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सिर्फ शुरुआत है ये! 2000 प्रवासियों की वापसी से हिला बांग्लादेश, ऑपरेशन सिंदूर बना सरकार का सबसे बड़ा 'पुश-बैक' मिशन

ऑपरेशन सिंदूर के तहत अब तक 2,000 से अधिक अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को सीमा पार वापस भेजा गया है. गुजरात, दिल्ली, असम समेत कई राज्यों में गहन अभियान चल रहा है. कई प्रवासी स्वेच्छा से लौट रहे हैं. सरकार हर प्रत्यर्पित का बायोमेट्रिक डेटा दर्ज कर रही है ताकि दोबारा घुसपैठ रोकी जा सके.

सिर्फ शुरुआत है ये! 2000 प्रवासियों की वापसी से हिला बांग्लादेश, ऑपरेशन सिंदूर बना सरकार का सबसे बड़ा पुश-बैक मिशन
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 2 Jun 2025 7:06 AM IST

7 मई से शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत केंद्र सरकार ने अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से निष्कासित करने का व्यापक अभियान शुरू किया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,000 से अधिक लोगों को देश से वापस भेजा जा चुका है. यह सिर्फ शुरुआत मानी जा रही है, क्योंकि अभियान देशभर में फैला हुआ है और सभी राज्यों को निर्देश दिए जा चुके हैं.

सबसे पहले गुजरात में कार्रवाई शुरू हुई, जहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अप्रवासी कामकाजी इलाकों में रह रहे थे. इसके बाद दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी यह कार्रवाई तेज की गई. अधिकारियों के अनुसार, कई अप्रवासी कार्रवाई के डर से स्वयं भारत-बांग्लादेश सीमा तक पहुंच गए और बिना विरोध के लौटने को तैयार हो गए. इसमें त्रिपुरा, असम और मेघालय की सीमा सबसे संवेदनशील मानी गई.

हवाई मार्ग से सीमाओं तक पहुंचाया गया

अवैध अप्रवासियों को अलग-अलग शहरों से भारतीय वायुसेना के विमानों से सीमावर्ती राज्यों तक लाया गया. फिर बीएसएफ की निगरानी में अस्थायी शिविरों में रखा गया. यहां उन्हें खाने-पीने के साथ कुछ मामूली बांग्लादेशी मुद्रा दी गई और बाद में सीमा पार करवा दी गई. सूत्रों का कहना है कि अधिकतर लोग निर्वासन का विरोध नहीं कर रहे क्योंकि उनके पास कानूनी लड़ाई का न तो साधन है और न ही मंशा.

बीजेपी शासित राज्य नहीं है लक्ष्य

मेघालय जैसे राज्य जहां बीजेपी अल्पमत में है, वहां भी यह अभियान चला है. अधिकारी बताते हैं कि सीमावर्ती राज्यों को इसलिए चुना गया क्योंकि वहां से बांग्लादेश की सीमा तक पहुंचना आसान है. पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सीमा घरों और गांवों से गुजरती है, जिससे कानून-व्यवस्था की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. इसलिए वहां फिलहाल सावधानी बरती जा रही है.

परिवारों ने खुद बुलाया वापस

सूत्रों ने बताया कि बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर रही है. अधिकतर लोग खुद ही अपने रिश्तेदारों को फोन करके सीमा पर बुला रहे हैं. इन्हें पता है कि पकड़े जाने पर हिरासत या जेल जाना पड़ेगा, इसलिए वे वापस जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं. इनमें ज़्यादातर गरीब मज़दूर हैं जिनकी वापसी में ज्यादा जटिलता नहीं है.

संख्या बढ़ेगी तो आएंगी राजनीतिक अड़चनें

हालांकि यह अभियान अभी तक सुचारू रूप से चला है, लेकिन अधिकारियों को आशंका है कि जब हर हफ्ते 10,000-20,000 लोगों को वापस भेजा जाएगा तो बांग्लादेश सरकार की असहमति सामने आ सकती है. यही कारण है कि भारत सरकार अब इन सभी लौटाए गए अप्रवासियों की बायोमेट्रिक जानकारी दर्ज कर रही है, ताकि दोबारा प्रवेश की स्थिति में उन्हें पहचाना जा सके.

पहलगाम हमले के बाद तेज हुई कार्रवाई

अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद अवैध अप्रवासियों की भूमिका को लेकर एजेंसियों में गंभीरता बढ़ी थी. इन्हीं घटनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सख्त कार्रवाई का फैसला लिया. ऑपरेशन सिंदूर इसी व्यापक नीति का हिस्सा है, जिसमें केवल अवैध घुसपैठ ही नहीं बल्कि संभावित आतंकी नेटवर्क भी टारगेट में हैं.

भविष्य की बनी रणनीति

सरकार अब इन निष्कासनों को एक बार की कवायद न मानकर दीर्घकालिक रणनीति के तहत देख रही है. इसी कारण बायोमेट्रिक डाटा कैप्चर, आव्रजन निगरानी और राज्यों में विशेष टास्क फोर्स बनाए जा रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि यह समस्या बार-बार न उभरे और भविष्य में ऐसी घुसपैठ का त्वरित और स्थायी समाधान निकाला जा सके.

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