Begin typing your search...

अदीना मस्जिद या आदिनाथ मंदिर! यूसुफ पठान के पोस्ट से मचा सियासी तूफान, बीजेपी इसे क्यों बता रही शिव मंदिर?

पश्चिम बंगाल के मालदा में स्थित अदीना मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है. टीएमसी सांसद यूसुफ पठान के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद बीजेपी ने इसे ‘आदिनाथ मंदिर’ बताया है. पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इसे मुस्लिम स्थापत्य धरोहर मानता है, जबकि हिंदू संगठन इसे प्राचीन शिव मंदिर बताते हैं. विवाद से बंगाल की राजनीति गर्मा गई है.

अदीना मस्जिद या आदिनाथ मंदिर! यूसुफ पठान के पोस्ट से मचा सियासी तूफान, बीजेपी इसे क्यों बता रही शिव मंदिर?
X
( Image Source:  X/iamyusufpathan )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 18 Oct 2025 1:32 PM IST

पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीएमसी सांसद यूसुफ पठान के सोशल मीडिया पोस्ट ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है. पठान ने मालदा स्थित ऐतिहासिक अदीना मस्जिद की तस्वीरें साझा कीं, जिसके बाद बीजेपी ने इसे “आदिनाथ मंदिर” बताया और मंदिर-मस्जिद विवाद को फिर से हवा मिल गई. सोशल मीडिया पर लोग दो गुटों में बंट गए हैं- एक इसे इस्लामी विरासत बता रहा है तो दूसरा इसे प्राचीन हिंदू मंदिर मान रहा है.

यह विवाद सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सियासी बयानबाज़ी का रूप ले चुका है. बीजेपी ने दावा किया कि यूसुफ पठान इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, जबकि टीएमसी ने इसे अनावश्यक राजनीति बताकर भाजपा पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है.

बीजेपी का दावा: 'मस्जिद नहीं, आदिनाथ मंदिर'

भाजपा नेताओं ने अदीना मस्जिद को 14वीं शताब्दी के “आदिनाथ मंदिर” पर निर्मित बताया है. उनका कहना है कि सिकंदर शाह ने एक भव्य शिव मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कराया था. बीजेपी का दावा है कि मस्जिद परिसर में आज भी मंदिर जैसी स्थापत्य झलक और पत्थर की नक्काशियां देखी जा सकती हैं. पार्टी के बंगाल प्रवक्ता ने कहा कि “अदीना” नाम वास्तव में “आदिनाथ” का विकृत रूप है.

यूसुफ पठान का पोस्ट और विवाद की शुरुआत

यूसुफ पठान ने अपने एक्स (X) अकाउंट पर मस्जिद की तस्वीरों के साथ लिखा था, “मालदा की अदीना मस्जिद भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है, जिसका निर्माण इलियास शाही वंश के दूसरे शासक सिकंदर शाह ने 14वीं सदी में करवाया.” पठान ने इसे “इस्लामी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण” बताया. लेकिन भाजपा और कुछ यूज़र्स ने उनके इस पोस्ट को “एकतरफा ऐतिहासिक प्रस्तुति” बताया.

सोशल मीडिया पर क्या बोले यूजर्स?

पोस्ट वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. कुछ लोगों ने पठान को “इतिहास का सच्चा दस्तावेज़” साझा करने के लिए सराहा, वहीं कई यूजर्स ने उन्हें “सत्य छिपाने” का आरोप लगाया. कुछ हिंदू संगठनों के समर्थकों ने लिखा कि “यह वही स्थान है जहां आदिनाथ मंदिर हुआ करता था.” वहीं टीएमसी समर्थकों ने कहा कि भाजपा जानबूझकर धार्मिक ध्रुवीकरण कर रही है.

क्या है मस्जिद और मंदिर का विवाद?

अदीना मस्जिद को लेकर यह विवाद नया नहीं है. हिंदू संगठनों का दावा है कि यह मस्जिद एक प्राचीन आदिनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. उनका कहना है कि मस्जिद की कई दीवारों और स्तंभों पर मंदिर की मूर्तिकला के निशान अब भी मौजूद हैं. वहीं इतिहासकारों और एएसआई की रिपोर्ट में इसे स्पष्ट रूप से 14वीं सदी का इस्लामी स्मारक बताया गया है.

क्या कहती है एएसआई की रिपोर्ट?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की वेबसाइट के अनुसार, अदीना मस्जिद 1369 ईस्वी में सिकंदर शाह द्वारा निर्मित एक भव्य मुस्लिम स्थापत्य है. इसे बंगाल सल्तनत की राजधानी पंडुआ में बनवाया गया था. मस्जिद परिसर में सिकंदर शाह की कब्र भी है. एएसआई का कहना है कि यह संरचना पूरी तरह सल्तनती स्थापत्य का उदाहरण है, न कि मंदिर से रूपांतरित इमारत.

इतिहासकारों की राय

कई इतिहासकार मानते हैं कि अदीना मस्जिद उस युग की धार्मिक और राजनीतिक शक्ति का प्रतीक थी. यह मस्जिद न केवल उपासना स्थल थी, बल्कि सिकंदर शाह के साम्राज्य की समृद्धि और स्थापत्य कौशल का प्रतीक भी थी. मस्जिद की वास्तुकला में स्थानीय बंगाली शैली और इस्लामी निर्माण तकनीक का मिश्रण दिखाई देता है.

अदीना मस्जिद का क्या है इतिहास?

अदीना मस्जिद का निर्माण 1373 से 1375 ईस्वी के बीच हुआ था. यह अपने समय में भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद थी. इसका केंद्रीय हॉल लगभग 172 मीटर लंबा और 97 मीटर चौड़ा है. इसके स्तंभ और मेहराब तुर्की, फारसी और बंगाली वास्तुकला का अनोखा संगम दर्शाते हैं.

अबुल मुजाहिद सिकंदर शाह, बंगाल सल्तनत के दूसरे शासक थे. उनका शासन 1358 से 1390 तक चला. वे ज्ञान, स्थापत्य और कला प्रेमी राजा थे. उनके शासनकाल में बंगाल राजनीतिक रूप से स्थिर और आर्थिक रूप से समृद्ध बना. उन्होंने अदीना मस्जिद के अलावा कई अन्य धार्मिक और सार्वजनिक इमारतों का निर्माण करवाया.

एक पोस्ट से उठा विवाद

अदीना मस्जिद को लेकर छिड़ी यह बहस इतिहास, आस्था और राजनीति के टकराव का प्रतीक बन चुकी है. जहां एएसआई इसे मुस्लिम स्थापत्य की धरोहर मानता है, वहीं हिंदू संगठन इसे “आदिनाथ मंदिर” का अपमान बताते हैं. यूसुफ पठान का एक पोस्ट इस पुराने विवाद को फिर से जगा गया है, जो आने वाले समय में बंगाल की सियासत में बड़ा मुद्दा बन सकता है.

India News
अगला लेख