क्या मौत को हराया जा सकता है? ब्रेन, क्वांटम मैकेनिक्स और इम्मोर्टलिटी का साइंस
क्वांटम मैकेनिक्स, ब्रेन साइंस और कांशसनेस पर रिसर्च से खुल रहे हैं इम्मोर्टलिटी के नए दरवाज़े. जानें कैसे साइंस मौत के मायने बदल सकते है और अमरता की दिशा में हो सकता है कदम.

डेथ, जिससे दुनिया की 69% पॉपुलेशन डरती है (Gallup Poll, 2020), उसका टेक्निकल डेफिनेशन है 'irreversible cessation of all brain functions', यानी जब ब्रेन डेड हो जाता है तो life ऑफिशियली ओवर हो जाती है. पर सोचो अगर किसी तरीके से ब्रेन को रिस्टोर कर लिया जाए, तो थ्योरेटिकली हम अमर हो सकते हैं! लेकिन ब्रेन एक इतना डेलिकेट ऑर्गन है कि इसे टच करते ही कई न्यूरॉन्स डैमेज हो जाते हैं. रिसर्च के मुताबिक, हर सेकंड 32,000 न्यूरॉन्स एक्टिव होते हैं और 1 सेकंड के लिए ऑक्सीजन ना मिलने पर न्यूरॉन्स इररिवर्सिबल डैमेज हो जाते हैं (Harvard Medical School Study, 2021).
एक अमेरिकन न्यूरोसर्जन Robert White ने 1970s में एक शॉकिंग एक्सपेरिमेंट किया था. उन्होंने एक बंदर के हेड को दूसरे बंदर के बॉडी से ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की. टेम्पररी सक्सेस मिली - वो बंदर देख सकता था, आवाज़ कर सकता था, पर सिर्फ 8 दिन बाद उसकी डेथ हो गई. यह फेल हुआ, और एक सवाल छोड़ गया: क्या ह्यूमन कॉन्शसनेस को किसी और फॉर्म में ट्रांसफर करना पॉसिबल है? क्वांटम मैकेनिक्स के नए थ्योरीज़ यह सवाल एड्रेस करते हैं.
कॉन्शसनेस: ब्रेन का ऑपरेटिंग सिस्टम
कॉन्शसनेस को एक तरह से ब्रेन का ऑपरेटिंग सिस्टम मान लो. यह हमें यूनिक बनाता है, हमारी सोच, हैबिट्स और पसंद डिफाइन करता है. अब सोचो अगर किसी इंसान के कॉन्शसनेस का पूरा डाटा यानी उसका सोचने का तरीका, यादें, और बिहेवियर एक सिस्टम में सेव किया जा सके, तो वो इंसान थ्योरेटिकली अमर हो जाएगा.
ये पॉसिबिलिटी प्रूव करने का क्रेडिट जाता है Roger Penrose को, जो ब्लैक होल की singularity का कांसेप्ट लेकर आए थे. पर इसकी शुरुआत Penrose के जन्म से काफी पहले, 1924 में Louis de Broglie के एक हाइपोथिसिस से हुई थी. De Broglie ने कहा की जैसे लाइट dual nature दिखाता है, wave एंड particle दोनों के फॉर्म में एक्सिस्ट करता है, वैसे ही यूनिवर्स के हर ऑब्जेक्ट का भी ड्यूल नेचर होता है, चाहे वो मैटर हो या इंसान.
Quantum Mechanics और मौत का कनेक्शन
1927 में Werner Heisenberg का अनसर्टेनिटी प्रिंसिपल आया, जिसमें उन्होंने कहा कि quantum particles का पोजीशन और मोमेंटम एक साथ मेजर करना इम्पॉसिबल है. तभी Niels Bohr ने एक एक्सपेरिमेंट किया जिसने फिजिक्स की दुनिया को हिला कर रख दिया - Double-Slit Experiment.
इस एक्सपेरिमेंट में, इलेक्ट्रॉन्स को एक बैरियर के दो स्लिट्स के थ्रू पास कराया गया, जब किसी आब्जर्वर ने उन्हें कॉन्ससियसली ऑब्सेर्व नहीं किया, तो इलेक्ट्रॉन्स ने वेव जैसे बेहवे किया और interference pattern बनाया. पर जब आब्जर्वर ने उन्हें मॉनिटर किया, तो इलेक्ट्रॉन्स ने पार्टिकल जैसे बीहेव किया. इसका मतलब ऑब्जरवेशन का प्रजेंस पार्टिकल्स के बिहेवियर को चेंज कर रहा था.
