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क्या जजों पर भी होता है बाहरी प्रेशर? CJI चंद्रचूड़ ने अपने अनुभवों से किए कई खुलासे

CJI D Y Chandrachud on judge: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायाधीशों पर न केवल सरकार बल्कि मीडिया का उपयोग करके निर्णयों को प्रभावित करने वाली निजी संस्थाओं से भी दबाव का सामना करने पर चर्चा की. सीजेआई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट कानूनी भाषा और पुरानी अदालती परंपराओं से हटने की भी वकालत की.

क्या जजों पर भी होता है बाहरी प्रेशर? CJI चंद्रचूड़ ने अपने अनुभवों से किए कई खुलासे
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CJI D Y Chandrachud on judge
( Image Source:  ANI, Canva )
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 10 Nov 2024 1:17 PM IST

CJI D Y Chandrachud on judge: कई बार लोगों के मन में सवाल उठते हैं कि क्या कोर्ट में बैठा न्याय दिलाने वाला कभी बाहरी प्रेशर का शिकार हो सकता है? इसमें राजनीतिक कार्यपालिका और निजी हित समूह भी शामिल हो सकते हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल आज यानी 10 नवंबर 2024 को समाप्त हो जाएगा. इससे पहले उन्होंने फैसले सुनाने के दौरान जजों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और बताया कि कैसे जजों सभी प्रेशर के बाद भी अपने काम को पूरा करता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों पर दबाव केवल राजनीतिक कार्यपालिका से ही नहीं, बल्कि निजी हित समूहों से भी आता है. उन्होंने कहा कि निजी हित समूह समाचार टीवी और सोशल मीडिया का उपयोग करके ऐसा माहौल बनाते हैं, जहां न्यायाधीश अक्सर किसी खास दिशा में जाने के लिए दबाव महसूस करते हैं.

'जजों को भी ट्रोलिंग का करना पड़ता है सामना'

उन्होंने कहा कि यहां स्वतंत्रता की कीमत भारी ट्रोलिंग से चुकानी पड़ती है. उन्होंने कहा, 'आपको ट्रोल किया जाएगा, आप पर हमला किया जाएगा.' न्यायिक स्वतंत्रता के बड़े मुद्दे पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि केवल उन फैसलों को देखकर स्वतंत्रता को मापना गलत है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के विचारों के खिलाफ कदम उठाया.

CJI चंद्रचूड़ ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैंने संतुलन बनाने की कोशिश की है.' उन्होंने कहा कि सरकारों के साथ परामर्श न्यायालय-कार्यकारी मतभेदों को हल करने के लिए भी महत्वपूर्ण है , उन्होंने न्यायाधीशों के चयन पर एससी कॉलेजियम-केंद्र के मतभेदों के बारे में अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा, एक ऐसा मुद्दा जो कई बार सुर्खियों में रहा है.

कॉलेजियम में सरकार से तकरार पर चंद्रचूड़

उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा सरकार के साथ स्पष्ट रहा हूं.' उन्होंने उस समय का जिक्र किया जब सरकार ने कॉलेजियम के फैसले को पलटने का प्रयास किया था. उन्होंने कहा, 'लेकिन सभी मतभेदों को हल नहीं किया जा सकता है.' शायद उन मतभेदों के सबसे प्रसिद्ध उदाहरण पर सरकार ने अभी तक वकील सौरभ किरपाल को HC जज के रूप में नियुक्त करने के कॉलेजियम के फैसले को मंजूरी नहीं दी है.

CJI ने जोर देकर कहा कि पुरानी या खराब अंग्रेजी में लिखे गए फैसले न्याय चाहने वालों के लिए नुकसानदेह हैं और यह दर्शाते हुए कि वे स्वयं पुरानी परंपराओं से जुड़े नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वे वकीलों के पश्चिमी देश में पहने जाने वाले भारी भरकम ड्रेस को हटाने के पक्ष में हैं और न्यायालयों के निर्माण के मामले में वे साधारण वास्तुकला के पक्ष में हैं, न कि अधिक भव्य बनाने के पक्ष में है.

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