Begin typing your search...

क्या DGCA ने उड़ने से पहले जांच की थी Dreamliner की सेफ्टी? पहले भी लगते रहे हैं लापरवाही के आरोप

अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान हादसे के बाद भारत की एविएशन रेगुलेटरी बॉडी DGCA की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्रीमलाइनर विमानों की तकनीकी खामियों, सेफ्टी बग्स और पुराने सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज कर के ही इन्हें उड़ान की मंजूरी दी गई थी. आरोप है कि DGCA और एयर इंडिया दोनों ने मिलकर उन रिपोर्ट्स को दबा दिया, जिनमें यह कहा गया था कि इस विमान के संचालन में सामान्य से 25 गुना अधिक दुर्घटना का खतरा है.

क्या DGCA ने उड़ने से पहले जांच की थी Dreamliner की सेफ्टी? पहले भी लगते रहे हैं लापरवाही के आरोप
X
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 14 Jun 2025 6:52 PM IST

Ahmedabad Plane Crash: गुरुवार को करीब 1 बजकर 38 मिनट पर अहमदाबाद में जो हुआ, वह सिर्फ एक विमान हादसा नहीं था, बल्कि भारत की एविएशन रेगुलेशन व्यवस्था पर सीधा तमाचा था. बोइंग का 787 ड्रीमलाइनर जिसे कभी 'फ्यूचर ऑफ फ्लाइट' कहा जाता था. तकनीकी खराबी के चलते बिल्डिंग से टकरा गया, और 242 लोगों की जान पर आफत बन गया.

जिसमें 241 विमान में सवार लोगों की मौत हो गई तो वहीं जिस जगह विमान हादसे हुए उस जगह पर मेडिकल छात्र कई लोगों की जान जा चुकी है. इस हादसे में अब तक करीब 265 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं. जिसमें क्या भारत के एविएशन रेगुलेटर DGCA (Directorate General of Civil Aviation) ने इस विमान की सेफ़्टी चेक्स व स्टैंडर्ड्स की असल में जांच की थी या नहीं?

इस घटना के बाद भारत की विमानन नियामक संस्था DGCA (Directorate General of Civil Aviation) की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. DGCA के रवैये पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. 2008 से लेकर अब तक हजारों फ्लाइट सेफ्टी नियमों के उल्लंघनों को नजरअंदाज किया गया, जबकि उनके खिलाफ ठोस डॉक्युमेंट्री सबूत मौजूद थे. 2008 में जब एयर इंडिया ने Boeing 777-200 और 777-300-ER जैसे लंबी दूरी के विमान खरीदे, तब के DGCA प्रमुख नसीम जैदी ने US-India रूट पर सुरक्षा के सख्त नियम बनाए थे, क्योंकि ये उड़ानें 16 घंटे तक लंबी होती थीं.

लेकिन जब एयर इंडिया ने Boeing 787 Dreamliner के ज़रिए ऑस्ट्रेलिया-इंडिया उड़ानें शुरू कीं, तब DGCA ने इन्हीं नियमों को तोड़-मरोड़ कर बदल दिया. यह बदलाव सीधे-सीधे फ्लाइट सुरक्षा मानकों का उल्लंघन था और इससे यात्रियों और क्रू की जान जोखिम में डाली गई. एयर इंडिया को अच्छी तरह पता था कि इस रूट पर जिस तरह से उड़ानें संचालित हो रही थीं, वह "एक्सीडेंट रिस्क" को सामान्य मानकों से 25 गुना अधिक बढ़ा रही थी. लेकिन फिर भी, इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया. ना एयर इंडिया ने, ना ही DGCA ने.

असल में जब Boeing 787 Dreamliner का ऑर्डर दिया गया, तब यह विमान केवल डिज़ाइन स्टेज पर था. न टेस्टिंग पूरी हुई थी, न ही सुरक्षा की पुख्ता गारंटी थी. शुरुआती फ्लाइट्स में ही Dreamliner के साथ कई तकनीकी और सुरक्षा खामियां सामने आई थीं.

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि सितंबर 2016 तक DGCA को कानूनी रूप से फ्लाइट क्रू के लिए सुरक्षा नियम बनाने का अधिकार ही नहीं था, जब तक कि Aircraft Rules 1937 में धारा 42A जोड़ी नहीं गई. इससे साफ है कि DGCA ने एयर इंडिया की सुरक्षा उल्लंघनों को दबाने और खुद की गलती छिपाने का काम किया. मैंने कई आपराधिक मुकदमे भी दायर किए हैं ताकि DGCA और एयर इंडिया के ज़िम्मेदार अधिकारियों को सज़ा दिलाई जा सके. मेरी उम्मीद और प्रार्थना है कि अब कम से कम न्यायालय इस मुद्दे पर जागे और ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, जिन्होंने जनता की जान के साथ समझौता किया.

DGCA की आंखों में धूल झोंकती टेक्नोलॉजी?

ड्रीमलाइनर को डिजाइन करते वक्त बोइंग ने कहा था कि इसमें cutting-edge कंपोज़िट मैटीरियल और Smart" systems हैं जो फ्लाइट को सबसे सुरक्षित बनाएंगे. मगर बीते 5 सालों में इस विमान को कई बार तकनीकी खामी के चलते पूरी दुनिया में ग्राउंड किया गया. कभी बैटरियों में आग, कभी सॉफ़्टवेयर क्रैश, कभी हाइड्रोलिक फेलियर.

DGCA की चुप्पी, मौत का सर्टिफिकेट?

DGCA का काम है देश के नागरिक विमानों की जांच, सुरक्षा मानकों की निगरानी और तकनीकी इंस्पेक्शन, तो फिर ये कैसे हुआ कि एक टेक्नोलॉजी से लैस Dreamliner ने उड़ान के कुछ ही मिनटों में दम तोड़ दिया? क्या DGCA ने बोइंग जैसी इंटरनेशनल कंपनी के दबाव में सर्टिफिकेट जारी किया?

क्या इस हादसे से पहले कोई रेड फ्लैग था?

सूत्र बताते हैं कि इस विमान में पिछले कुछ महीनों से सेंसर फेल, ऑटो-पायलट गड़बड़ी और लैंडिंग गियर जाम की शिकायतें थीं. मगर फिर भी इसे "फ्लायिंग कंडीशन" में बताया गया. तो क्या DGCA जानबूझकर आंख मूंदे बैठा था? या फिर रिश्वत और कॉर्पोरेट दबाव में सुरक्षा को ताक पर रख दिया गया?

जिसके बाद अब सवाल उठता है विमान हादसे का जिम्मेदार कौन? बोइंग, एयरलाइन, या DGCA, जिसने सबकुछ देखकर भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की? अगर यही हाल रहा, तो अगला ड्रीमलाइनर हादसा किस शहर में होगा, ये बस वक्त की बात है.

India Newsअहमदाबाद प्लेन क्रैश
अगला लेख