Begin typing your search...

पुलिस कांस्टेबल, जिसने CM को उतारा मौत के घाट; कानून पर नहीं करता भरोसा - बलवंत सिंह राजोआना का कच्चा चिट्ठा

Who Is Balwant Singh Rajoana: 31 अगस्त 1995... यह वह तारीख थी, जब पंजाब से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया. इसकी वजह बनी मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या... इस हत्या में जिन 15 लोगों को आरोपी बनाया गया, उसमें एक नाम बलवंत सिंह राजोआना का भी है... इस समय राजोआना चर्चा में क्यों है, आइए जानते हैं...

पुलिस कांस्टेबल, जिसने CM को उतारा मौत के घाट; कानून पर नहीं करता भरोसा - बलवंत सिंह राजोआना का कच्चा चिट्ठा
X
( Image Source:  ANI )

Balwant Singh Rajoana: पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या करने के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना का नाम एक बार फिर चर्चा में है. इसकी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 सितंबर को उसकी दया याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि वह राष्ट्रपति को राजोआना की दया याचिका के बारे में बताएं और दो हफ्ते में इस पर विचार करने का निवेदन करें.

जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए विशेष रूप से आज का दिन तय किया गया था. इसके बावजूद भारत संघ की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ. पीठ आज केवल इसी मामले में सुनवाई के लिए बैठी थी. पीठ ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई अब 5 दिसंबर को होगी.

बेअंत सिंह की हत्या कब हुई?

बता दें कि बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को हत्या कर दी गई थी. उस समय वे सचिवालय से किसी काम से बाहर निकले थे. वे जैसे ही कार में बैठने वाले थे, पंजाब पुलिस के एक जवान दिलावर सिंह जयसिंहवाला ने अपने शरीर पर बंधे बम में विस्फोट कर लिया. इससे सीएम समेत 18 लोग मारे गए. बलवंत सिंह राजोआना बैकअप मानव बम था. अगर दिलावर सिंह अपने मिशन में फेल हो जाता था, तो बलवंत सिंह खुद को उड़ा देता. कहा जाता है कि उनके बीच मानव बम बनने का फैसला सिक्का उछालकर किया गया था. आइए, बलवंत सिंह राजोआना के बारे विस्तार से जानते हैं...

कौन है बलवंत सिंह राजोआना?

बलवंत सिंह राजोआना का जन्म 23 अगस्त 1967 को पंजाब के लुधियाना जिले के रायकोट तहसील में स्थित राजोआना कलां गांव में हुआ. उसे 1 अगस्त 2007 को बेअंत सिंह की हत्या मामले में चंडीगढ़ की विशेष सीबीआई कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. बचपन में उसे गजलों, उपन्यास और कविताओं का शौक था. आगे चलकर वह पंजाब पुलिस में शामिल हुआ.

'न्यायपालिका में कोई भरोसा नहीं'

बलवंत सिंह राजोआना ने बेअंत सिंह को मारने के बाद कहा था कि भारतीय न्यायपालिका में उसका कोई भरोसा नहीं है. उसने अपना बचाव करने के लिए वकील लेने से भी इनकार कर दिया. उसने अदालतों पर कानून के दोहरे मानदंड लागू करने और 1984 सिख विरोध दंगों के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया.

राजोआना ने अपनी वसीयत में बताया कि मरने के बाद उसकी इच्छा स्वर्ण मंदिर में रागी लखविंदर सिंह को अपनी आंखें और किडनी, दिल या शरीर का कोई अंग अन्य जरूरतमंदों को दान करने की है. राजोआना ने फांसी की सजा पर रोक लगने पर कहा था कि उसने अपना पूरा जीवन खालसा पंथ को समर्पित कर दिया. फांसी पर रोक लगने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता. राजोआना ने कहा कि मैं खुश हूं, क्योंकि सिख समुदाय ने दिल्ली सरकार की दीवारों को झकझोर दिया है.

मामले में 15 लोगों को बनाया गया आरोपी

बेअंत सिंह की हत्या से पंजाब से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया. मामले में 15 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें से जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह राजोआना को मौत की सजा, जबकि गुरमीत सिंह, शमशेर सिंह और लखविंदर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वहीं, दो आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने ही बरी कर दिया था.

फांसी की सजा पर लगी रोक

बताया जाता है राजोआना बब्बर खालसा का बॉम्बर था. वह पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की सजा को कम करने से इनकार कर दिया. वह करीब 27 साल से जेल में हैं. साल 2012 में उसे फांसी होनी थी, लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की अपील के बाद उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी गई.

राजोआना ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसकी सजा को सरकार ने कम करने का फैसला किया है, लेकिन गृह मंत्री ने सदन में इससे इनकार कर दिया. उन्होंने ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है.

बेअंत सिंह की क्यों हुई हत्या?

बेअंत सिंह की सरकार ने खालिस्तानियों के खात्मे के लिए पुलिस को खुली छूट दे दी थी. तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल ने ऑपरेशन चलाकर आतंकियों का सफाया करना शुरू कर दिया था. इससे राजोआना नाराज था. यही वजह है कि उसने उनकी हत्या की साजिश रची.

India News
अगला लेख