जजों को कहा- 'डॉगी माफिया', बॉम्बे HC ने सुनाई एक हफ्ते जेल की सजा और कहा...
Bombay High Court: नवी मुंबई की सीवुड्स हाउसिंग सोसाइटी की कल्चरल डायरेक्टर विनीता श्रीनंदन पर सुप्रीम कोर्ट के जजो को कुत्ता माफिया कहने का आरोप है. उन्होंने अपने एक बयान में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद बॉम्बॉ हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उन्हें 10 दिन जेल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि यह न्यायपालिका की छवि पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी है.

Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को नवी मुंबई के सीवुड्स हाउसिंग सोसाइटी की कल्चरल डायरेक्टर विनीता श्रीनंदन को कोर्ट की अवमानना मामले में एक हफ्ते की जेल की सजा सुनाई. विनीता ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को डॉग माफिया का हिस्सा बताया था. अदालत ने उनकी टिप्पणी को बेहद आपत्तिजनक माना और सजा सुनाई.
जानकारी के अनुसार, विनीता श्रीनंदन की अपील पर कोर्ट ने उनकी सजा पर 10 दिन की रोक लगाई है, जिससे वो सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकें. बता दें कि सीवुड्स सोसाइटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर सोसाइटी के कुछ लोगों के बीच विवाद चल रहा था. इसके बाद एक एनिमल बर्थ कंट्रोल एक्ट (2023) को चुनौती गई थी.
क्या है मामला?
एनिमल बर्थ कंट्रोल एक्ट के तहत सोसाइटी को कुत्तों को खाने की जगह देने को कहा गया है. हालांकि कुछ लोग इसके विरोध में हैं वो नहीं चाहते कि सोसाइटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाया जाए. सोसाइटी में रहने वाली लीला वर्मा रोजाना कुत्तों को खाना खिलाती हैं, जिस पर लोगों ने आपत्ति जताई. फिर लीला ने कोर्ट में इंटरवेनशन एप्लिकेशन लगाई. इसके बाद जनवरी में कोर्ट ने आदेश दिया कि सोसाइटी लीला वर्मा को कुत्तों को खाना खिलाने से नहीं रोकेगी.
क्या थी विनीता की टिप्पणी?
लीला वर्मा ने कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया, जिसमें विनीता श्रीनंदन द्वारा लिखे गए और सोसाइटी में बांटे गए एक दस्तावेज को शामिल किया गया था. इस दस्तावेज में लिखा था कि अब हमें यकीन हो गया है कि देश में एक बड़ा डॉग माफिया काम कर रहा है, जिसके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उन जजों की लिस्ट है, जो डॉग फीडरों के समर्थन में हैं. ज्यादातर कोर्ट के फैसले कुत्तों को खाना खिलाने वालों के पक्ष में होते हैं, इंसानी जान की कोई कीमत नहीं समझी जाती.
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने इसे न्यायपालिका की छवि खराब करना बताया. कोर्ट ने बताया कि यह न्याय प्रणाली की गरिमा पर सीधा हमला है. इसके बाद विनीता ने बाद में माफी मांगी, लेकिन कोर्ट ने उस माफी को बस कानूनी बचाव का तरीका बताया और कहा कि उसमें कोई सच्चा पछतावा नहीं दिखता. कोर्ट ने कहा ऐसी माफी जिसे पढ़कर कोई पछतावे की भावना न लगे, वो सिर्फ़ एक कानूनी शब्दजाल है.
अदालत ने कहा. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. कोर्ट का यह भी कहना था कि एक पढ़ी-लिखी महिला से ऐसी हरकत, पूरी सोच-समझकर की गई कोशिश लगती है, जिससे न्यायपालिका की साख को नुकसान पहुंचे.