Begin typing your search...

...थप्पड़ मारने में बिल्कुल न हिचकें, मराठी भाषा विवाद को लेकर अब क्यों बैकफुट पर ठाकरे, किसका दबाव?

गुड़ी पड़वा पर 'मी मराठी' अभियान के तहत मराठी भाषा के पक्ष में सख्त रुख अपनाने वाले राज ठाकरे अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इसकी बड़ी वजह भाजपा का दबाव माना जा रहा है, खासकर उत्तर भारतीय वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए. बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव और मुंबई में बढ़ती हिंसा को देखते हुए भाजपा नहीं चाहती कि माहौल बिगड़े. उद्योग जगत और बैंक यूनियनों की आपत्ति के बाद ठाकरे को नरम रुख अपनाना पड़ा.

...थप्पड़ मारने में बिल्कुल न हिचकें, मराठी भाषा विवाद को लेकर अब क्यों बैकफुट पर ठाकरे, किसका दबाव?
X
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 7 April 2025 11:07 AM IST

Marathi Row: गुड़ी पड़वा (30 मार्च) के दिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने जोरदार तरीके से अपना 'मी मराठी' अभियान शुरू किया. इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि राज्य में जो लोग मराठी बोलने से इनकार करें, उन्हें 'थप्पड़ मारने से न हिचकें'. हालांकि, राज ठाकरे की यह मुहिम भाषा और अस्मिता की राजनीति को लेकर थी, लेकिन इसे भारी आलोचना का सामना करना पड़ा और जल्द ही उन्होंने नरम रुख अपना लिया.

सूत्रों के मुताबिक, देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर भाजपा की ओर से दबाव था कि वह MNS पर लगाम लगाए. भाजपा नहीं चाहती कि मुंबई में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कोई हिंसक घटना हो, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. पार्टी को डर था कि इस तरह की घटनाएं बिहार में उसके वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकती हैं.

बैकफुट पर क्यों राज ठाकरे?

भाजपा के एक उत्तर भारतीय नेता ने कहा कि गणेश चतुर्थी जैसे पर्वों में गैर-मराठी लोगों की भी भागीदारी होती है और किसी को मराठी सिखाने के लिए हिंसा की जरूरत नहीं है. राज ठाकरे की रैली के बाद राज्य में कई जगहों से ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें MNS कार्यकर्ताओं ने गैर-मराठी बोलने वालों से मारपीट की. इसके बाद ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से कानून हाथ में न लेने की अपील की, लेकिन यह भी कहा कि यह कोई समझौता नहीं है.

मराठी विवाद पर फडणवीस को मिला था पत्र

बैंक यूनियनों ने इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम फडणवीस को पत्र लिखकर शिकायत की कि उनके कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है. वहीं, सीएमओ सूत्रों ने बताया कि उद्योग जगत से जुड़े कई प्रतिनिधियों ने सरकार के समक्ष इस हिंसा पर चिंता जताई है, क्योंकि इससे महाराष्ट्र को 2028 तक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य पर असर पड़ सकता है. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में क्षेत्रीय राजनीति और भाषा आधारित मुद्दे नए नहीं हैं, लेकिन जब ये हिंसा का रूप लेते हैं, तो निवेश पर असर पड़ता है.

राज ठाकरे शिवसेना से 2006 में अलग हुआ था...

राज ठाकरे शिवसेना से 2006 में अलग हुए थे, और पहले भी ‘मराठी मानूस’ के नाम पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ आंदोलन हो चुके हैं. इस पर बिहार और यूपी के मुख्यमंत्रियों ने भी कई बार चिंता जताई थी. CMO का कहना है कि राज्य की जिम्मेदारी है कि सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. पार्टी अपनी विचारधारा पर काम कर सकती है, लेकिन कानून व्यवस्था से समझौता नहीं किया जा सकता.

अगला लेख