हिंदुओं को बनाया गया निशाना, पुलिस वाले रहे गायब : मुर्शिदाबाद दंगों की चौंकाने वाली रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट ने गंभीर आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा में विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जबकि स्थानीय पुलिस मौके पर न तो मौजूद थी और न ही उन्होंने हालात को काबू में लाने के लिए कोई सक्रिय कदम उठाया.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट ने गंभीर आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा में विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जबकि स्थानीय पुलिस मौके पर न तो मौजूद थी और न ही उन्होंने हालात को काबू में लाने के लिए कोई सक्रिय कदम उठाया.
रिपोर्ट के अनुसार, दुकानों में लूटपाट, आगजनी और हमले किए गए, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना रहा. विपक्षी दलों ने इसे राज्य सरकार की “मूक सहमति” करार दिया है और केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की है. अब इस हिंसा को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हिंसा के दौरान भारी तोड़फोड़, आगजनी और दुकानों-मॉल्स की लूट की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने उपद्रवियों के साथ मिलकर हमला करवाया, और पुलिस मूकदर्शक बनी रही. सबसे बड़ा हमला 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद हुआ, जब "पार्षद महबूब आलम गुंडों के साथ आए".
बेटबोना गांव में 113 घरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा. इस जांच समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा के सदस्य शामिल थे. आज यह रिपोर्ट हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष प्रस्तुत की गई.
खबर अपडेट की जा रही है...