तिरुमला मंदिर में नित-नए फसाद, चर्बी के बाद प्रसाद में मिला कनखजूरा, स्टाफ ने कहा- ऐसा होता रहता है!
तिरुपति लड्डुओं में जानवर की चर्बी मिलने के बाद भक्तों की आस्था पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. अब इस बीच प्रसाद में से कनखजूरा निकला है, जिस पर मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि यह इस्तेमाल किए जाने वाले पत्ते के कारण आया है.

कथित तौर पर तिरुपति के लड्डुओं में एनिमल फैट मिलने के विवाद के बीच यह खबर वायरल हो रही है कि आंध्र प्रदेश के तिरुमाला मंदिर में उन्हें दिए जाने वाले प्रसाद में कीड़े पाए गए. वहीं, मंदिर की देखभाल करने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) 5 अक्टूबर को माधव निलयम में अन्न प्रसादम में कीड़ा पाए जाने के आरोपो से इंकार किया है.
इसके लिए एक प्रेस रिलीज जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि भक्त ऐसी गलत और निराधार खबरों को नजरअंदाज करें. इसके साथ ही, श्री वेंकटेश्वर और टीटीडी में आस्था बनाए रखने के लिए भी अपील की गई.
ऐसा कभी-कभी होता है
इस मामले के सामने आते ही एक भक्त ने कहा, 'यह मंजूर नहीं है और प्रसाद में कीड़े मिलना टीटीडी ऑफिसर की लापरवाही को दिखाता है' "हम इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं." अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए, एक अन्य भक्त ने कहा, "मैं दर्शन के लिए वारंगल से आया था. सिर मुंडवाने के बाद मैं दोपहर के खाने के लिए गया, लेकिन खाते वक्त मुझे दही चावल में एक कनखजूरा मिला. जब मैंने यह बात वहां के स्टाफ को बताई, तो उनका जवाब बेहद अजीब था. इस पर उन्होंने कहा,'ऐसा कभी-कभी होता है.
पत्ते से आया कनखजूरा
भक्त ने बताया ति "फोटो और वीडियो को डॉक्यूमेंट करने के बाद अधिकारी मेरे पास आए. उन्होंने मुझे कहा यह कीड़ा परोसने वाले पत्ते से आया था. यह लापरवाही अस्वीकार्य है. अगर बच्चे या अन्य लोग खराब खाना खाते हैं, तो फूड पॉइजनिंग के लिए कौन जिम्मेदार होगा?"
मंदिर अधिकारियों ने दिया जवाब
इस मामले में टीटीडी ने कहा कि ''दर्शन के लिए आने वाले हजारों भक्तों के लिए गर्म अन्ना प्रसादम तैयार करता है. वहीं, भक्त का कहना है कि अन्नप्रसादम में कनखजूरा गिर गया. यहां तक कि अगर चावल को दही के साथ मिलाया जाता है, तो भी यह कीड़ा किसी की नजर से नहीं बच सकता." ट्रस्ट ने यह भी दावा किया कि प्रसाद के खिलाफ की गई बातें भक्तों को भगवान वेंकटेश्वर में उनकी आस्था से भटकाने का प्रयास हो सकती हैं और यह संस्था को बदनाम करने का एक तरीका है.