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200 साल से ज्‍यादा पुराना है भारत में जनगणना का इतिहास, जानें कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत

History of Census in India: भारत में एक बार फिर से जनगणना अगले साल शुरू होने वाली है, जिसकी रिपोर्ट 2026 तक जारी की जाएगी. भारत में जनगणना का इतिहास काफी पुराना है. यहां अंग्रेजों ने भी कई बार जनगणना कराई है, जिसमें जनसंख्या से लेकर कई अहम जानकारियां कलेक्ट की गई है.

200 साल से ज्‍यादा पुराना है भारत में जनगणना का इतिहास, जानें कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
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History of Census in India
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 28 Oct 2024 4:39 PM

History of Census in India: भारत दुनिया के उन बहुत कम देशों में से एक है, जिसका हर दस साल बाद जनगणना करने का गौरवशाली इतिहास है. इसके जरिए देश के सभी नागरिकों का डेमोग्राफी, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक आंकड़ों को दस साल के अंतराल में एक विशेष समय पर एकत्रित और विश्लेषण करने की प्रक्रिया है. जनगणना के माध्यम से घरों, परिवारों को उपलब्ध सुविधाओं, जनसंख्या की सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को जाना जाता है.

भारतीय जनगणना का इतिहास बहुत लंबा है. सबसे प्राचीन साहित्य ‘ऋग्वेद’ से पता चलता है कि 800-600 ईसा पूर्व के दौरान किसी तरह की जनसंख्या गणना की जाती थी. 321-296 ईसा पूर्व के आसपास लिखे गए कौटिल्य के अर्थशास्त्र में राज्य की नीति के लिए जनगणना पर जोर दिया गया था. मुगल शासन काल की प्रशासनिक रिपोर्ट 'आइने-अकबरी' में जनसंख्या का डेटा शामिल है. भारतीय जनगणना के इतिहास को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, यानी स्वतंत्रता पूर्व युग और स्वतंत्रता के बाद का युग.

स्वतंत्रता से पहले भारत में जनगणना

जनगणना का इतिहास 1800 से शुरू होता है, जब इंग्लैंड ने अपनी जनगणना शुरू की थी. इस दौरान 1824 में ब्रिटिश अधिकारियों ने इलाहाबाद और 1827-28 में जेम्स प्रिंसेप ने बनारस में जनगणना कराई थी. भारत में पहली पूर्ण जनगणना 1830 में ढाका में कराई गई थी. दूसरी जनगणना 1836-37 में फोर्ट सेंट जॉर्ज ने कराई थी. 1849 में भारत की ब्रिटिश सरकार ने हर 5 साल में जनगणना के आदेश दिए थे. इस कड़ी में साल 1851-52, 1856-57, 1861-62 और 1866-67 के दौरान जनगणना कराई गई थी.

भारत के जनगणना आयुक्त डब्ल्यू.सी. प्लोडेन ने 17 फरवरी, 1881 को भारत आधिकारिक तौर पर जनगणना कराई थी. दूसरी जनगणना 26 फरवरी, 1891 से लगभग 1881 की जनगणना के पैटर्न पर की गई थी. तीसरी बार लगातार जनगणना 1 मार्च, 1901 को शुरू हुई थी. इस जनगणना में बलूचिस्तान, राजपुताना, अंडमान निकोबार, बर्मा, पंजाब और कश्मीर के दूरदराज के क्षेत्रों को शामिल किया गया था.

1911 की जनगणना 10 मार्च, 1911 को सभी चौदह ब्रिटिश प्रांतों और देशी राज्यों में शुरू की गई थी. इस जनगणना में भारत का पूरा साम्राज्य शामिल थे. इसके बाद 1921 की जनगणना 18 मार्च, 1921 को शुरू हुई थी. भारत की छठी आम जनगणना 26 फरवरी, 1931 को शुरू हुई, जो कि सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ हुई थी. साल1941 की जनगणना युद्ध की प्रतिकूल परिस्थितियों में शुरू हुई.

स्वतंत्रता के बाद भारत में जनगणना

भारत को 1947 में मिली स्वतंत्रता के बाद जनगणना अधिनियम 1948 में लागू हुआ. स्वतंत्रता के बाद की जनगणनाएं इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आयोजित की गई. स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना 1951 में आयोजित की गई थी, जो अपनी लगातार चल रही सीरीज में सातवीं जनगणना थी, जो कि 9 फरवरी से 28 फरवरी 1951 तक की गई थी. 1961 की जनगणना 10 फरवरी को शुरू हुई और 1 मार्च को समाप्त हुई. 1961 में उम्र के स्थान पर अंतिम जन्मदिन की आयु पूछी गई थी. 1951 में नागरिक स्थिति पर पूछे गए प्रश्न को 1961 में हटा दिए गए थे.

1971 की जनगणना लगातार 11वीं जनगणना थी और स्वतंत्रता के बाद दूसरी जनगणना थी. स्वतंत्र भारत की चौथी जनगणना 9 से 28 फरवरी 1981 तक की गई थी. 1991 की जनगणना स्वतंत्र भारत की पांचवीं जनगणना थी. भारत की जनगणना 2001 इक्कीसवीं सदी की पहली जनगणना थी. इस दौरान साइकिल, स्कूटर/मोटरसाइकिल/मोपेड, रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन, बैंकिंग सुविधा आदि जैसी कुछ संपत्तियों के कब्जे से संबंधित जानकारी भी एकत्र की गई थी. भारत की आखिरी जनगणना 2011 में की गई. इसमें मकान और आवास की जानकारी भी ली गई. 2021 में कोरोना की वजह से जनगणना नहीं हो पाई थी, जो अब साल 2025 में शुरू होने वाली है और 2026 में इसकी रिपोर्ट सामने आएगी.

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