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दीघा में नए जगन्नाथ मंदिर को लेकर क्यों हो रहा विवाद? पुरी के पुजारी बोले- हमारे रीति-रिवाजों की नकल नहीं चलेगी

पश्चिम बंगाल के दीघा में हाल ही में एक भव्य श्री जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ, जिसकी वास्तुकला और अनुष्ठान पुरी के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर से काफी मेल खाते हैं. इस पर पुरी के सेवकों और धार्मिक समूहों ने आपत्ति जताई है. पुरी के पुजारी मानते हैं कि दीघा मंदिर में 'धाम' शब्द का इस्तेमाल, नीलचक्र की तस्वीर, और अनुष्ठानों की नकल से पुरी की धार्मिक विशिष्टता को ठेस पहुंचती है. उन्होंने अपने पुजारियों को दीघा में पूजा करने से भी रोका है. विवाद तब और गहराया, जब यह बात सामने आई कि दीघा मंदिर में गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी, जबकि पुरी मंदिर में केवल हिंदुओं को ही जाने दिया जाता है.

दीघा में नए जगन्नाथ मंदिर को लेकर क्यों हो रहा विवाद? पुरी के पुजारी बोले- हमारे रीति-रिवाजों की नकल नहीं चलेगी
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Digha Jagannath Temple Controversy: पश्चिम बंगाल के दीघा में हाल ही में बनाए गए श्री जगन्नाथ मंदिर को लेकर ओडिशा के पुरी में चिंता की लहर दौड़ गई है. पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर के सेवकों और धार्मिक समुदायों ने इस नए मंदिर के निर्माण और उससे जुड़े पहलुओं पर आपत्ति जताई है. उन्होंने दीघा मंदिर में पारंपरिक अनुष्ठानों की नकल पर आपत्ति जताई है.

सुआर महासुआर निजोग और पुष्पलका निजोग जैसे समूहों ने अपने सदस्यों को दीघा मंदिर में किसी भी अनुष्ठान में भाग लेने से मना किया है. उनका कहना है कि इससे पुरी मंदिर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विशिष्टता को नुकसान पहुंच सकता है. दीखा पुरी से लगभग 350 किलोमीटर दूर है.

दीघा जगन्नाथ मंदिर के बारे में जरूरी बातें

  • पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में 24 एकड़ भूमि पर ₹250 करोड़ की लागत से एक नया श्री जगन्नाथ मंदिर बनाया गया है.
  • यह मंदिर पुरी के प्रसिद्ध मंदिर की तरह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और महालक्ष्मी को समर्पित है.
  • 213 फीट ऊंचा यह मंदिर कलिंगन वास्तुकला शैली में बलुआ पत्थर से निर्मित है.
  • इस परियोजना की घोषणा 2019 में हुई थी और मई 2022 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जिसे पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने पर्यवेक्षण किया.

'धाम' शब्द के उपयोग पर विवाद

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दीघा मंदिर के प्रचार में 'धाम' शब्द और पुरी मंदिर के नीलचक्र की तस्वीर का उपयोग करने पर भी पुरी के सेवकों ने आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि हिंदू धर्म में केवल चार धाम हैं: बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम, और दीघा को 'धाम' कहना अनुचित है.

धार्मिक समावेशिता बनाम परंपरा

दीघा मंदिर में गैर-हिंदुओं और विदेशी पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति देने की योजना है, जो पुरी मंदिर की परंपरा से अलग है, जहां केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है. इस कदम को कुछ लोग समावेशिता की दिशा में मानते हैं, जबकि अन्य इसे परंपराओं से विचलन के रूप में देखते हैं.

आर्थिक और पर्यटन संबंधी चिंताएं

पुरी के सेवकों को यह भी चिंता है कि दीघा मंदिर बंगाली पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक वैकल्पिक गंतव्य बन सकता है, जिससे पुरी में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. ओडिशा सरकार के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में आने वाले 97.25 लाख घरेलू पर्यटकों में से लगभग 14% पश्चिम बंगाल से थे.

दीघा मंदिर के उद्घाटन से पैदा हुआ विवाद

दीघा मंदिर के उद्घाटन ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल बताया है, जबकि विपक्षी दलों ने इस परियोजना की लागत और प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं.

दीघा में नया श्री जगन्नाथ मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण परियोजना है. हालांकि, पुरी के सेवकों और धार्मिक समुदायों की आपत्तियां इस बात को रेखांकित करती हैं कि धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करते हुए नए पहलुओं को शामिल करना आवश्यक है.

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