आंध्र के प्रकाशम में तड़के भूकंप, रिक्टर स्केल पर 3.4 तीव्रता, घरों से बाहर निकले लोग; कोई नुकसान नहीं
पिछले दो दिनों में भारत के दो अलग-अलग हिस्सों में धरती हिली, लेकिन दोनों बार अच्छी खबर यह रही कि कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ. शुक्रवार तड़के 3 बजकर 12 मिनट पर आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में 3.4 तीव्रता का हल्का भूकंप आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था. ज्यादातर लोग सो रहे थे, इसलिए बहुत कम लोगों को झटके महसूस हुए.
शुक्रवार सुबह करीब 3 बजकर 12 मिनट पर आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले और उसके आसपास के इलाकों में हल्के-हल्के झटके महसूस किए गए. कई लोग गहरी नींद में थे, पर जिनकी नींद हल्की थी, उन्होंने बिस्तर हिलने का एहसास किया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने बताया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर सिर्फ 3.4 थी. इसका केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था.
इतनी कम तीव्रता का भूकंप आमतौर पर सिर्फ हल्का कंपन पैदा करता है न कोई दीवार गिरी, न कोई चोट लगी सब सुरक्षित है. गुरुवार सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर लेह और लद्दाख के आसपास भी भूकंप आया था. उसकी तीव्रता 4.0 थी। यह थोड़ा ज्यादा था, इसलिए कई लोग डरकर घरों से बाहर निकल आए. ठंड के बावजूद लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए थे. लेकिन सौभाग्य से वहां भी कोई नुकसान नहीं हुआ.
दक्षिण भारत में भूकंप क्यों कम आते हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिणी राज्य भूकंप के लिहाज से सबसे सुरक्षित इलाकों में गिने जाते हैं. यहां की जमीन बहुत पुरानी और मजबूत चट्टानों से बनी है, जो अरबों साल पुरानी हैं. ये चट्टानें ज्यादा हिलती-डुलती नहीं इसलिए यहां ज्यादातर इलाके भूकंप जोन-2 और जोन-3 में आते हैं, यानी बहुत कम खतरा. वहीं हिमालय वाला उत्तर भारत जोन-4 और जोन-5 में है, क्योंकि वहां नई-नई पहाड़ बन रहे हैं और प्लेटें आपस में टकरा रही हैं.
कैसे आता है भूकंप?
बहुत आसान भाषा में समझिए हमारी धरती कई बहुत बड़ी-बड़ी चट्टानों (टेक्टॉनिक प्लेट्स) से बनी है. ये प्लेट्स हर साल 2-5 सेंटीमीटर की रफ्तार से धीरे-धीरे खिसकती रहती हैं, जैसे बहुत बड़ा-बड़ा बर्फ का टुकड़ा पानी पर तैरता हुआ चलता है. जब दो प्लेट्स आपस में रगड़ खाती हैं, तो कई बार वे एक-दूसरे में अटक जाती हैं. अंदर दबाव बढ़ता रहता है। एक दिन जब दबाव बहुत ज्यादा हो जाता है, तो अचानक 'खटाक' से प्लेट खिसक जाती है. इसी खिसकने से बहुत सारी ऊर्जा निकलती है, जो लहरों की शक्ल में चारों तरफ फैलती है. ये लहरें ही हमें झटके का एहसास कराती हैं। इसे ही भूकंप कहते हैं. दोनों भूकंप बहुत छोटे थे 5.0 से कम तीव्रता के भूकंप में आमतौर पर नुकसान नहीं होता फिर भी अगर कभी झटके महसूस हों तो तुरंत खुली जगह पर चले जाएं, बिस्तर या मेज के नीचे छुप जाएं और अपना सिर हाथ से ढक लें.





