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अब रेलवे ट्रैक पर नहीं जाएगी हाथियों की जान, रेलवे का AI वाला सिस्‍टम बनेगा वरदान; ऐसे करेगा काम

दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर मंडल में जल्द ही एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित 'हाथी घुसपैठ पहचान प्रणाली'(Elephant Intrusion Detection System - EIDS) लगाई जाएगी, ताकि रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत को रोका जा सके. यह सिस्टम पहले सफलतापूर्वक परीक्षण में पास हुआ है. इसमें सेंसर, फाइबर ऑप्टिक केबल और AI एल्गोरिदम की मदद से हाथियों की मौजूदगी का पता लगाकर तुरंत रेलवे अधिकारियों को अलर्ट भेजा जाएगा.

अब रेलवे ट्रैक पर नहीं जाएगी हाथियों की जान, रेलवे का AI वाला सिस्‍टम बनेगा वरदान; ऐसे करेगा काम
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( Image Source:  AI )

Elephant train accident prevention, AI in Indian Railways : रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत की घटनाएं अब बीते दिनों की बात हो सकती हैं. दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर मंडल ने हाथी-हादसों को रोकने के लिए AI आधारित 'एलीफैंट इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम' (EIDS) लागू करने की तैयारी की है. इसका सफल परीक्षण 15-16 जून को बाराबांबू-चक्रधरपुर-लोटापहाड़ सेक्शन में किया गया. अब यह सिस्टम जराईकेला, भालूलता, बरसुंआ और बिमलगढ़ जैसे हाथी गलियारों में स्थापित किया जाएगा.

कैसे काम करता है सिस्टम

EIDS में प्रेशर वेव सेंसर, ऑप्टिकल फाइबर केबल और AI एल्गोरिदम का उपयोग होता है. हाथी के ट्रैक के पास पहुंचते ही सिस्टम रेलवे अधिकारियों को अलर्ट करता है, जिससे ट्रेन रोकी या धीमी की जा सके. इस तकनीक की प्रेरणा तमिलनाडु और केरल की सीमा पर पहले से लागू एक सिस्टम से मिली है.

एक भी हाथी की नहीं हुई मौत

कोयंबटूर फॉरेस्ट डिवीजन ने फरवरी 2024 में AI और मशीन लर्निंग आधारित निगरानी प्रणाली शुरू की थी, जिसने अब तक 5,000 से अधिक अलर्ट दिए और 2,500 सुरक्षित हाथी पार करवाए. सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी हाथी की मौत नहीं हुई. कोयंबटूर के वालयार-मदुक्कराई रेंज में दो रेलवे ट्रैक वन क्षेत्र से होकर गुजरते हैं. यहां 2008 से अब तक 11 हाथी ट्रेनों की चपेट में आ चुके हैं. यही कारण था कि तमिलनाडु सरकार ने 7.24 करोड़ रुपये की लागत से AI सिस्टम लगाने का फैसला किया.

कैमरों और अंडरपास से बना नया मॉडल

AI सिस्टम के तहत 12 टावरों पर थर्मल कैमरे लगाए गए हैं, जिन्हें स्थानीय आदिवासी युवा 24x7 कंट्रोल रूम से मॉनिटर करते हैं. दो अंडरपास का निर्माण भी किया गया है, जिससे हाथी सुरक्षित रास्ते से गुजर सकें.

मॉडल बन रहा राष्ट्रीय उदाहरण

अब यह योजना देश के अन्य राज्यों में भी लागू की जा रही है, जिसमें चक्रधरपुर का नाम प्रमुख है. तमिलनाडु के पर्यावरण सचिव सुप्रिया साहू ने बताया, “130 ट्रेनें रोज इस ट्रैक से गुजरती हैं और साल में करीब 1,000 हाथी क्रॉसिंग होती हैं. इस मॉडल को अब धर्मपुरी और होसुर जैसे अन्य संवेदनशील इलाकों में भी लागू किया जाएगा.”

AI तकनीक से न केवल हाथियों की जान बच रही है, बल्कि रेलवे के लिए भी एक नई सुरक्षा व्यवस्था बन रही है. यह पहल वन्यजीव संरक्षण और आधुनिक तकनीक के मिलन का बेहतरीन उदाहरण है, जिसे अब देशभर में विस्तार देने की तैयारी है.

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