क्वांटम मैकेनिक्स कहता है कि कांशसनेस matter और energy के डायनामिक्स को इन्फ्लुएंस कर सकती है. 1932 में von Neumann ने कहा कि जब एक कॉन्ससियस आब्जर्वर क्वांटम सिस्टम को देखता है, तो सिस्टम का वेव फंक्शन कलपसे हो जाता है और एक डेफिनाईट स्टेट ले लेता है.
Schrödinger’s Cat और ह्यूमन इम्मोर्टलिटी
Erwin Schrödinger, जो क्वांटम मैकेनिक्स के पायनियर हैं, उन्होंने एक फेमस अनेलॉजी दिया - Schrödinger’s Cat. एक कैट को एक बॉक्स में रखा गया, जिसमें एक रेडियोएक्टिव एटम और पाइजन का वॉइल था. जब तक बॉक्स ओपन नहीं होता, कैट साइमनटेनिसली ज़िंदा और मर चुकी होती है. यह क्वांटम सुपरपोज़िशन को एक्सप्लेन करता है.
Roger Penrose ने इस आईडिया को कांशसनेस पर अप्लाई किया और कहा कि ब्रेन भी एक क्वांटम सिस्टम की तरह बीहेव करता है. उन्होंने 1989 की अपनी किताब 'The Emperor’s New Mind' में एक्सप्लेन किया कि कांशसनेस एक वेव फंक्शन कोलेप्स के जरिए जनरेट होती है. अगर हम इस प्रोसेस को समझ लें, तो हम कांशसनेस को आर्टिफ़िशियली क्रिएट या ट्रांसफर कर सकते हैं.
DNA, Brain, और Quantum Systems
इंसान के DNA का 98.7% similarity chimpanzees के साथ होती है (Genome Research, 2005), लेकिन वो 1.3% डिफरेंस ही हमें यूनिक बनाता है. यह वैरिएशंस हमारे ब्रेन के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम्स में रिफ्लेक्ट होते हैं. Harvard Medical School के एक स्टडी के मुताबिक, एक ह्यूमन ब्रेन 86 बिलियन न्यूरॉन्स और 100 ट्रिलियन कनेक्शंस मेन्टेन करता है, जो एक स्मॉल सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर से ज़्यादा काम्प्लेक्स है.
क्वांटम फिजिक्स यह कहता है कि कांशसनेस एक यूनिवर्सल फेनोमेनन है. अगर इसको एक्यूरेटली कॉपी और प्रिजर्व किया जा सके, तो थ्योरेटिकली इम्मोर्टलिटी अचीव की जा सकती है.
इम्मोर्टलिटी का फ्यूचर
आज के टाइम में, साइंटिस्ट्स brain-computer interfaces (BCI) और AI-driven consciousness mapping पर काम कर रहे हैं. Elon Musk की कंपनी Neuralink का एम है कि ब्रेन के इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को डिकोड करके उन्हें मशीन के साथ इंटीग्रेट किया जा सके. अगर यह सक्सेसफुल हुआ, तो फ्यूचर में हम अपनी कांशसनेस को मशीन में अपलोड कर सकते हैं.
2023 में MIT के रिसर्चर्स ने एक ब्रेकथ्रू अचीव किया जब उन्होंने एक न्यूरॉन-लेवल ब्रेन मैपिंग तकनीक डेवेलोप की, जो ट्रिलियन -लेवल डाटा पॉइंट्स को सही से कैप्चर करती है. इसका यूज करते हुए, फ्यूचर में एक ह्यूमन कांशसनेस का डिजिटल अवतार रेडी करना पॉसिबल होगा.
तो अब सवाल यह है क्या इम्मोर्टलिटी साइंस के जरिए अचीव करना सच में पॉसिबल होगा? अगर क्वांटम मैकेनिक्स और कांशसनेस के बीच का यह कनेक्शन सही है, तो शायद एक दिन हम मौत को भी हरा देंगे. फिलहाल तो यह एक फेसिनेटिंग आईडिया है जो फ्यूचर के पॉसिबिलिटीज के दरवाज़े खोलता है.