चीन और भारत के बीच बन रही बात! जल्द शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा
Kailash Mansarovar Yatra: 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच विवाद के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी गई थी. पिछले साल से भारती वहां यात्रा करने नहीं जा पा रहे हैं. लेकिन अब भारत और चीन अपने तनाव को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की सहमति बनती नजर आ रही है. बातचीत अंतिम चरण में है और जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है.
Kailash Mansarovar Yatra: कैलाश पर्वत को देवों के देव महादेव का दिव्य आवास स्थान कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यही वह स्थान है, जहां भोलेनाथ अपने पूरे परिवार माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और नंदी के साथ आज भी निवास करते हैं. दूर दूर से भक्त इस पर्वत की यात्रा करते हैं. अब एक बार जल्द ही भारतीय दोबारा कैलाश मानसरोवर यात्रा कर सकेंगे.
जानकारी के अनुसार, 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के चलते यह यात्रा रोक दी गई थी, लेकिन अब वापस दोनों देशों के बीच अंतिम चरण में है. दोनों देशों के बीच पिछले चार सालों से सीमा पर चल रहे तनाव के बाद अब संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिशें चल रही हैं.
अंतिम दौर की बातचीत
भारत और चीन अपने राजनीतिक रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में डेमचोक और डेपसांग जैसे दो तनाव वाले इलाकों से सेनाओं को हटाने पर सहमति बनी. अब कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना. इसलिए बातचीच की जा रही है. इस संबंध में पिछले वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई थी. दोनों नेताओं के बीच सीमा विवाद को सुलझाने पर सहमति बनी थी. अब दोनों देशों के अधिकारियों का कहना है कि यात्रा शुरू करने पर लगभग सहमति बन चुकी है.
कब शुरू होगी मानसरोवर यात्रा?
कैलाश मानसरोवर यात्रा वैसे तो जून में शुरू होती है. क्योंकि 2020 के सीमा विवाद के बाद यह अब तक बंद है. इसलिए चीन का इस बार शायद सितंबर तक का समय लग सकता है. चीन का कहना है कि यात्रा के रास्ते और सुविधाएं पिछले पांच सालों से इस्तेमाल नहीं हुई हैं, इसलिए उन्हें फिर से ठीक करने में समय लगेगा.
आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा विदेश मंत्रालय की ओर से जून से सितंबर के बीच दो रास्तों से कराई जाती है. इस यात्रा के लिए दो रास्ते हैं. पहला- उत्तराखंड के लिपुलेख पास और दूसरा सिक्किम के नाथू ला पास से. यह जगह हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बहुत पवित्र मानी जाती है.
आसान नहीं कैलाश पर्वत के दर्शन
कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को करीब 19,500 फीट की ऊंचाई तक ट्रेक करना होता है, जहां मौसम बहुत कठिन होता है. इस स्थान का मौसम मिनट-मिनट में बदलता रहता है और काफी ठंड रहती है. जानकारी के अनुसार, भारत से एक साल में 1000-1500 तीर्थयात्री ही इस यात्रा में जा सकते हैं. एक बैच में 60 से 100 यात्री शामिल होते हैं. पूरी यात्रा का खर्च 1.80 लाख रुपये या उससे ज्यादा भी आ सकता है.





