विदाई समारोह में छलका सीजेआई का दर्द, जानें डीवाई चंद्रचूड़ के पांच बड़े फैसले
विदाई समारोह के दौरान सीजेआई भावुक नजर आए. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि अगर मैंने किसी का दिल दुखाया हो तो माफ़ी चाहूंगा. उन्होंने कहा कि हम सभी यात्रियों की तरह हैं. कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और चले जाते हैं. डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को रिटायर हो जायेंगे. आज उनके सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान सीजेआई भावुक नजर आए. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि अगर मैंने किसी का दिल दुखाया हो तो माफ़ी चाहूंगा. डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.
उन्होंने कहा कि हम सभी यात्रियों की तरह हैं. कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और चले जाते हैं. इस विदाई के मौके पर आइये जानते हैं कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पांच बड़े फैसले कौन कौन से लिए?
आर्टिकल 370 बरकरार
11 दिसंबर 2023 को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को बरकरार रखा, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता था. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को आसान बनाने के लिए एक अस्थायी प्रावधान था. साथ ही कोर्ट ने जल्द चुनाव कराने की बात कही थी जो हाल ही संपन्न हुआ और नई सरकार का गठन हुआ.
समलैंगिक विवाह
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अक्टूबर 2023 में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों को छोड़कर विवाह करने का 'कोई बिना शर्त अधिकार' नहीं है. पीठ ने सहमति जताई थी कि समलैंगिक जोड़ों को बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने में आने वाली कठिनाइयां भेदभावपूर्ण हैं. सरकारी पैनल को उन पर गौर करना चाहिए.
चुनावी बॉन्ड मामला
फरवरी 2024 में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था जो 2018 से लागू थी. सीजेआई ने कहा कि यह योजना असंवैधानिक और मनमानी है. इससे राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच लेन-देन की स्थिति पैदा हो सकती है. पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने SBI को तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद करने का निर्देश दिया. साथ ही चुनाव आयोग को अप्रैल 2019 से चुनावी बांड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया था.
निजी संपत्ति का फैसला
नवंबर 2024 में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि सभी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियां सामुदायिक संसाधन नहीं मानी जाएंगी, जिन्हें राज्य आम भलाई के लिए अपने अधीन कर सकता है. यह मामला संविधान के अनुच्छेद 31सी से संबंधित है, जो राज्य द्वारा राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों को पूरा करने के लिए बनाए गए कानूनों की रक्षा करता है. उनमें से एक अनुच्छेद 39बी है, जो यह निर्धारित करता है कि राज्य अपनी नीति को इस दिशा में निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह से वितरित किया जाए कि यह आम भलाई के लिए सही हो.
बाल विवाह पर सख्ती
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अक्टूबर में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई निर्देश जारी किए. सीजेआई ने कहा कि बाल विवाह बच्चों को उनकी स्वतंत्रता, स्वायत्तता और पूर्ण विकास तथा बचपन का आनंद लेने के अधिकार से वंचित करता है. पीठ ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश जिला स्तर पर बाल विवाह निषेध अधिकारी के कार्यों के निर्वहन के लिए पूरी तरह जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करें. अदालत ने कहा, "जबरन और कम उम्र में विवाह से दोनों लिंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. बचपन में विवाह करने से बच्चे को वस्तु बना दिया जाता है. बाल विवाह की प्रथा बच्चों पर वयस्क बोझ डालती है, जो विवाह के महत्व को समझने के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से तैयार नहीं होते हैं."