एक संत, एक तिलिस्म, एक सच : आसाराम बापू की अंधभक्ति से अंधेरे तक की कहानी
कभी संत, फिर भगवान, और अंत में बलात्कारी करार दिए गए शख्स का नाम है—आसाराम बापू। एक ऐसा नाम, जिसने करोड़ों भक्तों के दिलों पर राज किया। भारत ही नहीं, विदेशों तक फैले आश्रमों का साम्राज्य खड़ा किया, और फिर उसी ‘सत्ता’ ने उसे ले जाकर पटका जेल की कालकोठरी में. आसाराम बापू का जीवन एक ऐसा उदाहरण है, जहां आध्यात्मिक शक्ति और प्रभाव ने कानून, न्याय और नैतिकता को लंबे समय तक चुनौती दी, लेकिन अंततः सच्चाई और न्याय की जीत हुई.

Asaram Bapu biography: 17 अप्रैल 1941... पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बेराणी गांव में आसुमल सिरुमलानी हरपलानी का जन्म हुआ, जो आगे चलकर विवादित अध्यात्मिक गुरु बना. दुनिया उसे आसाराम बापू के रूप में जानती हैं. भारत विभाजन के बाद उसका परिवार गुजरात आ गया. उसने युवावस्था में विभिन्न धार्मिक गुरुओं के सान्निध्य में साधना की.
पिता लकड़ी का व्यापार करते थे, लेकिन बालक आसुमल हरपालानी की पढ़ाई-लिखाई कुछ खास नहीं चली. कहते हैं, कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेची, तो कभी टोंटीदार बोतल में जड़ी-बूटी बेचते नजर आए. धीरे-धीरे अध्यात्म की तरफ झुकाव हुआ. किसी संत से दीक्षा ली और ‘आसाराम बापू’ बन गए.
1970 में आसाराम ने की पहले आश्रम की स्थापना
आसाराम बापू ने 1970 के दशक में अहमदाबाद के साबरमती तट पर पहला आश्रम स्थापित किया. इसके बाद भारत और विदेशों में 400 से अधिक आश्रम और 40 स्कूलों की स्थापना की.
करिश्माई कथाएं और भक्तों की कतारें
70 के दशक से आसाराम ने सत्संग करना शुरू किया. उसकी शैली अलग थी- हंसी, मज़ाक, शेर-ओ-शायरी के साथ ज्ञान की बातें. टीवी पर उनके प्रवचन आते थे. लोग कहते, बापू तो साक्षात भगवान हैं. धीरे-धीरे उसने देशभर में 400 से ज्यादा छोटे-बड़े आश्रम बना डाले. अमेरिका, कनाडा, यूके तक बापू के प्रवचन पहुंचने लगे. भक्तों में नेता, अभिनेता, उद्योगपति, सब शामिल थे. भक्तों का कहना था कि बापू के हाथों में चमत्कार है, वो बीमारियों को ठीक कर देते हैं,
आसाराम का प्रभाव और साम्राज्य
आसाराम ने योग, ध्यान और प्रवचनों के माध्यम से लाखों अनुयायियों को आकर्षित किया. उसकी आर्थिक गतिविधियों में आयुर्वेदिक उत्पादों की बिक्री और धार्मिक पत्रिकाओं का प्रकाशन शामिल था, जिससे करोड़ों की आय होती थी.
राजनेता आसाराम के चरण छूते, पुलिस अधिकारी उनके सत्संग में सुरक्षा संभालते, और मीडिया तक उनके प्रभाव से अछूता नहीं था. कहा जाता है कि उनके पास करीब 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति थी- जमीन, दान, व्यापार, सब कुछ उनके ‘ट्रस्ट’ के नाम पर चलता था.
16 साल की लड़की को बनाया हवस का शिकार
- 2013 में एक 16 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया कि आसाराम ने जोधपुर के पास मणाई आश्रम में उसके साथ यौन शोषण किया.
- इस पर दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया और 1 सितंबर 2013 को इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार कर लिया.
- आसाराम पर आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया, जिसमें यौन शोषण, धमकी और नाबालिग से दुष्कर्म शामिल है.
- जोधपुर की विशेष एससी/एसटी अदालत ने 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को नाबालिग से बलात्कार का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. उसे जोधपुर केंद्रीय जेल में रखा गया.
- उसके बेटे नारायण साईं को भी एक अन्य बलात्कार मामले में 2019 में आजीवन कारावास की सजा हई.
- बताया जाता है कि केस के दौरान कई गवाहों पर हमले हुए. कुछ की हत्या तक कर दी गई.
- आसाराम इस समय जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है, जहां वो उम्रकैद की सजा काट रहा है.
- इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों से आसाराम को 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत दी. राजस्थान हाई कोर्ट ने भी इलाज के लिए उसे 7 दिन की पैरोल दी थी,
कहानियों की आड़ में छिपे काले राज
एक ओर लोग उन्हें चमत्कारी बताते, तो दूसरी ओर उनके आश्रमों से निकलती थी कुछ अजीबोगरीब अफवाहें - काले जादू, बलि, लड़कियों की ग़ायब होने की खबरें, लेकिन हर बार भक्तों की भीड़ इस पर मिट्टी डाल देती. 2008 में मोटेरा (अहमदाबाद) आश्रम से दो बच्चों की संदिग्ध मौत ने सबको झकझोर दिया, लेकिन केस आगे नहीं बढ़ सका. तब तक बापू का तिलिस्म अटूट था.
आसाराम बापू की कहानी एक साधारण व्यक्ति से लेकर एक प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु बनने और फिर गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने तक की है. उसका जीवन यह दर्शाता है कि कैसे शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग अंततः न्याय के दायरे में आता है. आसाराम बापू का जीवन एक ऐसा उदाहरण है, जहां आध्यात्मिक शक्ति और प्रभाव ने कानून, न्याय और नैतिकता को लंबे समय तक चुनौती दी, लेकिन अंततः सच्चाई और न्याय की जीत हुई.