आजादी के बाद भारत से कितना अलग था पाकिस्तान का बजट, किन मुद्दों पर था फोकस? जानें सबकुछ
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान का पहला बजट कब पेश किया गया था, किसने पेश किया था और आजादी के बाद पाकिस्तान का बजट भारत से कितना अलग था? अगर नहीं तो कोई बात नहीं. आइए, हम आपको इन सभी सवालों के जवाब बताते हैं...

India First Budget vs Pakistan First Budget: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. आज यानी 31 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत हुई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में बजट कब पेश होता है और आजादी के बाद उसका बजट भारत से कितना अलग था. अगर नहीं, तो आइए जानते हैं...
पाकिस्तान का वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से शुरू होता है. हालांकि, बजट पेश करने की कोई तारीख तय नहीं है. पिछली बार जून में वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने 18,877 अरब पाकिस्तानी रुपये (भारतीय मुद्रा में 5.65 लाख करोड़ रुपेय) का बजट पेश किया था. वहीं, भारत में पिछले साल वित्त मंत्री ने 47.65 लाख करोड़ करोड़ रुपये का बजट पेश किया था.
पाकिस्तान का पहला बजट कब पेश हुआ था?
पाकिस्तान का पहला बजट 11 जुलाई 1948 को पेश हुआ था. इसे पहले वित्त मंत्री ग़ुलाम मोहम्मद ने पेश किया था. इसने देश की आर्थिक दिशा और प्राथमिकताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी . भारत से विभाजन के कारण पाकिस्तान को युद्ध, पलायन, और आप्रवासियों के विशाल प्रवाह का सामना करना पड़ा था,. इससे देश की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक हो गई थी. उस समय पाकिस्तान की सरकार को इन समस्याओं से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय उपायों की जरूरत थी.
पाकिस्तान के पहले बजट की खासियत
पहले बजट का मुख्य मकसद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारना और विकास की आधारशिला रखना था. इस बजट में सबसे बड़ी चिंता देश के राजस्व प्राप्ति और खर्चों के संतुलन को बनाए रखना था. देश को अपनी नई सरकार और प्रशासन की स्थापना के लिए भारी संसाधनों की जरूरत थी. इसके साथ ही युद्ध के बाद के प्रभावों से उबरने के लिए भी उपायों की आवश्यकता थी.
पहले बजट का मकसद क्या था?
पहले बजट का मुख्य उद्देश्य देश को वित्तीय स्थिरता की दिशा में ले जाना था. तत्कालीन वित्त मंत्री ग़ुलाम मोहम्मद ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि सरकार के पास पर्याप्त संसाधन हों, जिससे नए राष्ट्र के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके. बजट में कई ऐसी योजनाएं शामिल थीं, जिनसे पाकिस्तान के नए संस्थानों और विभागों की स्थापना में मदद मिली.
बजट ने पाकिस्तान के औद्योगिकीकरण, कृषि क्षेत्र की सुधार योजनाओं और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए दिशा प्रदान किया. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक कृषि पर निर्भर थी. इसलिए बजट में प्रमुख रूप से कृषि क्षेत्र से राजस्व जुटाने की योजनाएं शामिल की गईx. सरकार ने कृषि कर और अन्य करों के जरिए राजस्व जुटाने के उपायों पर ध्यान दिया.
यह बजट पाकिस्तान के पहले वित्तीय वर्ष (1947-48) के लिए था और इसके माध्यम से पाकिस्तान की सरकार ने अपनी वित्तीय नीति को स्थापित किया. हालांकि यह बजट अधिकतर संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में पेश किया गया था, लेकिन इसके माध्यम से सरकार ने आर्थिक स्थिरता की दिशा में पहला कदम उठाया. इस बजट ने भविष्य में पाकिस्तान के आर्थिक नीति निर्धारण के लिए राह दिखाई.
भारत ने अपना पहला बजट कब पेश किया?
भारत ने पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. इसका साइज 171.15 करोड़ रुपये था. इस बजट में विभाजन को सबसे मार्मिक मानवीय त्रासदी बताया गया. इस बजट में 27 करोड़ रुपये राहत और पुनर्वास, 12 करोड़ रुपये स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए, जबकि 22 करोड़ रुपये पेंशन और ब्याज के भुगतान के लिए आवंटित किया गया था. इस बजट को आर के षणमुखम शेट्टी ने पेश किया था.यह बजट पूर्णकालिक बजट नहीं था. इसमं कोई नया टैक्स लागू नहीं किया गया था. 1952 में पहली बार देश के नागरिकों के द्वारा चुनी गई सरकार के वित्त मंत्री व आरबीआई के प्रथम गवर्नर सी डी देशमुख ने बजट पेश किया था.
आजादी के बाद भारत से कितना अलग था पाकिस्तान का बजट?
आजादी के बाद पाकिस्तान का बजट भारत से काफी अलग था. पाकिस्तान का बजट मुख्य रूप से कृषि और विनिर्माण पर केंद्रित था, जबकि भारत का बजट विविध क्षेत्रों पर केंद्रित था. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी, इसलिए बजट में कृषि क्षेत्र को विशेष महत्व दिया गया था. पाकिस्तान ने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए थे. बजट में सैन्य खर्च का एक बड़ा हिस्सा था, जो देश की सुरक्षा और रक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए था. इन बातों से पता चलता है कि पाकिस्तान का बजट भारत से काफी अलग था. यह देश की विशिष्ट आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं पर केंद्रित था.