15 साल की उम्र में बनीं कांग्रेसी, आज दे रहीं चुनौती... 5 खूबियां जो ममता को राहुल से बनाती हैं बेहतर
Mamata Banerjee vs Rahul Gandhi: पिछले सप्ताह जब से ममता बनर्जी ने भारतीय ब्लॉक का नेतृत्व करने में रुचि दिखाई है, तब से कई गैर-कांग्रेसी नेता उनके पीछे खड़े हो गए हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं.

Mamata Banerjee vs Rahul Gandhi: महाराष्ट्र की सीएम ममता बनर्जी ने जब से 'INDIA Bloc' को लीड करने की इच्छा जताई है, तब से विपक्ष में हलचल तेज हो गई है. अपने ही सहयोगियों से बगावत झेल रही कांग्रेस के सामने एक ओर खाई और दुसरी तरफ कुएं जैसी हालात हो गई है. यानी कि एक तो पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र में हार से उबर नहीं पाई है और दुसरा अपने ही साथी पार्टी को साइडलाइन लगाने में लगे हैं.
ऐसे में राहुल गांधी की लीडरशिप पर अप्रत्यक्ष रुप से सवाल उठाए जा रहे हैं. ममता बनर्जी के दावों के बीच उन्हें 'INDIA Bloc' के सहयोगियों का भा साथ मिला है, जिनमें RJD के सीनियर लीडर लालू प्रसाद यादव, NCP के शरद पवार, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी शामिल हैं. इस हुंकार के साथ अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में 'INDIA Bloc' का नेतृत्व सीएम ममता के हाथ में हो सकता है.
आइए यहां ममता बनर्जी की उन 5 खूबियों के बारे में जानते हैं जो राहुल गांधी से अलग बनाने का दावा करती हैं.
1. लंबा राजनीतिक अनुभव
ममता बनर्जी ने संघर्ष के साथ अपनी राजनीतिक विरासत तैयार की है. 1970 में महज 15 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. तब वो कांग्रेस की कार्यकर्ता थी. गरीबी के साथ उन्होंने दूध बेचने तक का काम किया है. 1997 में कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने TMC बनाई. 1998 के अपने पहले लोकसभा चुनाव में ही उन्होंने 8 सीटों पर कब्जा किया. जबकि राहुल गांधी ने 2024 में राजनीति में एंट्री ली, तब उन्होंने अमेठी से लोकसभा लड़कर जीत हासिल की थी. हालांकि, ये सीट कांग्रेस का पारिवारिक गढ़ रहा है.
2. सही समय पर सख्त निर्णय लेने की क्षमता
दो बार रेल मंत्री रह और 2011 से पश्चिम बंगाल की सीएम के तौर पर ममता बनर्जी ने कई ऐसे सख्त निर्णय लिए हैं, जिससे उनकी पर्सनालिटी एक कद्दावर नेता के तौर पर उभरी है. बंगाल समेत भारत में उन्हें कठोर निर्णायक नेता के तौर पर देखा जाता है. उस वक्त की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई थी. इसका हालिया उदाहरण है कि जब उन पर लगातार हिंदू विरोधी होने का आरोप लगता है, तब वो भविष्य को देखते हुए बांग्लादेश में हो रहे हिंसा पर हिंदूओं को डिफेंड किया. जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को कई हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में उनके फैसले में लचीलापन देखने को मिलाता है.
3. लोगों पर अपना प्रभाव बनाने की क्षमता
ममता बनर्जी का बंगाल के लोगों में काफी गहरा प्रभाव है. वो लोगों को अपने भाषण के जरिए जोड़ने में कामयाब होती हैं. उनकी इस क्षमता का प्रभाव है कि उनकी पार्टी बंगाल की सत्ता में आने के बाद एकतरफा जीत हासिल कर रही है. लेकिन राहुल गांधी इसे लेकर कमी देखने को मिलती है. वो लोगों को कनेक्ट करने में सफल नहीं हो पाते हैं, जो उनके नेतृत्व में कांग्रेस की लगातार हार में देखने को मिलता है.
4. संगठन/पार्टी संभालने की लीडरशिप क्वालिटी
1998 बनी TMC ममता बनर्जी के नेतृत्व में लगातार राजनीति में लगातार अपनी पैठ बनाती गई. माना जाता है कि सीएम ममता में गजब की लीडरशिप क्वालिटी है, जो उन्हें राहुल गांधी से अलग बनाती है. राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कई मौके पर फिसलती दिखी, लेकिन TMC के फलते-फूलते साम्राज्य को देखकर साफ है कि पार्टी को उन्होंने कैसे एक सूत्र में बांधे रखा है. यही कारण है कि सहयागी उन्हें 'INDIA Bloc' का नेतृत्व देने का भी मन बना रहे हैं.
5. विरोधियों की बोलती बंद करना
ममता बनर्जी के संघर्ष ही नहीं, विरोध करने का भी अपना अलग स्टाइल है. ऐसे में चुनाव हो या फिर कोई राजनीतिक मुद्दा सीएम ममता हर हवा के रूख को अपनी ओर समेटने में कामयाब हो जाती हैं. विरोधियों के गंभीर आरोप के बाद भी वो हर कीमत पर उसके साथ डटी रहती हैं, चाहे वो कोई भी ममाला हो. 2021 के विधानसभा चुनाव में जब एग्जिट पोल से लेकर सभी पार्टियां उनकी हार की बातें कर रही थी, तब भी उन्होंने डटकर इसका सामना किया और बहुमत से जीत हासिल की. लेकिन राहुल गांधी कई मौकों पर कांग्रेस को डिफेंड नहीं कर पाए, जिसका खामियाजा पार्टी को चुनावी हार से चुकाना पड़ा है.