शेरों की दोस्ती का ऐसा अंत... नहीं रहे गिर जंगल के जय-वीरू, 15 मादा शेरों के साथ करते थे राज
गिर नेशनल पार्क की शान जय और वीरू दोनों शेर अब इन दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. वीरू की मौत के कुछ हफ्तों बाद जय ने भी दम तोड़ दिया. दोनों की दोस्ती को देख शोले की फिल्म के कैरेक्टर से उनका नाम रखा गया था.

कभी गिर के जंगलों में दो शेरों की जोड़ी हर किसी की ज़ुबान पर थी. उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि लोग उन्हें फिल्म शोले के मशहूर किरदारों के नाम से पुकारने लगे-जय और वीरू. गुजरात के गिर नेशनल पार्क में जय और वीरू सिर्फ शेर नहीं थे, वे जंगल की पहचान बन चुके थे.
सालों तक साथ-साथ घूमते, एक-दूसरे का साथ निभाते, और जंगल के बड़े हिस्से पर राज करते रहे. उनकी दोस्ती एक मिसाल बन चुकी थी, लेकिन वीरू की मौत के बाद जय ने भी आज दम तोड़ दिया. इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गिर की अपनी यात्रा के दौरान इन दोनों से मुलाकात की थी.
कैसे हुई वीरू की मौत?
कुछ हफ्ते पहले, जय और वीरू किसी कारणवश साथ नहीं थे. अलग-अलग घूमते हुए दोनों किसी क्षेत्रीय झगड़े में फंस गए और बुरी तरह घायल हो गए. 11 जून को वीरू की मौत हो हई और कुछ ही दिनों बाद यानी 30 जुलाई को जय ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
15 मादा शेरों का था साथ
वन विभाग के अधिकारी मोहन राम ने बताया कि जय और वीरू जंगल में लगभग 15 मादा शेरों के साथ रहते थे. उनका इलाक़ा बहुत बड़ा था. पर्यटन क्षेत्र, घास के मैदान और घने जंगल सब पर इनका दबदबा था. लेकिन अकेले होने पर दोनों को दूसरे शेरों से लड़ना पड़ा और वहीं से उनके ज़ख्म शुरू हुए.
दोस्ती की वो गूंज अब भी जंगल में है...
वन विभाग के एक सदस्य ने बताया कि जय और वीरू को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि उनकी दोस्ती बेहद गहरी थी और वे हमेशा साथ रहते थे. यह कहना गलत नहीं होगा कि 'किंवदंतियां शायद वक्त के साथ धुंधली हो जाएं, लेकिन जय और वीरू की दोस्ती की गूंज गिर के हर कोने में हमेशा सुनाई देती रहेगी.'
एक आखिरी सवाल...
क्या इंसानों की तरह जानवरों में भी दोस्ती होती है? जय और वीरू की कहानी बताती है- हां, होती है और वो दोस्ती इतनी सच्ची और गहरी होती है, कि जब एक जाता है, तो दूसरा भी ज़्यादा दिन नहीं टिकता. अब जंगल में वो शेर तो नहीं रहे, लेकिन उनकी कहानी, उनकी दोस्ती और उनका साथ, हमेशा याद रहेगा.