सत्ता का खेल तो चलता रहेगा मगर ये देश रहना चाहिए, पढ़ें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के किस्से
मध्य प्रदेश में जन्मे अटल बिहारी बाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से उन्होंने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और फिर छात्र राजनीति में कदम रखा. वह 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था.

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे. मध्य प्रदेश में जन्मे अटल बिहारी बाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से उन्होंने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और फिर छात्र राजनीति में कदम रखा. वह 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था.
साल 1968 में दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद वाजपेयी जी को भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. भारतीय जनसंघ के साथ मिलकर कई दलों ने 1977 के आम चुनावों में जनता पार्टी बनाई. जनता पार्टी ने आम चुनावों में जीत भी हासिल कर ली. वहीं, साल 1980 में भारतीय जनसंघ ने आज की बीजेपी का निर्माण किया जिसके अध्यक्ष भी वाजपेयी जी को बनाया गया. उनके जीवन से जुड़े कई रोचक और प्रेरणादायक किस्से हैं जो उनकी विनम्रता, संवेदनशीलता और नेतृत्व कौशल को बताते हैं.
अटल जी की प्रेम कहानी
अटल बिहारी वापजेयी ने एक बार शादी के सवाल पर कहा था कि मैं शादी नहीं किया हूं, लेकिन मैं कुंवारा नहीं हूं. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी बुक में प्रेम कहानी का जिक्र किया था. उन्होंने लिखा कि ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अटल बिहारी वापजेयी प्रेम के बंधन में बंध गए थे. उनकी राजकुमारी कौल से मुलाकात हुई थी. अटल जी ने अपने प्यार का इजहार करने के लिए राजकुमारी कौल को एक प्रेम पत्र लिखा, हालांकि उन्होंने इस पत्र का जवाब नहीं दिया. इसी बीच राजकुमारी कौल की शादी हो गई और अटल जी ने शादी न करने का विचार बनाया.
दहेज में देना होगा पूरा पाकिस्तान
अटल बिहारी वाजपेई के पाकिस्तान दौरे का एक मशहूर किस्सा है कि जब पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार ने अटल जी को शादी के लिए प्रपोज कर दिया था. महिला पत्रकार ने जब अटल जी से कहा कि वो उनसे शादी करना चाहती है, लेकिन इसके बदले में आपको मुंह दिखाई में मुझे कश्मीर देना होगा. महिला पत्रकार के इस सवाल पर अटल जी पहले तो मुस्कुराए और फिर कहा कि मैं भी तैयार हूं लेकिन आपको दहेज में पूरा पाकिस्तान देना होगा.
चिमटे से छूना पसंद नहीं करूंगा सत्ता
1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट की वजह से 13 दिन में ही गिर गई थी. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में यादगार भाषण दिया था. उन्होंने कहा था कि मुझपर आरोप लगाया है और ये आरोप मेरे हृदय में घाव कर गया है. मैंने पिछले 10 दिनों में जो भी किया है वो सत्ता के लोभ के लिए किया है. मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य रहा हूं, लोगों ने मेरा व्यवहार देखा है. जनता दल के सदस्यों के साथ सरकार में रहा हूं. कभी हमने सत्ता का लोभ नहीं किया और गलत काम नहीं किया है. उन्होंने कहा कि पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा. उन्होंने कहा था कि सत्ता का तो खेल चलेगा, सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियां बनेंगी, बिगाड़ेगी; मगर ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए.
राजनीति मुझे नहीं छोड़ती
वाजपेयी जी बहुत अच्छे कवि थे, हमेशा अपनी ओजस्वी कविताओं का पाठ किया करते थे. उन्होंने एक बार कहा था कि मैं राजनीति छोड़ना चाहता हूं पर राजनीति मुझे नहीं छोड़ती. उन्होंने कहा था कि चूंकि मैं राजनीति में आया और इसमें फंस गया, मेरी इच्छा थी और अब भी है कि मैं इसे बेदाग छोड़ूं और मेरी मृत्यु के बाद लोग कहें कि वह एक अच्छे मनुष्य थे, जिन्होंने अपने देश और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने का प्रयास किया.