गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं! रावण का उदाहरण देकर मोहन भागवत ने पहलगाम हमले पर ये क्या कह दिया PAK को; सुनिए VIDEO
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली में 'द हिंदू मैनिफेस्टो' के विमोचन के दौरान पहलगाम आतंकी हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब सुधार संभव न हो, तो कठोर कदम जरूरी हैं. भागवत ने पड़ोसी देशों, खासकर पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि भारत किसी की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेगा.

दिल्ली में स्वामी विज्ञानानंद की किताब 'द हिंदू मैनिफेस्टो' के विमोचन के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने आतंकवाद, पड़ोसी देशों की आक्रामकता और भारत की वैश्विक भूमिका को लेकर कई अहम बातें कही. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने दो टूक कहा कि भारत किसी पर हमला नहीं करता, लेकिन अपनी जनता की रक्षा करना हमारा धर्म है. उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी शक्ति है. इसी भावना के साथ भारत को अब विश्व को नया रास्ता दिखाना चाहिए.
जानिए मोहन भागवत ने क्या-क्या अहम बातें कहीं-
1. 'द हिंदू मैनिफेस्टो' कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो नहीं
भागवत ने साफ किया कि स्वामी विज्ञानानंद की यह किताब किसी भी तरह से ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ जैसी नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया ने देखा है कि कम्युनिज्म ने किस तरह मानवता को नुकसान पहुंचाया. हिंदू मैनिफेस्टो का मकसद दुनिया को सकारात्मक दिशा देना है, न कि दबाव बनाना.
2. आक्रामक पड़ोसी देशों पर कड़ा संदेश
पाकिस्तान समेत अन्य पड़ोसी देशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'हमने कभी किसी पर हमला नहीं किया, लेकिन अगर कोई हमारी सीमाओं या नागरिकों पर हमला करता है तो हम अपनी रक्षा करना जानते हैं. पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि में यह बयान बेहद अहम माना जा रहा है.
3. इतिहास से सीखने की जरूरत
भागवत ने बताया कि प्राचीन भारत का प्रभाव मिस्र से साइबेरिया तक फैला था, फिर भी हमने कभी किसी की भूमि पर कब्जा नहीं किया. उन्होंने कहा कि जब तक भारत अपनी मूल नीतियों पर अडिग रहा, तब तक वह शक्तिशाली बना रहा.
4. अहिंसा हमारी आत्मा, लेकिन कायरता नहीं
अहिंसा के सिद्धांत पर उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में शांति और प्रेम है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर जो गलत रास्ते पर अड़े रहें, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना भी जरूरी है. 'जो नहीं बदलते, उन्हें सुधारने के लिए कदम उठाना पड़ता है,' भागवत ने दोहराया.
5. धर्म की सही व्याख्या जरूरी
भागवत ने कहा कि धर्म को केवल पूजा-पद्धति और खानपान तक सीमित करना सही नहीं है. हर व्यक्ति का अपना रास्ता हो सकता है और हमें हर रास्ते का आदर करना चाहिए. आज जरूरत है कि हिंदू समाज अपने धर्म का गहन और सही अर्थ समझे.