एयर इंडिया का बोइंग-787 जन्म से ‘बीमार’ था, उस पर भी मेंटेनेंस का ‘टोटा’, हादसे की कई चौंकाने वाली वजह होंगी! INSIDE STORY
अहमदाबाद में 12 जून को क्रैश हुए एयर इंडिया के बोइंग-787 विमान को लेकर विमानन विशेषज्ञों ने कई गंभीर तकनीकी और मेंटेनेंस से जुड़ी खामियों की ओर इशारा किया है. बोइंग-787 की शुरुआत से ही इसमें बैटरी फेलियर, तकनीकी खामियां और मेंटीनेंस की लापरवाही जैसे मुद्दे जुड़े रहे. विशेषज्ञों का मानना है कि यह हादसा सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि एयरलाइन प्रबंधन और वैश्विक एविएशन सिस्टम के लिए गंभीर शोध और सुधार का विषय है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकी जा सके.

“अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग-787 हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने में कोई एक वजह नहीं रही है. इसकी कई वजह जांच के बाद निकल कर सामने आएंगी. वह कई वजह, कमिया-खामियां जो, विमानपत्तन की दुनिया में भारत और दुनिया की आने वाली पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर कहिए या फिर सबक साबित होंगी. यह सिर्फ हादसा नहीं है. यह विमानपत्तन की दुनिया में एक गहरे अनुसंधान का विषय है. जिसकी वजहें तलाशा जाना बेहद जरूरी है.
हादसे के बाहरी कारणों पर नजर डालें तो हमें बोइंग-737 के इतिहास से चलकर बोइंग-787 (Boeing 787 Crashed) पर आना होगा. किसी जमाने में बोइंग-737 में जिन कमियों की वजह से हादसे हुए थे. उन्हीं से सबक लेकर बोइंग 787 (12 जून 2025 को अहमदाबाद, गुजरात में दुर्घटनाग्रस्त) की बात करें तो उसमें काफी सुधार करके इसे आसमान में बेहतर आधुनिक तकनीक के साथ उड़ाना शुरू किया गया था. 787 का जो इनहरेंट मैनुफैक्चर हुआ था 2009 में, डिलीवरी होनी चाहिए थी भारत को. मगर बोइंग-787 में कुछ न कुछ निर्माण में तकनीकी खामियां बनी रही थीं.”
12 जून 2025 को गुजरात (अहमदाबाद महोगनी Ahmedabad Plane Crash) स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज पर जा कर स्वाहा हो चुके, एयर इंडिया के विमान बोइंग-787 (Air India Plane Crash) को लेकर यह तमाम अंदर की चौंकाने वाली बातें, स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम की विमानपत्तन सेवा-विशेषज्ञ से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में सामने आई हैं.
देर आयद मगर दुरुस्त नहीं आयद
एक निजी एयरलाइंस और बाद में देश की एक सेमी-गवर्मेंट एअरलाइंस के पूर्व और बोइंग 787-इनडक्शन, पूर्व अनुभवी पायलट ट्रेनर हेड, एग्जामिनर आदि-आदि रूप में भारत की एयरलाइंसों में गुरु-मास्टर तुल्य माने जाने वाले यह अनुभवी विमानपत्तन सेवा के रिटायर्ड अधिकारी अहमदाबाद में क्रैश हुए इंडियन एअरलाइंस के बोइंग 787 को लेकर अपने अनुभव बांटते हुए कहते है, “साल 2012-2013 में जैसे-तैसे काफी देरी के बाद बोइंग-787 भारत का लॉन्चिंग ग्राहक बन सका. भारत के साथ ही लेट-लतीफ बोइंग हवाई जहाज को खरीदने वाला दूसरा ग्राहक था NIPPON.”
बोइंग-787 जन्मजात ‘बीमार’
स्टेट मिरर हिंदी के साथ विशेष बातचीत में 40 साल से भी ज्यादा का विमान सेवा का अनुभव रखने वाले पूर्व विमानपत्तन अधिकारी ने कहा, “दरअसल कह सकता हूं कि जिस तरह से बोइंग-787 के जन्म की शुरूआत हुई. वही बीमारी से हुई थी. कोई न कोई अड़चन इसके जन्म के बाद से ही जुड़ी रही. इन छोटी मोटी बीमारियों को दूर करके, उड़ाने के लिए इसे भारत और निप्पोन के हवाले कर दिया गया. इसी कारण से इसकी आपूर्ति में भी कई साल का वक्त लगा.
बैटरी में आग की घटनाएं होने लगी थीं
जब बोइंग 787 ने उड़ान भरना शुरू कर दिया. तब इसके अंदर बैटरी इश्यू खड़ा हो गया. बैटरी में आग लगने के इंसिडेंट भी सामने आने लगे. बैटरी में भी डायवर्जन हुआ. जब बैटरी में आग के मुद्दे की चिंगारी भारतीय विमानपत्तन मंत्रालय तक पहुंची, तो इसी 787 हवाई जहाज को चार-छह महीने के लिए खामोशी के साथ जमीन पर ही खड़ा कर दिया गया. मगर उसके बाद आज तक यानी 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भीषण हवाई हादसे की तारीख से पहले तक कोई बड़ी शिकायत कभी भी नहीं आई.”
विमानों की मेंटेनेंस में लापरवाही!
अपनी बात जारी रखते हुए यह पूर्व विमानपत्तन सेवा अधिकारी ने कहा, “दरअसल विमान उड़ाने में सब कुछ पायलट पर ही निर्भर नहीं करता है. काफी हद तक विमान की मेंटेनेंस यानी रख-रखाव के तौर तरीकों पर भी निर्भर करता है. जब एयर इंडिया के ऊपर भारत सरकार की प्रभुत्व/स्वामित्व था. तब वैसे ही इसकी मरम्मत-मेंटेनेंस सरकारी-कछुआ चाली से चला करती थी. नतीजा यह रहा कि एयर इंडिया के जहाज मेंटीनेंस की जरूरत के बाद भी उड़ाये जाते रहे. क्योंकि वह मेंटेनेंस प्वाइंट मेजर नहीं मगर उन खामियों को दूर किया जाना जरूरी था. वे खामियां दूर किए बिना भी हवाई जहाज उड़ाए जाते रहे. क्योंकि उन छोटी मोटी खामियों से हवाई जहाज उड़ाने में कोई परेशानी नहीं थी. इसलिए भी मेंटेनेंस कमजोर हुआ तो विमानो की मशीनरी भी कमजोर पड़ती गई.” अगर इन सब चीजों पर ध्यान शुरू से ही देना शुरू कर दिया जाए, तो विमान वक्त से पहले बूढ़े होकर, शायद बे-वजह के हादसों को अंजाम देने का कारण न बनें.