मैं घर लौटना चाहती हूं, लेकिन... दिल्ली में बोलीं शेख हसीना और बांग्लादेश में मच गया सियासी भूचाल
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिल्ली से अपने निर्वासन के दौरान कहा कि वह तभी लौटेंगी जब देश में लोकतंत्र और संवैधानिक शासन बहाल होगा. रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अवामी लीग पर लगे प्रतिबंध को “अन्यायपूर्ण” बताया और अंतरिम सरकार पर सवाल उठाए. हसीना ने मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को साजिश करार देते हुए कहा – “मेरे खिलाफ केस राजनीति से प्रेरित हैं.”
दिल्ली के लोधी गार्डन में टहलती 78 वर्षीय शेख हसीना अब सत्ता से दूर हैं, लेकिन दिल अब भी बांग्लादेश की मिट्टी में रचा-बसा है. एक समय देश की सबसे ताकतवर नेता रहीं हसीना आज निर्वासन में रहकर लोकतंत्र की लड़ाई का चेहरा बन चुकी हैं. दिल्ली में निर्वासन के दौरान उन्होंने पहली बार खुलकर कहा, “मैं घर लौटना चाहती हूं, लेकिन केवल तब जब वहां लोकतंत्र और संवैधानिक शासन बहाल हो.”
15 साल तक लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना का सत्ता से पतन जितना नाटकीय था, उतना ही भावनात्मक भी. छात्र आंदोलन की हिंसा के बीच अगस्त 2024 में उन्हें देश छोड़ना पड़ा. अब वे नई दिल्ली में रह रही हैं और वहीं से अपने देश की राजनीतिक दिशा पर नज़र बनाए हुए हैं. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने साफ कहा कि जब तक अवामी लीग को चुनाव से दूर रखा जाएगा, तब तक वह किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं बनेंगी.
लोकतंत्र से बेदखली पर हसीना का दर्द
हसीना ने कहा कि अवामी लीग पर लगाया गया प्रतिबंध लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा झटका है. उन्होंने इसे “अन्यायपूर्ण और आत्मघाती” बताया. उनका कहना है कि बांग्लादेश के करोड़ों मतदाता इस प्रतिबंध से वंचित हो जाएंगे, जिससे चुनाव की वैधता पर सवाल खड़े होंगे.
नोबेल विजेता यूनुस की अंतरिम सरकार पर तंज
उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार को जनता की आवाज़ सुननी चाहिए. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी सरकार ने फरवरी 2025 में चुनाव कराने की घोषणा की है, लेकिन हसीना के अनुसार, “अगर जनता के सबसे बड़े दल को ही बाहर कर दिया जाएगा, तो यह लोकतंत्र नहीं, नाटक होगा.”
“अवामी लीग को मौका मिले तो लोग खुद बोलेंगे”
हसीना ने कहा कि अवामी लीग किसी पार्टी से समर्थन नहीं मांग रही, बस उसे निष्पक्ष चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार “सामान्य बुद्धि” से काम लेगी और अवामी लीग को चुनाव मैदान में उतरने की अनुमति देगी.
मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर सफाई
हसीना पर लगे “मानवता विरोधी अपराधों” के आरोपों को उन्होंने राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा, “मुझ पर जो केस चल रहा है, वह पहले से तय स्क्रिप्ट है. अदालतों में कोई निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो रही. यह सब मुझे हमेशा के लिए राजनीति से दूर करने की साजिश है.”
2024 के हिंसक छात्र आंदोलन की परछाई
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से अगस्त 2024 के बीच हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों में 1,400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. कहा गया कि सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की. हसीना ने इन घटनाओं में अपनी व्यक्तिगत भूमिका से इनकार किया और कहा कि उन्होंने कभी हिंसा का आदेश नहीं दिया.
परिवार से अधिक लोकतंत्र पर ध्यान
हसीना ने कहा कि बांग्लादेश का भविष्य किसी एक परिवार से नहीं, बल्कि लोकतंत्र से तय होगा. उन्होंने अपने बेटे सजीब वाजेद के नेतृत्व की संभावना पर कहा, “यह आंदोलन मेरे परिवार का नहीं, बल्कि संविधान और जनादेश की बहाली का है.”
दिल्ली में निर्वासन
दिल्ली में रह रहीं हसीना सादगी भरा जीवन जी रही हैं. उन्हें कई बार लोधी गार्डन में साधारण सुरक्षा के साथ टहलते देखा गया है. वह कहती हैं, “मैं यहां आज़ाद हूं, लेकिन सतर्क भी. मेरे परिवार ने 1975 में जो खोया, वह कभी नहीं भुलाया जा सकता.”
“वापसी तभी, जब देश में कानून और व्यवस्था हो”
इंटरव्यू के अंत में उन्होंने कहा, “मेरा दिल बांग्लादेश में है. अगर वहां वैध सरकार, शांति और कानून व्यवस्था होगी, तो मैं लौट आऊंगी. अभी नहीं.” उनके इस बयान ने फिर से बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी है.





