EXCLUSIVE: क्या दिल्ली पुलिस की दो टूक चेतावनी नजरंदाज कर कश्मीर पुलिस ने नौगांव थाना विस्फोट कांड में खुद 9 बेकसूर मरवा डाले हैं!
नौगांव थाने में हुए घातक विस्फोट में 9 लोगों की मौत पर बड़ा सवाल खड़ा है कि क्या कश्मीर पुलिस ने दिल्ली पुलिस की स्पष्ट चेतावनी को नजरअंदाज किया. दिल्ली पुलिस ने फरीदाबाद से बरामद अमोनियम नाइट्रेट को अत्यंत खतरनाक बताते हुए इसे केवल बम निरोधक दस्ते की देखरेख में हैंडल करने को कहा था. इसके बावजूद कश्मीर पुलिस इसे केस प्रॉपर्टी बताकर ट्रक में लादकर ले गई. पूर्व पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यही लापरवाही नौगांव विस्फोट और मौतों की मुख्य वजह बनी.
बीते तीन दिन से देश दुनिया में और कश्मीर-दिल्ली से लेकर कन्याकुमारी तक कोहराम मचा है कि, कश्मीर घाटी के (श्रीनगर) नौगांव थाने में हुए जबरदस्त धमाके में कई पुलिसकर्मियों सहित 9 लोग मर गए. इसके पीछे की वजह अब तक पुष्ट रूप से कश्मीर पुलिस बताने को राजी नहीं है. सिवाए यह बताने के कि घटना की ‘जांच’ जारी है. इन तीन दिनों के अंदर स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने जब घटना की खामियों में झांकना शुरू किया, तो एक नहीं वरन् एक के बाद एक तमाम वह वजह सामने मौजूद दिखाई दीं, जो घाटी के नौगांव थाने में हुए विस्फोट से तबाही के कारणों की साफ साफ चुगली करती नजर आईं.
इनमें इस भयंकर तबाही वाले विस्फोट की ‘स्टेट मिरर हिंदी’ की ‘पड़ताल’ में सबसे बड़ी या कहूं कि प्रमुख वजह जो सामने निकल कर आई वह है, दिल्ली पुलिस ने जिस तारीख में कश्मीर के नौगांव थाने में विस्फोट हुआ, उससे कई घंटे पहले कश्मीर पुलिस को खुले तौर पर आगाह कर दिया था कि,
“जिस बरामद विस्फोट (अमोनियम नाइट्रेट) को वह (कश्मीर पुलिस) फरीदाबाद से लादकर नौगांव ले जा रही है. उसे बेहद सावधानी से बम निरोधक दस्ते के विशेषज्ञों की निगरानी में ही ‘हैंडल’ किया जाए. क्योंकि दिल्ली पुलिस द्वारा इस विस्फोटक सामग्री की बरामदगी के साथ ही गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टर आतंकवादियों ने दिल्ली में कई अहम और अंदर की बातें बताई हैं. जिनके मुताबिक फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक का कुछ हिस्सा ऐसा है जो लापरवाही से हैंडल किए जाने के दौरान विस्फोट होकर किसी हादसे का कारण बन सकता है.”
गिरफ्तार डॉक्टरों के गैंग में से दो ने कबूली थी खतरनाक बात
10 नवंबर 2025 को हुए लाल किला कार ब्लास्ट कांड की जांच से जुड़े एनआईए और दिल्ली पुलिस के कुछ उच्चाधिकारियों के मुताबिक, “फरीदाबाद में 2900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी के आसपास ही गिरफ्तार डॉक्टरों के गैंग में से दो ने कबूला था कि इसमें कुछ हिस्सा ऐसा है कि जो जरा सी असावधानी से फट सकता है.” दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में मौजूद आंतकवादियों से इस बात की भनक जैसे ही लगी, वैसे ही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच, एनएसजी व एनआईए की टीमों को भी सतर्क कर दिया गया कि, फरीदाबाद से जब्त करीब तीन हजार किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट के जखीरे से हर कोई दूर रहेगा. उसे अगर हैंडल करेंगे तो सिर्फ बम-निरोधक दस्ते के एक्सपर्ट. इन सबने आपसी सामंजस्य से इस मामले में सावधानी बरतना शुरू भी कर दिया.
