकि समाज की सेवा को सबसे ऊपर माना जाता है.

केंद्रीय मंत्री शनिवार को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित अल्पसंख्यक संस्थान के दीक्षांत कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने जाति के आधार पर राजनीति करने वालों को खरी-खोटी सुनाई. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

नितिन गडकरी का संबोधन

  • केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संबोधन में कहा, कोई भी व्यक्ति अपनी जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा या लिंग से नहीं जाना जाता, बल्कि केवल अपने गुणों से जाना जाता है. इसलिए हम इनके आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे.
  • मंत्री ने कहा, मैं राजनीति में हूं और यहां यह सब चलता रहता है, लेकिन मैं इससे इनकार करता हूं, भले ही इससे मुझे वोट मिले या न मिले.
  • नितिन गडकरी ने कहा कि बहुत से लोग जाति के आधार पर मुझसे मिलने आते हैं. मैंने 50,000 लोगों से कहा, जो करेगा जाट की बात, उसके कस के मारूंगा लात.
  • उन्होंने कहा कि मेरे दोस्तों ने मुझसे कहा कि ऐसा कहकर मैंने खुद को नुकसान पहुंचाया होगा, लेकिन मुझे इसकी चिंता नहीं है. चुनाव हारने से कोई अपनी जान नहीं गंवाता. मैं अपने सिद्धांतों पर कायम रहूंगा.
  • केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं अपने जीवन में इसी रास्ते पर चलूंगा फिर उसका परिणाम कुछ भी हो. अगर चुनाव हार भी जाता हूं और मुझे मंत्री पद नहीं मिलता, तो भी मुझे फर्क नहीं पड़ेगा.
  • उन्होंने कहा, जब वह एमएलसी थे तो इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति अनजुमन-ए-इस्लाम संस्थान को दी थी. क्योंकि उन्हें लगा कि इसकी ज्यादा जरूरत है.
  • अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस ऑफिसर बनते हैं तो सभी का विकास होगा.
  • आज हजारों छात्र अनजुमन-ए-इस्लाम में पढ़कर इंजीनियर बने हैं. उन्हें मौका नहीं मिलता तो कुछ भी नहीं होता. उन्होंने कहा कि शिक्षा की शक्ति ऐसी है जो मनुष्य का जीवन और समुदायों को बदल सकती है.
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