राऊ IAS स्टडी सेंटर के CEO और कोऑर्डिनेटर को जमानत, 7 दिसंबर तक मिली राहत
दिल्ली कोर्ट ने राउ कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के दोषियों को 7 दिसंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दी है. दोनों आरोपियों को 1-1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है. साथ ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल को चार सप्ताह के भीतर ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों पर एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को राऊ IAS स्टडी सेंटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर देशपाल सिंह को तीन सिविल सेवा उम्मीदवारों की मौत के मामले में जमानत दे दी है. कोर्ट ने यह राहत 7 दिसंबर तक दी है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने दोनों आरोपियों को 1-1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. इसके साथ ही, अदालत ने अभिषेक गुप्ता पर एक शर्त लगाई है, जिसमें उन्हें इस साल 30 नवंबर तक उपराज्यपाल के अधीन रेड क्रॉस में 2.5 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल को चार सप्ताह के भीतर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपायों पर एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को गंभीर बताते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि परामर्श प्रक्रिया में तेजी लाई जाए क्योंकि इसमें त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है.
तीन सिविल सेवा उम्मीदवारों हुई थी मौत
यह मामला 27 जुलाई का है, जिसमें अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के एर्नाकुलम के निविन दलविन, जो तीन सिविल सेवा उम्मीदवार थे, दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में फंसने के बाद इनकी मृत्यु हो गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दी थी अंतरिम जमानत
इससे पहले, 13 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़े चार लोगों को अंतरिम जमानत दी थी, जो 30 जनवरी, 2025 तक प्रभावी रहेगी. कोर्ट ने उपराज्यपाल (एलजी) से भी एक समिति गठित करने का अनुरोध किया, जो सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज की देखरेख में काम करेगी. इस समिति का उद्देश्य दिल्ली के बेसमेंट में बिना मंजूरी के चल रहे कोचिंग सेंटरों की रोकथाम करना है.
जस्टिस डीके शर्मा की बेंच ने चारों लोगों की हरकतों को "अक्षम्य" बताते हुए उनके "लालच" को इसका जिम्मेदार ठहराया. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की लापरवाही से न केवल उम्मीदवारों की जान गई, बल्कि इस घटना ने प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियों को भी उजागर किया है.