जिद पर अड़ गई कश्मीर पुलिस
दिल्ली पुलिस के सामने मुश्किल तब आई जब कश्मीर (श्रीनगर के नौगांव थाने की पुलिस) पुलिस की टीम इस बात पर अड़ गई कि, इस मामले में उन्होंने नौगांव (कश्मीर) थाने में पहले से ही मुकदमा दर्ज कर रखा है. इसलिए फरीदाबाद से बरामद अमोनियम नाइट्रेट (घातक विस्फोटक) का कुछ हिस्सा बतौर सबूत सील करके उन्हें ‘केस प्रॉपर्टी’ के रूप में कश्मीर घाटी लेकर जाना होगा. हालांकि, कश्मीर पुलिस के इस तरह की जिद पर अड़ने के दौरान दिल्ली पुलिस और एनआईए जोकि किसी भी तरह से ऐसे घातक जानलेवा विस्फोटक को दिल्ली-फरीदाबाद से लादकर कश्मीर घाटी जैसी दूरी पार कराके ले जाने के खिलाफ थी, ने कश्मीर पुलिस को दो टूक आगाह कर दिया था कि, “फरीदाबाद से बरामद अमोनियम नाइट्रेट सिर्फ अपने आप में अमोनियम नाइट्रेट भर ही नही हैं. पकड़े गए आतंकवादियों ने इसमें से विस्फोटक के कुछ भाग को कभी भी फटकर तबाही मचा डालने वाला बताया है.”
नौगांव में विस्फोट के लिए पुलिसिया लापरवाही जिम्मेदार
एनआईए और दिल्ली पुलिस उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, “हम इस फेवर में नहीं थे कि कश्मीर पुलिस ऐसे घातक विस्फोटक को लेकर फरीदाबाद दिल्ली से लेकर कश्मीर जाए. इसके बाद भी जब वे लोग नहीं माने और अपनी केस प्रॉपर्टी बताकर ले जाने पर ही अड़ गए. तो हमने उन्हें इस विस्फोटक को सावधानी के साथ हैंडल करने का आगाह जरूर कर दिया. इसके बाद भी अगर नौगांव थाने में वही अमोनियम नाइट्रेट अगर इस कदर के भंयकर विस्फोट के साथ 9 बेकसूरों की अकाल मौत की वजह बन गया, तो इसके लिए सीधे तौर पर कश्मीर पुलिस की वह टीम जिम्मेदार है, जो हमारे द्वारा (दिल्ली पुलिस और एनआईए) आगाह करने, रोके जाने के बाद भी फरीदाबाद से विस्फोटक लादकर कश्मीर ले गई. वह भी लापरवाही से. अगर सावधानी बरती गई होती और इस विस्फोट की खेप को सिर्फ अमोनियम नाइट्रेट भर न समझ कर बम निरोधक दस्ते की निगरानी में सावधानीपूर्ण तरीके से हैंडल किया गया तो, तो शायद नौगांव थाने में हुई तबाही बच सकती थी.”
जांच में सामने आएगी कश्मीर पुलिस की गलती
इस बारे में स्टेट मिरर हिंदी ने दो प्रमुख पूर्व पुलिस अधिकारियों से बात की. जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शेष पाल वैद्य (DGP IPS SP VAID) बोले, “जब दिल्ली पुलिस या हमारी एनआईए जैसी अन्य एजेंसियां पकड़े गए आतंकवादियों से मिली जानकारी के आधार पर कश्मीर पुलिस को सावधान करते हुए सब कुछ पहले ही बता चुकी थी. तब फिर ऐसी कोई जरूरी वजह मुझे नजर ही नहीं आती है जिसके चलते, फरीदाबाद-दिल्ली में कश्मीर से हजारों मील दूर बरामद इतने खतरनाक विस्फोटक को कश्मीर पुलिस द्वारा ट्रक में लादकर कश्मीर (नौगांव) लाने का जोखिम उठाना चाहिए था. जांच होने दीजिए इसमें कहीं न कहीं जल्दबाजी में की गई गलती कश्मीर पुलिस की ही निकल कर सामने आएगी.”
