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वामपंथी नेता सीताराम येचुरी आनन-फानन में ले जाए गए दिल्ली AIIMS, इस गंभीर बीमारी से हैं ग्रसित

Sitaram Yechury: 72 वर्षीय CPI-M के सीताराम येचुरी को सांस नली में तकलीफ होने के कारण दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

वामपंथी नेता सीताराम येचुरी आनन-फानन में ले जाए गए दिल्ली AIIMS, इस गंभीर बीमारी से हैं ग्रसित
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Sitaram Yechury
सचिन सिंह
by: सचिन सिंह

Updated on: 10 Sept 2024 2:58 PM IST

Sitaram Yechury: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी को गंभीर हालत में दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण आईसीयू में रखा गया है. जहां डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं. उनकी हालत को लेकर उनके पार्टी के नेता काफी चिंतित हैं.

पार्टी ने एक बयान में कहा कि 72 वर्षीय येचुरी का एम्स के आईसीयू में सांस नली में हुए संक्रमण का इलाज किया जा रहा है. डॉक्टरों की टीम उनकी हालत पर बारीकी से नज़र रख रही है, जो इस समय गंभीर है. CPI-M ने अपने प्रेस रिलीज में कहा, 'उन्हें सांस लेने में समस्या होने के कारण आईसीयू पर रखा गया है.' सीताराम येचुरी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए जम्मू-कश्मीर में सीपीआई-एम, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच एकजुटता को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था.

मोतियाबिंद की हुई थी सर्जरी

सीताराम येचुरी को निमोनिया जैसे सीने के संक्रमण के इलाज के लिए 19 अगस्त को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था. अस्पताल ने उनकी बीमारी की वास्तविक प्रकृति के बारे में नहीं बताया है. CPI-M ने बयान में कहा था कि येचुरी की हालत स्थिर है और उन पर इलाज का सकारात्मक असर हो रहा है. येचुरी की हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी.

जेएनयू के छात्र रह चुके हैं सीताराम येचुरी

सीताराम येचुरी 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए, एक साल बाद वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्य बन गए. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र रहते हुए ही उन्हें आपातकाल के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था और 1977 से 1988 के बीच वे तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे.

प्रकाश करात के साथ मिलकर येचुरी को जेएनयू में वामपंथी उपस्थिति को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है. 72 वर्षीय नेता को पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की गठबंधन-निर्माण विरासत को कायम रखने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का सह-मसौदा तैयार किया था और 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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