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150 साल पहले कैसे हुआ था भारतीय मौसम विभाग का गठन? वेदों और उपनिषदों से जुड़ी हैं जड़ें

पीएम मोदी ने कहा कि इन 150 वर्षों में आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक यात्रा का प्रतीक भी बन गया है. आज इन उपलब्धियों पर एक डाक टिकट और एक विशेष सिक्का भी जारी किया गया है. आईएमडी ने युवाओं को 150 वर्षों की यात्रा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय मौसम विज्ञान ओलंपियाड का आयोजन किया, जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया.

150 साल पहले कैसे हुआ था भारतीय मौसम विभाग का गठन? वेदों और उपनिषदों से जुड़ी हैं जड़ें
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 14 Jan 2025 4:48 PM

150 Years of IMD: पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर 'मिशन मौसम' लॉन्च किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज हम भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी के 150 वर्षों का उत्सव मना रहे हैं. यह केवल भारतीय मौसम विभाग की यात्रा नहीं है, बल्कि यह हमारे देश में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की यात्रा भी है.

पीएम मोदी ने कहा कि इन 150 वर्षों में आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक यात्रा का प्रतीक भी बन गया है. आज इन उपलब्धियों पर एक डाक टिकट और एक विशेष सिक्का भी जारी किया गया है. आईएमडी ने युवाओं को 150 वर्षों की यात्रा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय मौसम विज्ञान ओलंपियाड का आयोजन किया, जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया. आइये जानते हैं कि आईएमडी का इतिहास क्या रहा है?

कब हुई थी स्थापना?

भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना 1875 में भारत सरकार द्वारा की गई थी, जिससे देश में मौसम विज्ञान संबंधी कार्यों का केंद्रीयकरण हुआ. तब से इसने मौसम विज्ञान को एक आधुनिक भौतिक विज्ञान के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. IMD ने अपनी क्षमताओं को लगातार उन्नत और विस्तारित किया है ताकि मौसम और जलवायु सेवाओं में सुधार किया जा सके. इसका योगदान देश और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है.

क्यों हुआ था IMD का गठन?

इसका गठन 1864 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में आए विनाशकारी चक्रवात और 1866 एवं 1871 में लगातार मानसून का पूर्वानुमान न कर पाने के बाद हुआ था. साल 1875 में कुछ वर्षामापी यंत्रों से शुरुआत करने से लेकर, विश्व की सर्वश्रेष्ठ मौसम एजेंसियों से प्रतिस्पर्धा करने तक, IMD ने एक साधारण सेटअप से मौसम विज्ञान के अत्याधुनिक केंद्र में तब्दील होते हुए पूर्वानुमान लगाने में वैश्विक नेता बनने तक का सफर तय किया है.

प्राचीन काल से जुड़ी हैं जड़ें

भारत में मौसम विज्ञान की जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हुई हैं. प्राचीन दार्शनिक ग्रंथ, जैसे कि उपनिषद (लगभग 3000 ईसा पूर्व), में बादलों के निर्माण, वर्षा की प्रक्रिया और ऋतु चक्रों का उल्लेख मिलता है. आधुनिक मौसम विज्ञान को 17वीं शताब्दी में वैज्ञानिक आधार मिला, जब थर्मामीटर, बैरोमीटर का आविष्कार हुआ और वायुमंडलीय गैस कानून तैयार किए गए. पहला मौसम विज्ञान वेधशाला 1785 में कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में स्थापित किया गया था.

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