कश्मीर (नौगांव थाना पुलिस) पुलिस की दलील थी कि क्योंकि उसने इस मामले में पहले ही अपने यहां मुकदमा दर्ज कर रखा है. ऐसे में फरीदाबाद में जब्त विस्फोट की खेप उसके मुकदमे की केस प्रॉपर्टी है. इसलिए उसे फरीदाबाद में जब्द विस्फोटक को यहां से लादकर कश्मीर ले जाना जरूरी था. क्या यह सही बात है. क्या कोई और रास्ता नहीं था?
9 बेकसूरों की जान कश्मीर पुलिस की लापरहवाही से गई
पूछे जाने पर दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी और 40 साल तक इसी तरह की आतंकवादी घटनाओं की तफ्तीश से जुड़े रहने वाले एल एन राव बोले, “नहीं ऐसा कुछ नहीं है. कश्मीर पुलिस बकवास कर रही है. मैं अपने 40 साल के पुलिस अनुभव और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल में दो दशक से ज्यादा समय तक ऐसी ही आतंकवादी घटनाओं की तफ्तीश से जुड़े रहने के दौरान हासिल अनुभव से कह सकता हूं कि, नौगांव थाने में हुए विस्फोट में 9 बेकसूरों की जान लेने के लिए सीधे-सीधे कश्मीर पुलिस की लापरवाही जिम्मेदार है. जब दिल्ली पुलिस और एनआईए ने कश्मीर पुलिस से साफ बता दिया था कि वह फरीदाबाद से बरामद अमोनियम नाइट्रेट की खेप को पहले तो कश्मीर लेकर ही न जाए. अगर ऐसा जरूरी है ही तो फिर बम निरोधक दस्ते की विशेष निगरानी में ही अंजाम दे. तब फिर कश्मीर पुलिस को ऐसी क्या जल्दी थी जो वह फरीदाबाद से जब्त अकाल मौत के सामान को ट्रक में लादकर हजारों मील दूर चल दी. उसके बाद अब जब नौगांव थाने में (कश्मीर) वही विस्फोटक सामग्री तबाही बनकर 9 बेकसूरों की अकाल मौत की वजह बन गई, तब अब कश्मीर पुलिस अपनी जिम्मेदारी मानने के बजाए बहानेबाजी कर रही है.
वाहवाही लूटने के चक्कर में कश्मीर पुलिस ने उठाया होगा ये कदम
स्टेट मिरर हिंदी से मुझे जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक तो दिल्ली पुलिस के हाथ लगे आतंकवादियों ने जब फरीदाबाद से जब्त विस्फोटक के खतरनाक और कभी भी विस्फोट कर जाने का आगाह दिल्ली पुलिस को कर दिया था. और वक्त रहते दिल्ली पुलिस ने भी जब इस बात से कश्मीर पुलिस को सचेत कर दिया था. तब फिर कश्मीर पुलिस को क्या जरूरत थी अपनी मौत का सामान फरीदाबाद से बांधकर कश्मीर ले जाने की. कश्मीर पुलिस फरीदाबाद में ही कागजी-कानूनी खानापूर्ति करके, विस्फोटक जब्ती-बरामदगी के कागज ले जाकर नौगांव थाने की कोर्ट में दाखिल कर देती. और वहां अपनी कोर्ट को बता देती की चूंकि, फरीदाबाद में जब्त विस्फोटक बेहद खतरनाक है, इसलिए उसके किसी भी तरह से हजारों मील दूर कश्मीर लाकर कोर्ट में पेश किया जाना संभव नहीं है. तो इस बात को उनकी (कश्मीरी अदालत) कोर्ट सहज स्वीकार कर लेती. और शायद तब नौगांव थाने में इसी विस्फोट से न विस्फोट होता. न ही इस विस्फोट में 9 बेकसूरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता. मुझे तो लगता है कि कश्मीर पुलिस ने इतने चर्चित मामले में अपनी पीठ ठुकवाने और वाहवाही लूटने के चक्कर में इतना बड़ा जोखिम ले डाला होगा. जो कश्मीर पुलिस के माथे पर काला धब्बा बनकर हमेशा उसकी ढीली पुलिसिया कार्यप्रणाली पर धिक्कारता रहेगा.”





