Begin typing your search...

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी और जावेद, कहा- मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का हुआ उल्लंघन

हाल ही में संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को चुनौती देते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और भेदभावपूर्ण बताया है. यह विधेयक लोकसभा में 2 अप्रैल और राज्यसभा में 3 अप्रैल की देर रात पारित हुआ.

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी और जावेद, कहा- मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का हुआ उल्लंघन
X
( Image Source:  ANI )

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो चुका है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. हालांकि, उससे पहले, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस विधेयक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने विधेयक को मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और भेदभावपूर्ण बताया. ओवैसी ने लोकसभा में विधेयक का विरोध करते हुए इसकी एक कॉपी भी फाड़ दी थी.

ओवैसी और जावेद ने दावा किया है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है.

'कई लोग बिल के खिलाफ याचिका दायर करेंगे'

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने कहा कि भारत में कई लोग बिल के खिलाफ याचिका दायर करेंगे. यह असंवैधानिक है. वक्फ एक धार्मिक संस्था है. आप गैर-मुसलमानों को स्वतंत्रता प्रदान कर रहे हैं. आप हमारे अधिकार को कैसे छीन सकते हैं? आप यह उल्लंघन कैसे कर सकते हैं? जावेद ने कहा कि यदि आपके पास संख्या है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप जो भी पारित करते हैं उसे पारित कर दें और कुछ गैरकानूनी करें. हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसका संज्ञान लेगा और इस बिल को जल्द से जल्द निरस्त किया जाएगा.

बता दें कि विधेयक में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकार को विवादित वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व का निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रावधान है, जिसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में राज्य का अनुचित हस्तक्षेप माना जा रहा है.

सरकार ने क्या कहा?

सरकार का तर्क है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिए किया गया है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार, यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और विविधता लाने में सहायक होगा.

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर विभिन्न पक्षों में मतभेद स्पष्ट हैं. एक ओर सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार की दिशा में कदम मानती है, वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक और धार्मिक नेता इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन मानते हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जहां संविधान और मौलिक अधिकारों के संदर्भ में इसकी वैधता पर निर्णय लिया जाएगा.

क्या सुप्रीम कोर्ट विधेयक पर रोक लगा सकती है?

सुप्रीम कोर्ट संसद में पारित किसी विधेयक पर रोक लगा सकती है, लेकिन इसके लिए कुछ संवैधानिक और कानूनी आधार होने चाहिए. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 32, और 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करने का अधिकार है. यदि कोई नागरिक, संगठन, या पक्ष अदालत में याचिका दायर करता है और अदालत को लगता है कि विधेयक या कानून संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure) के खिलाफ है, तो सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक (Stay Order) लगा सकती है या उसे असंवैधानिक घोषित कर सकती है.

यदि विधेयक मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन करता है तो सुप्रीम कोर्ट इसे रोक सकती है या असंवैधानिक करार दे सकती है. उदाहरण के लिए यदि कोई कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) या निजता के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करता है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे निरस्त कर सकती है.

India NewsPolitics
अगला लेख