Begin typing your search...
पहले धमाके होते थे तो सरकार डर से चुप... J-K का जिक्र करते हुए बोले शाह- अब आतंकियों को वहीं दफना देते हैं - 10 बड़ी बातें
राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वही पुराना अंदाज दिखा. सबसे ज्यादा फोकस रहा आतंकवाद पर, जिसे लेकर उन्होंने भारत की तुलना अमेरिका और इजरायल तक से कर डाली. इसके अलावा आतंकवाद पर बात हो और कश्मीर का जिक्र ना आए, ऐसा कैसे हो सकता है.

राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वही पुराना अंदाज दिखा. सबसे ज्यादा फोकस रहा आतंकवाद पर, जिसे लेकर उन्होंने भारत की तुलना अमेरिका और इजरायल तक से कर डाली. इसके अलावा आतंकवाद पर बात हो और कश्मीर का जिक्र ना आए, ऐसा कैसे हो सकता है. उनके जवाब में उरी भी आया, पुलवामा भी और लाल चौक भी. उन्होंने बताया कि कैसे अपराधियों के अपराध के तरीके बदल रहे हैं और उनसे निपटने के लिए गृह मंत्रालय के कामकाज में बदलाव भी जरूरी है. अमित शाह के संबोधन की 10 बड़ी बातें जान लेते हैं...
- राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि '21 सदस्यों ने यहां अपने विचार प्रस्तुत किए. एक तरह से गृह मंत्रालय के अनेक कार्यों के आयामों को समेटने का प्रयास किया गया. सबसे पहले मैं देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं को मजबूत करने के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले हजारों राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं.'
- राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, 'एक तरह से गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है. संविधान ने कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है. सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है. यह एक सही निर्णय है और इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों द्वारा संभाली जाती है, तो 76 साल के बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमाओं तक सीमित नहीं रहते हैं.'
- आगे कहा कि, 'वे अंतर-राज्यीय और बहु-राज्यीय दोनों हैं - जैसे नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला. ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं. देश में कई अपराध देश के बाहर से भी किए जाते हैं. इसलिए, इन सभी को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव करना आवश्यक हो जाता है. मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बार में गृह मंत्रालय में लंबे समय से लंबित बदलाव किए हैं.'
- चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री कहा कि जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई, तो हमें 2014 से पहले की कई विरासतें मिलीं. इस देश की सुरक्षा और विकास को हमेशा तीन मुख्य मुद्दों के कारण चुनौती दी गई. इन तीन मुद्दों ने देश की शांति में बाधा डाली, देश की सुरक्षा पर सवाल उठाए और लगभग 4 दशकों तक देश के विकास की गति को बाधित किया; उन्होंने देश की पूरी व्यवस्था को भी कई बार हास्यास्पद बना दिया.
- अमित शाह ने आगे कहा कि 'ये तीन मुद्दे थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद जो तिरुपति से पशुपतिनाथ तक का सपना देखता था और पूर्वोत्तर में उग्रवाद. यदि आप इन तीनों मुद्दों को एक साथ जोड़ते हैं, तो इस देश के लगभग 92,000 नागरिक 4 दशकों में मारे गए. इन तीनों मुद्दों को खत्म करने के लिए कभी भी सुनियोजित प्रयास नहीं किया गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद ये प्रयास किए.'
- अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि 'सबसे पहले मैं कश्मीर के बारे में बोलूंगा. पड़ोसी देश से आतंकवादी कश्मीर में घुसते थे, वे यहां बम विस्फोट और हत्याएं करते थे. ऐसा कोई त्योहार नहीं था जो बिना किसी चिंता के मनाया जाता था. केंद्र सरकारों का रवैया लचीला था. वे चुप रहते थे और बोलने से डरते थे. उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता थी.
- पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, हमने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई. हमारे सत्ता में आने के बाद भी उरी और पुलवामा पर हमले हुए. 10 दिनों के भीतर, हमने पाकिस्तान में घुसकर उन्हें एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए जवाब दिया. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति वहीं से शुरू हुई. अनुच्छेद 370 कश्मीर में अलगाववाद का आधार था. लेकिन 5 अगस्त 2019 को संसद में अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया.
- राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि इस देश में नक्सलवाद 31 मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगा.
- अमित शाह ने कहा, 'क्या होता है जब एक ऐसी सरकार होती है जो नक्सलवाद को एक राजनीतिक मुद्दा मानती है और क्या होता है जब एक ऐसी सरकार सत्ता में आती है जो सुरक्षा के साथ-साथ विकास के लिए भी काम करती है. जब दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में आई, उसके बाद, सिर्फ एक साल में 380 नक्सली मारे गए जबकि कल मारे गए 30 नक्सलियों को इसमें नहीं जोड़ा गया है. 1194 गिरफ्तार किए गए और 1045 ने आत्मसमर्पण किया. (सक्रिय नक्सलियों की) संख्या 2619 कम हो गई. इन अभियानों में 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए. यह वही छत्तीसगढ़ है, वही पुलिस, वही सीआरपीएफ और वही भारत सरकार है। बस वहां कांग्रेस की सरकार थी. यह दृष्टिकोण का सवाल है.
- 'राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद, हमने सभी सशस्त्र संगठनों (पूर्वोत्तर में) से बात की. 2019 से अब तक, 12 महत्वपूर्ण शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. 10,900 युवाओं ने हथियार छोड़ दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. मैं हाल ही में बोडोलैंड में था, हजारों युवा अब विकास के पथ पर चल रहे हैं.'