दिल्ली-NCR में वीकेंड पर जमकर बरसेंगे बादल, मुंबई में जारी हुआ ऑरेंज अलर्ट, अन्य राज्यों का क्या है हाल?
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई मानसून के पूरे वेग को झेल रही है. यहां लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. मौसम विभाग ने शहर और इसके आसपास के इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. दिल्ली और एनसीआर में बीते दिनों हुई बारिश से मौसम कुछ ठंडा हुआ था, लेकिन यह राहत ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई.

भारत के विभिन्न हिस्सों में इस समय मानसून अलग-अलग रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. कहीं यह राहत बनकर बरस रहा है तो कहीं यह परेशानी का सबब बन गया है. राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में हाल ही में अच्छी बारिश दर्ज की गई, जिससे उमस भरी गर्मी से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन इसके साथ ही कई क्षेत्रों में जलभराव और यातायात अवरोध जैसी समस्याएं भी सामने आईं.
दिल्ली और एनसीआर में बीते दिनों हुई बारिश से मौसम कुछ ठंडा हुआ था, लेकिन यह राहत ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अगले कुछ दिनों यानी शनिवार तक राजधानी में बारिश के आसार बेहद कम हैं. इसके बाद ही मौसम के दोबारा करवट लेने की संभावना जताई गई है. फिलहाल राजधानी में गर्म और शुष्क हवाएं चल रही हैं, जिससे तापमान में फिर से इज़ाफा हो रहा है. आर्द्रता (humidity) में भी वृद्धि हो रही है, जिससे दिन के समय बेचैनी और रात में भारी उमस महसूस की जा रही है.
दिल्ली में में अब तक बारिश का आकड़ा
शहरी क्षेत्रों जैसे दिल्ली और चंडीगढ़ में यह स्थिति विशेष रूप से असहज बनी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि 27 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी में बन रहा नया निम्न दबाव क्षेत्र धीरे-धीरे उत्तर भारत की ओर बढ़ेगा, जिससे मानसून ट्रफ दक्षिण की ओर खिसक सकता है. इसके परिणामस्वरूप पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश और कहीं-कहीं तेज बौछारें देखने को मिल सकती हैं. दिल्ली में अब तक की बारिश का आंकड़ा सामान्य से 18% कम रहा है. जबकि हरियाणा में 21% अधिशेष बारिश दर्ज की गई है. चंडीगढ़ ने 2% सरप्लस बारिश पाई है, जबकि पश्चिम राजस्थान में बारिश सामान्य से 114% अधिक हुई है. कुल मिलाकर, उत्तर-पश्चिम भारत में इस बार मानसून का वितरण काफी असमान रहा है.
मुंबई में मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई मानसून के पूरे वेग को झेल रही है. यहां लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. मौसम विभाग ने शहर और इसके आसपास के इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठने की चेतावनी भी दी गई है, जिससे तटीय क्षेत्रों में खतरे की आशंका बनी हुई है. 'स्काईमेट' की रिपोर्ट बताती है कि मुंबई में पिछले दो दिनों से लगातार हर दिन 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है. सोमवार से बुधवार के बीच लगभग 300 मिमी बारिश हुई. नतीजतन, अंधेरी सबवे को बंद करना पड़ा, जबकि दादर, कुर्ला और सायन जैसे निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई। कई स्थानों पर लोगों को पानी से होकर गुजरना पड़ा. मुंबई में अगले कुछ दिनों तक मध्यम से लेकर भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। आगामी बुधवार तक बारिश की तीव्रता बनी रहने का अनुमान है, जिससे लोकल ट्रेन सेवाओं में रुकावट आ सकती है। ऐसे में यात्रियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है.
बंगाल की खाड़ी में बना नया सिस्टम
पूर्वी भारत में मौसम ने और अधिक सक्रिय रूप धारण कर लिया है। बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बन गया है, जो धीरे-धीरे जमीन की ओर बढ़ रहा है. इसके कारण ओडिशा के तटीय इलाकों में बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. मौसम विभाग ने ओडिशा के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जो यह दर्शाता है कि हालात गंभीर हो सकते हैं. ओडिशा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी इस मौसम प्रणाली का असर देखने को मिलेगा. इन राज्यों में मध्यम से भारी बारिश की प्रबल संभावना है. जलभराव, यातायात अवरोध और ग्रामीण इलाकों में फसलों पर प्रभाव जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं.
उत्तर-पश्चिम भारत में थमी बारिश
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में इस समय मानसून की सक्रियता थोड़ी धीमी पड़ गई है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम राजस्थान जैसे क्षेत्रों में अगले 48 घंटों तक मौसम शुष्क बना रह सकता है. इसका मुख्य कारण मानसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा उत्तर की ओर खिसककर हिमालय की तलहटी के पास स्थिर होना बताया गया है. इस कारण से इन क्षेत्रों में न केवल बारिश की गतिविधियां थमी हैं, बल्कि गर्मी और उमस ने एक बार फिर लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। जल स्रोतों में गिरावट और मिट्टी में नमी की कमी कृषि पर भी असर डाल सकती है.