भारत के लिए कितना खतरनाक है Covid का वेरिएंट LF.7 और NB.1.8, क्या फिर घरों में कैद रहने को होना पड़ेगा मजबूर?
Covid-19 Update: कोरोना वायरस के मामले एक बार फिर से बढ़ रहे हैं. नए वेरिएंट LF.7 और NB.1.8 एक बार फिर लोगों को डरा लगा है. भारत में 19 मई तक पूरे देश में केवल 257 सक्रिय मामले हैं. हालांकि डॉक्टर ने कहा है कि अभी घबराने की जरूरी नहीं है. स्वच्छ्ता पर ध्यान देते हुए इससे बचा जा सकता है. जब अक मौत के आंकड़े न बढ़े डरे नहीं.

Covid-19 Update: एशियाई देशों में कोरोना वायरल के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. चीन, थाईलैंड, सिंगापुर और हांगकांग समेत कई देशों में कोरोना वायरल के एक्टिव केस मिले हैं. इसने भारत सरकार की भी टेंशन बढ़ा दी है. 2020 में आई महामारी को आज भी लोग याद करके डर जाते हैं. भारत में 12 मई से अब तक कुल 164 नए मामले मिले हैं, इनमें महाराष्ट्री, तमिलनाडु और केरल सबसे आगे है.
कोविड के नए वेरिएंट LF.7 और NB.1.8 की वजह से यह केस बढ़ रहे हैं. दोनों ओमिक्रॉन वेरिएंट के सब-वेरिएंट हैं. यूएस में कुल लोकल सीक्वेंस किए गए मामलों में दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी इन्हीं की है. अब लोगों में डर पैदा हो रहा है कि कहीं दोबारा तो वही सब नहीं देखना पड़ेगा, जो चार साल पहले हुआ था. इस बारे में डॉक्टर की क्या राय है आगे आपको बताएंगे.
नया वेरिएंट कितना खतरनाक?
News18 से बात करते हुए डॉ. गंगाखेड़कर ने नए वेरिएंट के बारे में अहम जानकारी दी. डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा है कि जब तक अस्पताल में भर्ती होने वालों या मरने वालों की संख्या में वृद्धि नहीं होती, तब तक घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि LF.7 और NB.1.8 दोनों JN.1 वेरिएंट के उप-प्रकार हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले ही कहा था कि JN.1 और इसके सब-वेरिएंट्स में immune evasion शरीर की इम्युनिटी सिस्टम से बच निकलते हैं. अब तक के आंकड़े यह नहीं बताते कि ये पुराने ओमिक्रॉन वेरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक हैं.
भारत में कोविड केस
भारत में 19 मई तक पूरे देश में केवल 257 सक्रिय मामले हैं, और सभी के लक्षण हल्के हैं, किसी को अस्पताल में भर्ती नहीं करना पड़ा है. डॉ. गंगाखेड़कर ने बताया कि कोविड अब एक एंडेमिक रोग बन चुका है. बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें मास्क पहनने, हाथों की सफाई बनाए रखने और भीड़ से बचना चाहिए.
डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा कि ये RNA वायरस खुद के नए वेरिएंट्स विकसित कर लेते हैं. उन्होंने कहा, वायरस का उद्देश्य अब इंसान को मारना नहीं बल्कि उसमें रहना, तेजी से खुद को कॉपी करना और फिर अगले होस्ट तक पहुंचना है. यही इसका विकास है, इसे विज्ञान में Convergent Evolution कहा जाता है. इसलिए स्वच्छता को अपनाकर ही हम बीमारी की चपेट में आने से खुद को बचा सकते हैं.