मणिपुर के 5 जिलों में फिर लौटा AFSPA, जानिए क्या है यह कानून?
नए आदेश के तहत इम्फाल पश्चिम जिले के सेकमाई और लामसांग, इम्फाल पूर्व के लामलाई, जिरीबाम जिले के जिरीबाम थाना, बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और कांगपोकपी जिले के लीमाखोंग को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है. इन इलाकों में सुरक्षा बलों को उग्रवादी गतिविधियों को रोकने और समन्वित अभियान चलाने के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को देखते हुए पांच जिलों के छह पुलिस थानों की सीमाओं को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया है. इन क्षेत्रों में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स (AFSPA) को फिर से लागू कर दिया है. यह कानून 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा. पहले, अप्रैल 2022 में मणिपुर सरकार ने सुरक्षा में सुधार और लोगों के बीच बढ़ती सुरक्षा भावना के आधार पर इन क्षेत्रों से AFSPA हटा लिया था. अब बिगड़ती स्थिति के कारण इसे दोबारा लागू करना पड़ा है.
नए आदेश के तहत इम्फाल पश्चिम जिले के सेकमाई और लामसांग, इम्फाल पूर्व के लामलाई, जिरीबाम जिले के जिरीबाम थाना, बिष्णुपुर जिले के मोइरांग और कांगपोकपी जिले के लीमाखोंग को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है. इन इलाकों में सुरक्षा बलों को उग्रवादी गतिविधियों को रोकने और समन्वित अभियान चलाने के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं. AFSPA के तहत, सुरक्षा बलों को तलाशी, गिरफ्तारी और बल प्रयोग जैसे अधिकार मिलते हैं, जिससे विद्रोही समूहों पर काबू पाया जा सके.
क्या है अफस्पा एक्ट?
अफस्पा का पूरा नाम 'आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स' एक्ट है. यह कानून भारत में 1958 में लागू किया गया था. इसका उद्देश्य अशांत क्षेत्रों में शांति और व्यवस्था बनाए रखना है. यह कानून सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है, जिससे वे उग्रवाद और आतंकवाद जैसी समस्याओं का सामना प्रभावी ढंग से कर सकें.
अफस्पा सबसे पहले 1958 में पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड और मणिपुर में लागू किया गया. इसके बाद समय-समय पर इसे असम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और अन्य अशांत क्षेत्रों में लागू किया गया. यह कानून 1942 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाए गए 'डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट' से प्रेरित है. यह कानून केवल उन क्षेत्रों में लागू होता है जिन्हें 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है. 'अशांत क्षेत्र' घोषित करने का अधिकार राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के पास है. वर्तमान में यह कानून मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में लागू है.
सुरक्षाबलों को क्या मिलता है अधिकार?
- यदि सुरक्षाबलों को संदेह हो कि कोई व्यक्ति सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा है, तो उसे गोली मारने का अधिकार है.
- सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं और किसी स्थान की तलाशी ले सकते हैं.
- सुरक्षा बल संदिग्ध संपत्तियों को जब्त कर सकते हैं.
- सुरक्षाबलों पर मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक होती है.
अफस्पा को लेकर किया है विवाद?
अफस्पा के तहत सुरक्षाबलों पर मानवाधिकार उल्लंघन, निर्दोष नागरिकों की हत्या और बलात्कार के गंभीर आरोप लगे हैं. आलोचकों का कहना है कि अफस्पा सुरक्षाबलों को कानून से ऊपर रखता है, जिससे नागरिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है. अफस्पा के तहत सुरक्षाबलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई मुश्किल हो जाती है.
सुरक्षाबलों का कहना है कि अशांत क्षेत्रों में उनके लिए विशेष अधिकार आवश्यक हैं, ताकि वे उग्रवाद और आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपट सकें. कई मामलों में अफस्पा लागू करने के बाद उग्रवाद और आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है. सरकार का मानना है कि अशांत क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कानून आवश्यक है.
वहीं, लोगों का कहना है कि अशांत क्षेत्रों की स्थिति की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए. अफस्पा के तहत किसी भी तरह के मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने के लिए सख्त निगरानी होनी चाहिए. सुरक्षाबलों द्वारा की गई कार्रवाई पर जवाबदेही तय होनी चाहिए. और सुरक्षाबलों पर लगे आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया स्थापित की जानी चाहिए.