यूजर्स के सिर चढ़ कर बोल रहा 'Ghibli Trends'! जानें प्राइवेसी के लिए कितना सेफ है ये AI फीचर
Ghibli Trends: पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर के सोशल मीडिया यूजर्स Ghibli-स्टाइल AI इमेज जेनरेटर की मदद से अपनी फोटो Ghibli आर्ट स्टाइल में बदल रहे हैं. डिजिटल प्राइवेसी एक्टिविस्ट इस ट्रेंड को लेकर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि ओपनएआई इस फीचर के जरिए लाखों लोगों की फोटो इकट्ठा कर सकता है और इन्हें AI ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर सकता है.

Ghibli Trends: पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया यूजर्स में Ghibli ट्रेंड का क्रेज देखने को मिल रहा है. सभी अपनी ओरिजनल इमेज को एआई की मदद से एआई जनरेट इमेज बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. ओपनएआई ने हाल ही में अपना Ghibli-स्टाइल AI इमेज जेनरेटर लॉन्च किया था, जो अब ट्रेडिंग में बना हुआ है.
यूजर्स ग्रोक और Ghibli-स्टाइल AI इमेज जेनरेटर की मदद से अपनी फोटो बनवा रहे हैं. लोग अपने फोटो या फेमस इंटरनेट मीम्स को इस खूबसूरत Ghibli आर्ट स्टाइल में बदल रहे हैं. सेलिब्रिटी, नेता और आम लोग – सभी इस नए AI फीचर का मजा ले रहे हैं. दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इससे यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा तो नहीं है.
Ghibli ट्रेंड के नुकसान?
एक तरफ लोग अपनी फोटो को Ghibli आर्ट स्टाइल में बदल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इसकी प्राइवेसी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. डिजिटल प्राइवेसी एक्टिविस्ट इस ट्रेंड को लेकर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि ओपनएआई इस फीचर के जरिए लाखों लोगों की फोटो इकट्ठा कर सकता है और इन्हें AI ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर सकता है. मजे में लोग अपनी तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं, लेकिन इससे उनकी प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है.
Ghibli-स्टाइल AI इमेज जेनरेटर फीचर पर एथिकल सवाल उठाए जा रहे हैं. AI टूल्स अक्सर ऐसे आर्टवर्क पर ट्रेन किए जाते हैं, जो किसी इंसान के बनाए हुए होते है इससे भविष्य में मशहूर कलाकारों और उनके काम की अहमियत घट सकती है. खुद Hayao Miyazaki, जो Ghibli स्टूडियो के दिग्गज हैं, AI से बनी एनिमेशन पर पहले ही संदेह जता चुके हैं.
प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का बयान
प्राइवेसी एक्टिविस्ट्स का कहना है कि यह सिर्फ कॉपीराइट का मामला नहीं है. यह एक डाटा कलेक्शन की चाल भी हो सकती है.ओपनएआई इस ट्रेंड के ज़रिए लोगों से उनकी तस्वीरें खुद अपलोड करवाकर स्टोर कर सकता है. इससे कंपनी को बिना किसी कानूनी रोकटोक के फोटो इस्तेमाल करने की आजादी मिल जाती है.
यूरोपियन यूनियन के GDPR नियमों के तहत, अगर कोई कंपनी इंटरनेट से फोटो कलेक्ट करती है, तो उसे यह साबित करना पड़ता है कि यह जरूरी है और लोगों की प्राइवेसी के खिलाफ नहीं जाता. लेकिन अगर यूज़र्स खुद अपनी फोटो अपलोड कर रहे हैं तो यह कानून लागू नहीं होता. AI, Tech & Privacy Academy की को-फाउंडर लुइजा जरॉव्स्की के मुताबिक, जब लोग अपनी मर्जी से फोटो डालते हैं, तो वे ओपनएआई को उनकी प्रोसेसिंग की इजाजत दे देते हैं. इसका मतलब है कि कंपनी को कोई अतिरिक्त कानूनी शर्तें पूरी नहीं करनी पड़तीं, जिससे उसे ज्यादा छूट मिल जाती है.
हिमाचल साइबर वॉरियर्स
इस मामले पर हिमाचल साइबर वॉरियर्स, जो साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की एक टीम होने का दावा करता है. उसने एक्स पर लिखा, Ghibli करने से पहले सोचें. वह क्यूट Ghibli-स्टाइल सेल्फी? इसकी कीमत आपकी सोच से कहीं ज्यादा हो सकती है. आपकी तस्वीर का मिसयूज या हेरफेर किया जा सकता है. AI आपकी परमिशन के बिना इसका इस्तेमाल टेस्टिंग में कर सकता है. डेटा ब्रोकर इसे लक्षित विज्ञापनों के लिए बेच सकते हैं. साइबर स्मार्ट बने रहें. आपकी प्राइवेसी मायने रखती है.