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वसई में 10 मिनट देर से स्कूल पहुंची 13 साल की बच्ची, 100 उठक-बैठक की सजा... मौत; टीचर पर दर्ज FIR

स्कूल बच्चों के लिए सीखने-सिखाने और सुरक्षित रहने की जगह होते हैं. लेकिन कभी-कभी टीचर्स गलती से या गुस्से में बच्चों को शारीरिक सजा (जैसे मारना, उठक-बैठक करवाना, घुटनों पर बैठाना) दे देते हैं. यह बहुत खतरनाक हो सकता है.

वसई में 10 मिनट देर से स्कूल पहुंची 13 साल की बच्ची, 100 उठक-बैठक की सजा... मौत; टीचर पर दर्ज FIR
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( Image Source:  Create By Sora AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 16 Nov 2025 10:29 AM

वसई शहर में एक बहुत दुखद घटना हुई है. वहां की एक 13 साल की छोटी बच्ची की मौत हो गई. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वह स्कूल में सिर्फ दस मिनट देर से पहुंची थी. स्कूल के क्लास टीचर ने उसे और कुछ अन्य छात्रों को सजा के रूप में अपना भारी स्कूल बैग पीठ पर रखकर 100 बार उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया. यह पूरी घटना 8 नवंबर के दिन हुई थी.

बच्ची जब घर लौटी तो वह बहुत परेशान थी. उसने अपनी मां को बताया कि उसकी गर्दन से लेकर पीठ तक बहुत तेज दर्द हो रहा है. वह कह रही थी कि उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक नहीं लग रही है. शाम होते-होते उसकी हालत और भी खराब हो गई. मां ने देखा कि बच्ची को चलने-फिरने में बहुत तकलीफ हो रही थी. वह बार-बार पीठ के दर्द की शिकायत कर रही थी और रो रही थी आखिरकार, उसकी मौत हो गई.

सजा बनी मौत

स्कूल के एक बड़े अधिकारी का नाम विकास यादव है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को बताया कि अगर पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से यह साबित हो जाता है कि सजा देने की वजह से ही बच्ची की मौत हुई है, तो स्कूल पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है. वसई के शिक्षा विभाग के अधिकारी पांडुरंग गलांगे ने कहा कि वे सारी जरूरी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं.

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इंतजार

अभी तक स्थानीय अधिकारी यह पक्के तौर पर नहीं बता सके हैं कि बच्ची की मौत किस वजह से हुई. पुलिस ने इस मामले में आकस्मिक मृत्यु की रिपोर्ट (जिसे एडीआर कहते हैं) दर्ज कर ली है. अब वे पोस्टमार्टम की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. बच्ची के परिवार की शिकायत पर पूरी जांच शुरू हो चुकी है. सब लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सच जल्दी सामने आएगा और दोषियों को सजा मिलेगी.

स्कूल में शारीरिक सजाओं के खतरे

स्कूल बच्चों के लिए सीखने-सिखाने और सुरक्षित रहने की जगह होते हैं. लेकिन कभी-कभी टीचर्स गलती से या गुस्से में बच्चों को शारीरिक सजा (जैसे मारना, उठक-बैठक करवाना, घुटनों पर बैठाना) दे देते हैं. यह बहुत खतरनाक हो सकता है. वसई की 13 साल की बच्ची की दुखद मौत इसका एक जीता-जागता उदाहरण है. आइए समझें कि शारीरिक सजा क्यों गलत और खतरनाक है:

-बच्चे का शरीर अभी पूरी तरह मजबूत नहीं होता

-भारी बैग के साथ 100 उठक-बैठक करने से रीढ़ की हड्डी, गर्दन, मांसपेशियां और जोड़ों पर बहुत दबाव पड़ता है

-इससे मांसपेशियों में खिंचाव, हड्डी टूटना, आंतरिक चोट या दिल का दौरा तक पड़ सकता है

-वसई की बच्ची को पीठ में तेज दर्द हुआ और हालत बिगड़ती चली गई

प्रतिबंधित है शारीरिक या मानसिक सजा

भारत में RTE एक्ट 2009 के तहत स्कूल में किसी भी तरह की शारीरिक या मानसिक सजा पूरी तरह प्रतिबंधित है. बच्चे को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में पढ़ने का अधिकार है. सजा देना कानून का उल्लंघन है. देर से आने की सजा में 100 उठक-बैठक जैसे कठोर कदम बिल्कुल गलत हैं. टीचर्स को समझाना, पेरेंट्स से बात करना या हल्की सजा (जैसे लिखित काम) देनी चाहिए. स्कूल को सुरक्षा नियम और बच्चों की सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए.

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