CBSE का बड़ा फैसला: अब साल में दो बार होंगी 10वीं की परीक्षाएं, बोर्ड का नया नियम डिटेल में...
CBSE ने कक्षा 10 के छात्रों के लिए एक शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला लिया है. पहली परीक्षा फरवरी में अनिवार्य होगी, जबकि मई में दूसरी परीक्षा वैकल्पिक होगी, जिसमें छात्र तीन विषयों में प्रदर्शन सुधार सकते हैं. यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के अनुसार किया गया है, ताकि परीक्षा का दबाव कम किया जा सके. शीतकालीन क्षेत्र के छात्रों को दोनों चरणों में से किसी एक में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा.

CBSE Class 10 Two Board Exams New Rules: अब कक्षा 10 के छात्र एक शैक्षणिक सत्र में दो बार CBSE बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे. हालांकि, फरवरी में होने वाले पहले चरण की परीक्षा में बैठना सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा, जबकि मई में होने वाली दूसरी परीक्षा केवल उन्हीं छात्रों के लिए होगी जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं. CBSE ने यह फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के आधार पर लिया है, जिसका उद्देश्य बोर्ड परीक्षा के 'हाई स्टेक्स' यानी अत्यधिक दबाव को कम करना है.
CBSE परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बताया, “पहला चरण फरवरी में और दूसरा चरण मई में आयोजित किया जाएगा. पहले चरण का परिणाम अप्रैल में और दूसरे का परिणाम जून में घोषित किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि छात्रों को विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में से किसी भी तीन विषयों में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने का मौका मिलेगा, लेकिन पहले चरण की परीक्षा में बैठना सभी के लिए जरूरी होगा, जबकि दूसरा चरण पूरी तरह वैकल्पिक रहेगा.
सर्दियों में बंद होने वाले स्कूलों के छात्रों को इन दोनों चरणों में से किसी एक में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा. साथ ही, आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) पूरे सत्र में केवल एक बार ही किया जाएगा.
CBSE ने फरवरी में जारी किया था योजना का प्रारूप
CBSE ने इस योजना का प्रारूप फरवरी में जारी किया था. इसमें जनता, शिक्षकों और विशेषज्ञों से सुझाव भी मांगे गए थे. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य यह है कि छात्रों पर बोर्ड परीक्षा का अत्यधिक मानसिक दबाव न हो और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन सुधारने का मौका मिले.
महत्वपूर्ण बातें
- बोर्ड परीक्षा भले ही दो बार आयोजित हो, लेकिन प्रायोगिक और आंतरिक मूल्यांकन केवल एक बार ही होगा. यह स्टूडेट्स पर निर्भर करता है कि वे एक परीक्षा में शामिल होते हैं या दोनों परीक्षाएं देते हैं.
- बोर्ड परीक्षा के दोनों चरणों के लिए परीक्षा केंद्र एक ही रहेगा, जिसे छात्र स्वयं नहीं चुन सकेंगे. इसके लिए परीक्षा शुल्क में इजाफा भी किया जाएगा.
- दो बार परीक्षा होने से सप्लीमेंट्री परीक्षाएं खत्म हो जाएंगी. इससे अगर पहली परीक्षा में कोई छात्र किसी विषय में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता तो वह दूसरी बार आयोजित परीक्षा में अपने प्रदर्शन सुधार सकता है.
- CBSE की नई व्यवस्था के अनुसार बोर्ड परीक्षाएं अब संक्षिप्त नहीं, बल्कि पूरे सिलेबस पर आधारित होंगी.
- हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसी मुख्य विषयों की परीक्षाओं की तारीखें तय होंगी, जबकि क्षेत्रीय भाषाएं और विदेशी भाषाओं की परीक्षा एक ही दिन कराई जाएगी. डेटा साइंस जैसे वैकल्पिक विषयों की परीक्षा 2 या 3 दिनों में हो सकती है.
- छात्र अपनी वैकल्पिक विषयों की परीक्षा तिथि खुद तय नहीं कर सकेंगे.
- खेल गतिविधियों से जुड़े छात्रों को भी साल में कम से कम एक बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य होगा; उनके लिए अलग से कोई विशेष परीक्षा नहीं कराई जाएगी.
- पहली परीक्षा के लिए जब ‘List of Candidates’ (LOC) जमा की जाएगी, उसके बाद छात्र विषय में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे. अगर अत्यंत आवश्यक हुआ, तो दूसरी परीक्षा के समय ही परिवर्तन पर विचार किया जाएगा.
- पहली परीक्षा के बाद छात्रों को पासिंग सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, लेकिन वे डिजिलॉकर पर अपने स्कोर देख सकेंगे.
- अंतिम और मान्य पासिंग सर्टिफिकेट दूसरी परीक्षा के बाद जारी होगा, जिसमें दोनों परीक्षाओं के अंक, आंतरिक मूल्यांकन और सर्वश्रेष्ठ अंक शामिल होंगे. इसके अलावा, छात्रों को एक मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा, जो उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दर्शाएगा.